बसपा अकेली लड़ेगी... मायावती के भतीजे आकाश को इससे क्या फायदा?

Mayawati and Akash Anand: बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अकेले ही उतरने का फैसला किया है, उन्होंने गठबंधन से इनकार कर दिया है. यह फैसला उनके भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jan 15, 2024, 06:32 PM IST
  • आकाश आनंद हैं मायावती के उत्तराधिकारी
  • आकाश ने बहनजी नाम से एप भी बनाया
बसपा अकेली लड़ेगी... मायावती के भतीजे आकाश को इससे क्या फायदा?

नई दिल्ली: Mayawati and Akash Anand: बसपा सुप्रीमो मायावती ने 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है. वो न तो NDA के साथ जाएंगी और न ही INDIA गठबंधन के साथ. मायावती के इस फैसले की पीछे बड़ी रणनीति मानी जा रही है. इस फैसले से मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद के लिए खूब संभवानाएं पैदा हो गई हैं. अकेले लड़ने का फैसला करते समय मायावती ने आकाश के भविष्य को जरूर ध्यान में रखा होगा. 

इंडिपेंडेंट फेस, बगैर किसी दबाव के
मायावती के भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद बीते लंबे समय से पार्टी को इंटरनल मजबूत करने के लिए प्लानिंग कर रहे हैं. यदि अब मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल होती तो पूरी रणनीति बदल जाती. मुमकिन है कि आकाश आनंद को फ्री हैण्ड नहीं मिलता, गठबंधन की पूरी पार्टियां एक रणनीति पर ही लड़तीं. लेकिन अब आकाश आनंद बिना किसी दबाव के अपनी ही स्ट्रेटेजी पर आगे बढ़ेंगे.

बसपा का कलेवर बदल रहे आनंद
आकाश आंनद बीते कुछ समय से बसपा का पारंपरिक चेहरा बदल रहे हैं. उन्होंने 'बहनजी' नाम से एक एप भी बनाया है. इस पर वो बसपा से जुड़े अपडेट शेयर करेंगे. मायावती के भाषण से लेकर कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए पार्टी के पक्ष का कंटेट भी साझा करेंगे. आकाश ने एक फोन नंबर भी जारी किया है, जिस पर मिस कॉल देकर बसपा से जुड़ा जा सकता है. 

खुद को भी प्रमोट कर रहे
आकाश आंनद पार्टी से युवाओं को जोड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं. आकाश सोशल मीडिया को काफी तरजीह देते हैं. उन्होंने अपने नाम से एक वेबसाइट भी लॉन्च की है. उन्होंने वालंटियर्स को हायर करने के लिए भी सूचना जारी की थी. कहा गया कि ये वालंटियर्स आकाश से कनेक्टेड होंगे. 

BJP जैसी रणनीति
बसपा भाजपा की रणनीति पर कार्म कर रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के लॉन्च के दौरान भाजपा ने भी सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल किया था. एप से लेकर मिस कॉल जैसी चीजें डवलप की गई थीं. इससे प्रचार के आधुनिक तरीके के तौर पर देखा गया था.

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