धर्म, लोकतंत्र, कूटनीति के चश्मे से 'नए भारत' की व्याख्या करती एक किताब

अंग्रेजी भाषा में आई इस किताब का नाम है  Bharat Rising: Dharma, Democracy, Diplomacy. प्रभावी रिसर्च और सहज प्रवाह में यह किताब 2014 के बाद देश में हो रहे बदलाव को देखती-समझती है और इसकी व्याख्या करती है.

Written by - Arun Tiwari | Last Updated : Mar 13, 2024, 01:05 PM IST
  • राजनीतिक उद्धरणों से भरी है किताब.
  • बदलते भारत के परिदृश्य को समझने की कोशिश.
धर्म, लोकतंत्र, कूटनीति के चश्मे से 'नए भारत' की व्याख्या करती एक किताब

नई दिल्ली. साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद भारतीय जनता पार्टी और विद्वानों के एक वर्ग द्वारा 'नए भारत' का अक्सर जिक्र किया जाता है. 'नए भारत' के विचार को लेकर बीते वर्षों में कुछ किताबें भी आई हैं जिनमें लेखकों ने विभिन्न पहलुओं से देश में आ रहे बदलाव का विश्लेषण करने की कोशिश की है. लेखकद्वय हर्ष मधुसूदन और राजीव मंत्री की किताब A New Idea of India में नेहरू काल के आजाद भारत पर प्रभाव और फिर मोदी के आने का विश्लेषण किया गया. अब एक नई किताब आई है जो नए उत्थानशील भारत की व्याख्या धर्म, लोकतंत्र और कूटनीति के चश्मे से करती है. अंग्रेजी भाषा में आई इस किताब का नाम है Bharat Rising: Dharma, Democracy, Diplomacy. किताब वरिष्ठ पत्रकार उत्पल कुमार ने लिखी है.

प्रभावी रिसर्च और सहज प्रवाह में यह किताब 2014 के बाद देश में हो रहे बदलाव को देखती-समझती है और इसकी व्याख्या करती है. यह किताब अपनी पुरातन सांस्कृतिक जड़ों पर दावा ठोंकते नए भारत की पड़ताल करती है. नेहरूवाद से इतर दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव की भी व्याख्या करती है. बीते दशकों के दौरान कई ऐसे निर्णय रहे जिन पर पश्चाताप किया जा सकता है और यह किताब ऐसे वाकयों की तलाश करती है लेकिन वह बीते दशकों के दौरान देश के बौद्धिक परिद्श्य में मौजूद सभी उदारवादी मूल्यों को खारिज नहीं करती.

मोदी की गुजरात में दूसरी जीत और वह भविष्वाणी...
लेखक किताब का इंट्रोडक्शन मोदी की गुजरात में दूसरी बार हुई लैंड स्लाइड विक्ट्री के बाद टीवी स्टूडियों में छाए सन्नाटे और एक भविष्यवाणी से करते हैं. स्टूडियो में मौजूद लेफ्ट लिबरल बिरादरी के कमेंटेटर शॉक्ड थे. कोई बोलने को तैयार नहीं था, तभी वहां मौजूद पत्रकार और लेखक मेघनाथ देसाई ने एक लाइन में इस विक्ट्री को भविष्य में होने वाली बड़ी राजनीतक घटना से जोड़ दिया था. इस घटना का जिक्र इतना रोचक है ये किताब में दर्ज किरदार अचानक सामने दिखाई देने लगते हैं, ये शब्द दिमाग में इस घटना की जीवंत तस्वीर बना देते हैं. 

लूटियन दिल्ली और उसके प्रभाव का रोचक विवरण 
'भारत राइज़िंग' किताब का परिचय इन्हीं लाइनों के साथ शुरू होता है. किताब की ओपनिंग यानी शुरुआत जितनी जीवंत है, उससे कम मजेदार किताब का कोई भी चैप्टर नहीं है. हरेक पन्ने पर आपको कई कई किताबों के रेफरेंस मिलेंगे. लूटियन दिल्ली और उसके प्रभाव को बेहद रोचक ढंग से समझाया गया है. 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी के दिए एक बयान का जिक्र इस किताब में सटीक जगह पर किया गया है. बयान था-'लूटियन दिल्ली जिसे मानते हैं उसको न तो मैं अपने में ला सका और न ही मैं उसका हिस्सा बन सका.' दरअसल इस किताब में लूटियन दिल्ली और उसके प्रभुत्व को खत्म करने के दौर को तथ्य, अवलोकन और विश्लेषण, साथ ही कुछ जिन रोचक किस्सों के जरिए बताया गया है, वे किताब को आंखों के सामने चल रहे किसी थिएटर की शक्ल दे देते हैं.  

इलिटिज़म और मनमोहन सिंह का जिक्र
इलिटिज़म यानी 'कुलीनतावाद' का जिक्र करते हुए लेखक पूर्व पीएम मनमोहन  सिंह के बारे में लिखते हैं- मनमोहन सिंह चाहते थे कि उन्हें पंजाबी जड़ों से जुड़ा होने के मुकाबले ऑक्सफोर्ड कैंब्रिज कनेक्शन से ज्यादा याद रखा जाए. लेखक, वाशिंगटन पोस्ट के पूर्व भारतीय ब्यूरो चीफ सिमन डेन्यर से हुई बात के दौरान निकले एक किस्से का जिक्र भी इस किताब में करते हैं. 

किस्सा कुछ यूं था-'वाशिंगटन पोस्ट में मनमोहन सिंह को लेकर 4 सितंबर 2012 को Indias ''Silent'' Prime Minister Become a tragic figure शीर्षक से आर्टिकल प्रकाशित हुआ था. इस आर्टिकल में सरकार के भीतर हो रहे घोटालों पर उनकी चुप्पी पर आलोचना की गई थी. हालांकि भारत में सोशल मीडिया पर लगातार ये बातें हो रही थीं. लेकिन मनमोहन सिंह को इस आर्टिकल का बहुत बुरा लगा. दरअसल मनमोहन सिंह को भारतीयों के नजरिए से ज्यादा इस बात की चिंता ज्यादा थी कि अमेरिकी उन्हें कैसे देखते हैं!

अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र
बीजेपी के ही पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनशैली का जिक्र करने के लिए लेखक ने संजय बारू की किताब के एक हिस्से को दर्ज किया है-अटल बिहारी वाजपेयी भी उसी ग्रुप का हिस्सा थे जिसे मोदी और मोदी के सहयोगी 'खान मार्केट गैंग' कहते हैं. 1980 में वाजपेयी खान मार्केट में अपने हाथों में पॉमेरेनियन को लिए देखे जाते थे. संजय बारू ने भी उन्हें पहली बार इसी अंदाज में देखा था.' 

एक लाइन में कहें तो ये किताब अपने भीतर कई किताबों का जखीरा है. हर पैराग्राफ के बाद एक नई किताब का जिक्र है. इतने रोचक ढंग से सारे तथ्यों को जोड़ा गया है कि इस किताब के पढ़ने के बाद कई और किताबें आपकी टू डू लिस्ट में शामिल हो जाएंगी. आज तक जिसने लूटियन दिल्ली केवल शब्द सुना होगा, वह है क्या और क्यों मोदी दूसरे पीएम से अलग हैं...ये किताब इन सवालों का सटीक जवाब है.

यह भी पढ़ें: CAA के तहत कैसे कर सकते हैं आवेदन, कैसे मिलेगी भारतीय नागरिकता, जानें सबकुछ

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़