Bihar Budget 2023: साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा के बाद बनी सरकार आज (28 फरवरी) अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश करने जा रही है, हालांकि यह मौजूदा महागठबंधन सरकार का पहला बजट है. उल्लेखनीय है कि जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आये थे तब एनडीए गठबंधन ने अपनी सरकार बनाई थी लेकिन पिछले साल दोनों के बीच जब दूरियां बढ़ी तो दोनों अलग हो गये और जेडीयू ने आरजेडी के साथ मिलकर दोबारा महागठबंधन की सरकार बनाई. 2020 विधानसभा चुनाव से पहले भी बिहार में महागठबंधन की सरकार रह चुकी है जो कि 2015 में पहली बार आई थी और 2017 तक रही थी.
महागठबंधन सरकार-1 से जेडीयू के नेता जो कि तत्कालीन वित्त मंत्री भी रह चुके हैं अब्दुल बारी सिद्दीकी ने पहले दो बजट पेश किए थे लेकिन इस बार ये कार्यभार जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी के पास है जो इस कार्यकाल का पहला महागठबंधन सरकार का बजट पेश करेंगे. आइये एक नजर डालते हैं कि पिछले 2 बजट के दौरान महागठबंधन सरकार ने क्या-क्या ऐलान किया था.
जब 26 फरवरी 2016 को पेश हुआ था पहला बजट
26 फरवरी 2016 को महागठबंधन सरकार का पहला बजट पेश किया गया था जिसका आकार 1,44,696.27 करोड़ रुपये का था. इस बजट में महागठबंधन सरकार ने गरीब युवा और महिलाओं को केंद्र में रखते हुए अपना बजट पेश किया था और बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, आधारभूत संरचना, कौशल विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाने का ऐलान किया था. इस बजट के दौरान ही बिहार में सरकारी नौकरी में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया गया था. सरकार ने रोजगार बढ़ाने के लिये तकनीकी संस्थानों की संख्या बढ़ाने का भी ऐलान किया था.
इसके अलावा बिहार में 5 नये मेडिकल कॉलेज और 5 निजी यूनिवर्सिटी खोलने का ऐलान किया गया तो वहीं पर हर जिले में पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने का भी ऐलान किया गया. बिहार सरकार ने हर यूनिवर्सिटी में फ्री-वाफाई देने के साथ ही प्रवासी मजदूरों को स्लीपर क्लास की मुफ्त टिकट देने का भी ऐलान किया था.
दूसरे कार्यकाल में 1500 करोड़ ज्यादा बड़ा था बजट
महागठबंधन सरकार की ओर से पेश किया गया दूसरा बजट पहले की तुलना में 1500 करोड़ बड़ा था. जहां पर 2017-18 के लिए 1,60,085.69 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया जो कि 2016-17 के मुकाबले 15,389.42 करोड़ रुपये अधिक था. इस बजट का केंद्र भी राज्य का विकास, गरीबों का उत्थान और आर्थिक स्टैबिलिटी देना था तो साथ में ही महिलाओं और अल्पसंख्यकों को केंद्र में रखा गया था. इस दौरान दावा किया गया कि बजट में पेश किये गये 50 प्रतिशत कार्यक्रम को एक साल के अंदर अपना अंतिम रूप दे दिया जाएगा.
सरकार ने इस दौरान बिहार में राज्यकर्मियों को 7वां पे कमिशन भी देने का ऐलान किया जिसके चलते सरकार पर साढ़े 9 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ भी पड़ा. इस बजट के दौरान डी ग्रुप के कर्मचारियों के लिये घर देने का ऐलान किया गया था लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी यह वादा पूरा नहीं हो पाया है.
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