मुंबई. छत्रपति शिवाजी को लेकर अपनी टिप्प्णी के कारण विपक्ष के निशाने पर रहे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पद छोड़ने और सेवानिवृत्त होने की इच्छा जताई है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपने जीवन का बाकी समय पढ़ने-लिखने समेत अन्य गतिविधियों में बिताना चाहेंगे.
कोश्यारी ने कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री के हालिया मुंबई दौरे के दौरान मैंने सभी राजनीतिक दायित्यों से मुक्त होने और बाकी जीवन पढ़ने-लिखने एवं अन्य गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराया.’ राजभवन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री से उन्हें हमेशा प्यार और स्नेह मिला तथा वह उम्मीद करते हैं इस संबंध में भी उन्हें वही स्नेह मिलेगा.
प्रधानमंत्री गत 19 जनवरी को कई परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्धाटन के लिए मुंबई में थे. कोश्यारी ने कहा, ‘राज्य सेवक या राज्यपाल के रूप में संतों, समाज सुधारकों और बहादुर सेनानियों की धरती महाराष्ट्र जैसे महान राज्य की सेवा करना मेरे लिए पूर्ण सम्मान और सौभाग्य की बात है.’
कोश्यारी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में सितंबर 2019 को पदभार ग्रहण किया था. राज्य विधान परिषद में 12 सदस्यों की नियुक्ति सहित कई मुद्दों पर सरकार के साथ कोश्यारी के विवाद थे.
उद्धव सरकार ने लगाए थे भेदभाव के आरोप
एमवीए ने उनपर भेदभावपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया था. हालिया विवाद कोश्यारी के उस बयान को लेकर था जिसमें उन्होंने छत्रपति शिवाजी पर टिप्पणी करते हुए उन्हें ‘पुराने जमाने का आदर्श’ बताया था. इसके बाद विपक्षी दलों ने उनको पद से हटाने की मांग की थी.
गृह मंत्री को खत लिखकर दी थी जानकारी
इस विवाद के बाद कोश्यारी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखकर बताया कि वह छत्रपति शिवाजी जैसे आदर्श का अपमान करने की बात सपने में भी नहीं सोच सकते. राज्यपाल ने एक अन्य विवादित बयान में कहा था कि यदि राजस्थानी और गुजराती समुदाय के लोगों ने जाने का फैसला कर लिया तो मुंबई देश की वित्तीय राजधानी नहीं रह जाएगी.
फडणवीस और अजित पवार को दिलाई थी शपथ
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना के भाजपा से गठबंधन तोड़ने पर कोश्यारी ने मुख्यमंत्री ने देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलाई और एनसीपी नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. उन्होंने एक अन्य विवादित बयान में समर्थ रामदास को छत्रपति शिवाजी महाराज का गुरु बताया था.
उद्धव को दिया था विश्वासमत हासिल करने का निर्देश
इसी तरह गत जून में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उपजे हालात में कोश्यारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विश्वासमत हासिल करने का निर्देश दिया. इसके थोड़े समय बाद उच्चतम न्यायालय के कोश्यारी के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार के बाद उद्धव ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कोश्यारी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.
यह भी पढ़िए: अंबेडकर के पोते की पार्टी के साथ उद्धव का गठबंधन, BMC चुनाव से आगे की प्लानिंग में ठाकरे?
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.