नई दिल्ली: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे नीत सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने बुधवार को कहा कि सभी को पता है कि 'असली मुख्यमंत्री' कौन है. उनका इशारा नयी सरकार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दबदबे की ओर था.
आदित्य ठाकरे ने शिंदे सरकार पर कसा तंज
मंत्रिमंडल विस्तार पर कटाक्ष करते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा कि मंत्रिमंडलीय टीम में न तो मुंबई का और न ही महिलाओं का प्रतिनिधित्व है तथा निर्दलीय विधायकों को भी जगह नहीं मिली है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले सप्ताह अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था.
शिंदे गुट और भाजपा के नौ-नौ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया था. किसी भी महिला या निर्दलीय विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है जबकि विधानसभा में उनकी संख्या 20 है.
शिंदे द्वारा जून में शिवसेना नेतृत्व के विरूद्ध बगावत करने पर सबसे पहले जिन 14-15 विधायकों ने उनका साथ दिया था, उन्हें भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला है.
'वफादारी के लिए कोई जगह नहीं है'
आदित्य ठाकरे ने विधानमंडल के बाहर मीडिया से बातचीत में तंज कसते हुए कहा, 'वफादारी के लिए कोई जगह नहीं है.' उन्होंने कहा, 'सभी को पता है कि असली मुख्यमंत्री कौन है.'
उनका इशारा फडणवीस की ओर था जिनके पास गृह, वित्त एवं कई अन्य महत्वपूर्ण विभाग हैं. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने यह कहते हुए शिंदे सरकार की आलोचना की थी कि अहम विभाग भाजपा को दे दिये गये हैं.
आदित्य ठाकरे ने कहा, 'निर्दलीय विधायकों को कोई जगह नहीं मिली है. न तो महिलाओं को और न ही मुंबई को मंत्रिमंडल में कोई जगह मिली है.' मुंबई से एकमात्र कैबिनेट मंत्री मंगल प्रभात लोढा हैं जो दक्षिण मुंबई के मालाबार हिल से भाजपा विधायक हैं. जब शिंदे ने शिवसेना नेतृत्व के विरूद्ध बगावत की थी, तब करीब 10 निर्दलीय विधायकों ने उनका साथ दिया था.
विधायकों पर ठाकरे ने की ये टिप्पणी
आदित्य ठाकरे ने कहा कि मंत्रिमंडल में जिन विधायकों को जगह मिली है, उनका ओहदा घटा दिया गया है. उनका इशारा बागी शिवसेना विधायकों की ओर था जिन्हें कम महत्वपूर्ण समझे जाने वाले विभाग मिले हैं.
चालीस बागी शिवसेना विधायकों पर प्रहार करते हुए जूनियर ठाकरे ने कहा, ' उन्होंने एक दयालु इंसान के पीठ में छुरा घोंपा. उन लोगों के लिए दरवाजे खुले हैं जो लौट करआना चाहते हैं लेकिन जो वहां रूकना चाहते हैं, उन्हें विधायक के रूप में इस्तीफा देना चाहिए.' वह जून में हुई बगावत के समय से ही बागी नेताओं पर निशाना साध रहे हैं और उन्हें 'गद्दार' करार दिया.
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