सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों को नहीं दिखाना होगा वोटर आईडी, कोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा है कि सरकारी अस्पतालों को मतदाता पहचान पत्र देखे बिना मरीजों का इलाज करना होगा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 20, 2022, 06:40 PM IST
  • सरकारी अस्पतालों को हाईकोर्ट का आदेश
  • 'मरीज का वोटर आईडी देखे बिना इलाज हो'
सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों को नहीं दिखाना होगा वोटर आईडी, कोर्ट का आदेश

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी अस्पतालों को सभी नागरिकों का उपचार करना होगा, चाहे मरीज का निवास स्थान कहीं भी क्यों न हो. अदालत ने यह भी कहा कि सरकारी अस्पताल इलाज के लिए 'मतदाता पहचान-पत्र' दिखाने पर जोर नहीं दे सकते.

निवास स्थान के आधार पर न किया जाए भेदभाव
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने बिहार के एक निवासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अस्पताल दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीजों को इलाज मुहैया करने से इनकार नहीं कर सकते. याचिकाकर्ता का आरोप था कि राजधानी के सरकारी लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल ने केवल दिल्ली के निवासियों को मुफ्त एमआरआई जांच की सुविधा प्रदान की है.

दिल्ली सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया कि अस्पताल द्वारा मरीज के निवास स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है, जैसा कि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है.

मतदाता पहचान पत्र के लिए नहीं दे सकते जोर
अदालत ने कहा, 'वे (अस्पताल) यहां मतदाता पहचान पत्र के लिए जोर नहीं दे सकते...एम्स या दिल्ली के किसी अन्य अस्पताल में, आप नागरिकों को बाहर से आने (और इलाज कराने) से नहीं रोक सकते हैं.' अदालत ने कहा, 'इस अदालत का एक पूर्व का फैसला स्पष्ट करता है कि जहां तक उपचार का संबंध है, सभी नागरिकों को उनके निवास स्थान का विचार किए बिना उपचार प्रदान किया जाना चाहिए.'

दिल्ली सरकार के वकील सत्यकाम ने कहा कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कोई तथ्य नहीं है कि याचिकाकर्ता को अपना मतदाता पहचान-पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था. उन्होंने कहा कि उपलब्धता की स्थिति के अनुसार याचिकाकर्ता को एमआरआई के लिए समय दिया गया था.

एमआरआई स्कैन के लिए मिली जुलाई 2024 की तारीख
उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के बाएं घुटने का एमआरआई स्कैन भी कराया जाएगा. अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता का एमआरआई 26 दिसंबर को सुबह 11 बजे किया जाएगा. याचिकाकर्ता की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने उनका पक्ष रखा. उन्होंने तर्क दिया कि अस्पताल ने उन लोगों के खिलाफ 'भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण' अपनाया है, जो दिल्ली के निवासी नहीं थे और इसलिए याचिकाकर्ता को उनके घुटने के एमआरआई स्कैन के लिए जुलाई 2024 में एक तारीख दी गई थी.

याचिका में दावा किया गया है, 'चिकित्सक द्वारा यह बताया गया कि एमआरआई जांच की सुविधा केवल उन दिल्लीवासियों के लिए उपलब्ध है, जिनके पास दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र है और अन्य लोगों को अपने खर्चे पर जांच करानी होती है.'
(इनपुट: भाषा)

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