यौन उत्पीड़न से बच्चों के मन पर लगते हैं गहरे जख्म, जानें अदालत ने दी क्या जरूरी सलाह

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि बच्चे का मन कोमल होता है, यौन उत्पीड़न उसे गहरे जख्म दे सकता है. साथ ही कोर्ट ने इसके लिए जरूरी सलाह भी दी है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 20, 2022, 05:05 PM IST
  • बच्चों के सेक्सुअल हरासमेंट पर कोर्ट की सलाह
  • मानसिक स्थिति पर ध्यान दिए जाने की जरूरत
यौन उत्पीड़न से बच्चों के मन पर लगते हैं गहरे जख्म, जानें अदालत ने दी क्या जरूरी सलाह

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि स्कूल जाने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ितों की मानसिक स्थिति पर प्राथमिकता से ध्यान दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी घटनाएओं के दीर्घकालिक खौफनाक प्रभाव हो सकते हैं. नौंवी कक्षा की छात्रा का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न करने वाले भौतिकी विषय के शिक्षक को निचली अदालत द्वारा सुनाए अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दंड को बरकरार रखते हुए अदालत ने यह बात कही.

बहुत कोमल होती है नाबालिग की मानसिक स्थिति
अदालत ने कहा कि एक नाबालिग की मानसिक स्थिति बहुत कोमल होती है, जिस पर लंबे समय तक किसी भी बात का प्रभाव रह सकता है और वह एक विकासशील अवस्था में होती है. यौन उत्पीड़न से ऐसा मानसिक आघात पहुंचता है जो आने वाले कई वर्षों तक उसके सोचने-समझने के तरीके को प्रभावित कर सकता है.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एक पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाओं का बच्चे के सामान्य सामाजिक विकास पर असर पड़ सकता है और विभिन्न मानसिक सामाजिक समस्याओं को जन्म दे सकता है, जिसके लिए मनोचिकित्सकों की मदद की जरूरत पड़ सकती है.

'दिल्ली में नौवीं कक्षा की छात्रा का यौन उत्पीड़न हुआ'
दिल्ली स्कूल ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश और अनिवार्य सेवानिवृत्ति का जुर्माना लगाने वाले अनुशासनात्मक प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ शिक्षक ने उच्च न्यायालय का रुख किया था. याचिकाकर्ता एक निजी स्कूल में भौतिकी विषय का शिक्षक था, उस पर एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप है.

अदालत ने 19 दिसंबर को पारित आदेश में कहा, 'इस मामले के तथ्यों से पता चलता है कि शिकायकर्ता एवं नौवीं कक्षा की छात्रा का यौन उत्पीड़न हुआ. स्कूल जाने वाले बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में बच्चों की मानसिक स्थिति पर प्राथमिकता से ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति बेहद कमजोर होती है, जिस पर लंबे समय तक किसी का प्रभाव रह सकता है क्योंकि वह विकासशील अवस्था में होती है.'

अदालत ने शिक्षक की याचिका खारिज करते हुए कहा, 'बचपन में हुए यौन उत्पीड़न का दीर्घकालिक खौफनाक प्रभाव हो सकता है. यौन उत्पीड़न की घटना बच्चे को मानसिक आघात पहुंचा सकती है और आने वाले कई वर्षों के लिए उनके सोचने-समझने के तरीके को प्रभावित कर सकती है. इसका बच्चे के सामान्य सामाजिक विकास पर असर पड़ सकता है और विभिन्न मानसिक सामाजिक समस्याएं खड़ी हो सकती हैं.'
(इनपुट: भाषा)

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