उन्नाव रेप पीड़िता को कोर्ट ने दिया संरक्षण, जानिए क्या है फर्जीवाड़ा मामला

उच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता को संरक्षण प्रदान किया है. आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि पीड़िता के जन्म की तारीख में कथित फर्जीवाड़ा का क्या मामला है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 26, 2022, 07:18 PM IST
  • उन्नाव बलात्कार पीड़िता को अदालत का संरक्षण
  • क्या है जन्म की तारीख में कथित फर्जीवाड़े का मामला?
उन्नाव रेप पीड़िता को कोर्ट ने दिया संरक्षण, जानिए क्या है फर्जीवाड़ा मामला

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2017 की उन्नाव बलात्कार पीड़िता के जन्म की तारीख में कथित फर्जीवाड़ा किये जाने को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के सिलसिले में शीघ्र कार्रवाई से उसे संरक्षण प्रदान किया है.

कुलदीप सिंह सेंगर के यौन अपराध से जुड़ा है मामला
यह कथित फर्जीवाड़ा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निष्कासित नेता कुलदीप सिंह सेंगर से जुड़े बलात्कार के मामले को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (अधिनियम) की धाराओं के तहत लाने के लिए किया गया था. सेंगर को इस मामले में अदालत ने दोषी करार दिया था और वह तब से विधायक के तौर पर अयोग्य हो चुके हैं.

न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने 21 वर्षीय पीड़िता की अग्रिम जमानत अर्जी पर नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि जरूरत पड़ने पर जब कभी याचिकाकर्ता निचली अदालत में पेश होगी, याचिकाकर्ता की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाली कोई शीघ्र कार्रवाई उस अदालत द्वारा नहीं की जाएगी. साथ ही, यह निर्देश सुनवाई की अगली तारीख तक प्रभावी रहेगा.

रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का वक्त
उच्च न्यायालय ने अपने हालिया आदेश में अभियोजन को एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए छह हफ्ते का वक्त दिया और मामले की अगली सुनवाई एक मार्च के लिए सूचीबद्ध कर दी. धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के कथित अपराधों को लेकर उन्नाव के माखी पुलिस थाने में 23 दिसंबर, 2018 को भारतीय दंड संहिता की धारा 419/420/467/468/471 के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

दरअसल, बलात्कार के मुख्य मामले में एक आरोपी के पति ने दावा किया था कि याचिकाकर्ता और उसकी मां ने जन्म प्रमाणपत्र में जन्म की तारीख में फर्जीवाड़ा किया, ताकि वे पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप लगवा सकें.

उच्च न्यायालय में लंबित है कुलदीप सिंह सेंगर की अपील
अपनी अग्रिम जमानत याचिका में, याचिकाकर्ता ने कहा कि अदालत में एक आरोप पत्र दाखिल किया गया, लेकिन उसकी जान को खतरे के कारण वह समन पर जवाब देने के लिए पेश नहीं हो सकी और इसके परिणामस्वरूप उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये गये. याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता महमूद प्राचा और जतिन भट्ट कर रहे हैं.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि जांच में उसके खिलाफ कुछ भी नहीं पाया गया, लेकिन यहां निचली अदालत में पेशी पर उसे अपनी गिरफ्तारी होने की आशंका है. याचिका में कहा गया है कि पूर्व विधायक के इशारे पर उसे प्रताड़ित करने के एकमात्र मकसद से उसके खिलाफ ये आरोप लगाये गये. उन्नाव बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली सेंगर की अपील उच्च न्यायालय में लंबित है.

कुलदीप सिंह सेंगर ने 16 दिसंबर 2019 के निचली अदालत के उस आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्हें (सेंगर को) बलात्कार के मामले में दोषी करार दिया गया है. अदालत ने सेंगर को उम्र कैद की सजा सुनाई थी और उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
(इनपुट: भाषा)

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