नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही आबकारी नीति मामले में अदालत ने शनिवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की हिरासत 8 मई तक बढ़ा दी. शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने सिसोदिया को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि सबूत, प्रथम दृष्टया, अपराध के कमीशन में उनकी संलिप्तता के बारे में बहुत कुछ कहते हैं.
अदालत ने सिसोदिया को जमानत देने से किया इनकार
न्यायाधीश ने यह भी कहा था कि मनीष सिसोदिया की पत्नी की कथित चिकित्सा स्थिति उन्हें इस मामले में जमानत देने का कारण नहीं है. इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि मामले में प्रमुख गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता से इनकार करना असंभव है.
न्यायाधीश ने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ कथित अपराध मनी लॉन्ड्रिंग का गंभीर आर्थिक अपराध है और उन पर अपनी व्यक्तिगत क्षमता में अपराध करने का आरोप नहीं लगाया गया है, बल्कि आबकारी मंत्रालय देखने वाले और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने वाले एक लोक सेवक के रूप में अपनी आधिकारिक क्षमता में अपराध करने का आरोप है.
सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ा दी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की जा रही मामले में गुरुवार को इसी अदालत ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ा दी थी. ईडी ने पहले न्यायाधीश को बताया था कि सिसोदिया ने यह दिखाने के लिए फर्जी ईमेल प्लांट किए कि नीति के लिए सार्वजनिक स्वीकृति थी. ईडी ने दावा किया कि इन प्री-ड्राफ्ट ईमेल को भेजने के निर्देश दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जाकिर खान को दिए गए थे, जिन्होंने अपने इंटर्न से ईमेल भेजने के लिए कहा था.
जांच एजेंसी ने यह भी कहा था कि सिसोदिया के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए दिए गए 60 दिन अभी खत्म नहीं हुए हैं. इसने कहा कि उसे कथित घोटाले में सिसोदिया की संलिप्तता का संकेत देने वाले नए सबूत मिले हैं और जांच महत्वपूर्ण चरण में है.
(इनपुट- आईएएनएस)
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