नई दिल्ली: वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में जिला जज की अदालत ने बृहस्पतिवार को मुस्लिम पक्ष को अपना प्रत्युत्तर (जवाब) पेश करने के लिए 22 अगस्त का समय दिया. मुस्लिम पक्ष की ओर से तैयारी के लिए 10 दिन का समय मांगने पर अदालत ने उस पर विलम्ब के लिए 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
मुहम्मद शमीम और योगेंद्र प्रसाद सिंह करेंगे पैरवी
शासकीय अधिवक्ता राणा संजीव सिंह ने समाचार एजेंसी 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत को बताया कि उनके दिवंगत अधिवक्ता अभय यादव की जगह मुहम्मद शमीम और योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधु बाबू उसकी ओर से मुकदमे की पैरवी करेंगे.
मुस्लिम पक्ष ने दोनों अधिवक्ताओं को मुकदमे को समझने और तैयारी के लिए 10 दिन के अतिरिक्त समय की मांग की. इस पर अदालत ने सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तारीख नियत करते हुए मुस्लिम पक्ष पर विलंब के लिए 500 रुपये का जुर्माना लगाया. साथ ही ताकीद की कि इससे अधिक तैयारी के लिए समय नहीं दिया जाएगा.
अदालत के आदेश पर हुआ था ज्ञानवापी परिसर का सर्वे
गौरतलब है कि राखी सिंह तथा पांच अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की इजाजत देने के लिये सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दायर किया है.
इस पर अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण कराया गया था. इस दौरान हिन्दू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने उसे फौव्वारा बताया है.
अभय नाथ यादव की दिल का दौरा पड़ने से हुई थी मृत्यु
मुस्लिम पक्ष ने इस पूरे मामले को वर्ष 1991 के उपासना स्थल अधिनियम का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि इसके मद्देनजर हिन्दू पक्ष का मुकदमा सुनवाई करने योग्य नहीं है. अदालत में इसी पर सुनवाई हो रही है.
इस मामले में हिन्दू पक्ष अपनी दलीलें अदालत के समक्ष रख चुका है, जिस पर मुस्लिम पक्ष को प्रत्युत्तर (जवाब) पेश करना है. इसके लिये चार अगस्त की तारीख तय की गयी थी, मगर चार अगस्त को मुस्लिम पक्ष ने अपने मुख्य अधिवक्ता अभय नाथ यादव की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो जाने और मुकदमे से जुड़े सभी दस्तावेज अभय यादव के पास रखे होने का हवाला देते हुए 15 दिन के अतिरिक्त समय की मांग की थी. इस पर अदालत ने सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तारीख तय की थी.
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