Gandhi Jayanti 2022: हिंदी सिनेमा ने कई बार पर्दे पर मनाया गांधी का जश्न, पर देश और युवाओं के लिए फिल्मों को अच्छा नहीं मानते थे बापू

Gandhi Jayanti 2022​: हिंदी सिनेमा में बापू के किरदार को कई बार अलग-अलग अभिनेताओं द्वारा पर्दे पर पेश किया गया, वहीं दर्शकों ने भी इन फिल्मों को खूब प्यार दिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं बापू को फिल्में देखना बिल्कुल पसंद नहीं था.

Written by - Manushri Bajpai | Last Updated : Oct 2, 2022, 11:04 AM IST
  • गांधी जी को फिल्में नहीं थीं पसंद
  • पूरी जिंदगी में देखी सिर्फ दो फिल्में
Gandhi Jayanti 2022: हिंदी सिनेमा ने कई बार पर्दे पर मनाया गांधी का जश्न, पर देश और युवाओं के लिए फिल्मों को अच्छा नहीं मानते थे बापू

नई दिल्ली: Gandhi Jayanti 2022: बॉलीवुड में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi special) के लगभग 10 फिल्में बनीं हैं. कभी उनके विचारों को तो कभी आजादी के लिए उनकी लड़ाई को पर्दे पर बखूबी दिखाया गया है. जितनी बार बापू के किरदार को पर्दे पर पेश किया गया उतनी बार उन्होंने सभी लोगों को प्रेरित किया है, लेकिन बापू फिल्मों को अच्छा नहीं मानते थे. उन्हें फिल्में देखना बिल्कुल पसंद नहीं था. उनका मानना था की फिल्म देखना समय की बर्बादी है. 

पूरी जिंदी में देखी सिर्फ दो फिल्म

रिपोर्ट्स के मुताबिक बापू ने अपनी पूरी जिंदगी में सिर्फ 2 फिल्में ही देखी थी. जिसमें से एक हॉलीवुड फिल्म 'मिशन टू मॉस्को' थी और दूसरी फिल्म थी 'राम राज्य'. साल 1943 में डायरेक्टर विजय भट्ट ने फिल्म 'राम राज्य' को निर्देशित किया था. ये फिल्म देश में काफी लोकप्रिय हुई थी. महात्मा गांधी के लिए इस फिल्म का स्पेशल शो  जून 1944 को मुंबई के जुहू में आयोजित किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त महात्मा गांधी की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं थी और उन्होंने मौन रखा था. डॉक्टर्स की सलाह के बाद वे आधे घंटे के लिए फिल्म देखने पहुंचे थे,  लेक‍िन फिल्म की कहानी में वे इतने खो गए कि उन्होंने एक घंटे से ज्यादा समय हॉल में बिताया था. 

राम-सीता की कहानी बताती है फिल्म

यह फिल्म राम-सीता की कहानी पर बेस्ड थी. राम और सीता के रोल में प्रेम अदीब और शोभना समर्थ नजर आए थे. ये फिल्म उस साल की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी. इतना ही नहीं ये पहली भारतीय फिल्म थी जिसका प्रीमियर अमेरिका में हुआ था. कहते हैं कि बापू को ये फिल्म बेहद पसंद आई थी. फिल्म देखने को बाद वे बेहद खुश हुए थे.

फ‍िल्मों को अच्छा नहीं मानते थे बापू

ऐसा कहते हैं कि बापू को सिनेमा से कुछ खास लगाव नहीं था. वे फिल्मों को देश और युवाओं के लिए अच्छा नहीं समझते थे. एक सिनेमैटोग्राफ कमिटी ने इस मुद्दे पर गांधी जी का इंटरव्यू लेने कि कोशिश भी की थी पर सफल नहीं हुए.  उनकी इंटरव्यू लेने वाली बात सुनकर बापू ने कहा - 'अगर मेरे दिमाग में इंटरव्यू देने की बात होती भी तो में आपके सवालों का जवाब सही तरीके नहीं दे सकता था, क्योंकि मैं कभी सिनेमा नहीं गया हूं और न ही देखा है. बता दें कि प्रोफेसर रेचल डॉयर भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि महात्मा गांधी को उस वक्त के मशहूर कॉमेडियन एक्टर चार्ली चैपल‍िन से मिलने में भी कोई दिलचस्पी नहीं थी. वे चैपल‍िन को महज एक कॉमेडी करने वाला एक्टर मानते थे.

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