Google Doodle: पहला गाना बेच क्यों रो पड़े थे भूपेन हजारिका, भारत रत्न की जिंदगी के अनसुने किस्से

Google Doodle Bhupen Hazarika: भूपेन हजारिका ने कम्युनिकेशंस में कोलंबिया युनिवर्सिटी से पीएचडी की थी. कहते हैं कि जब मैं पढ़ाता था तो उस दौरान मेरा रुझान म्यूजिक और आर्ट की तरप बढ़ा. मुझे कला ने हाईजैक कर लिया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 8, 2022, 12:20 PM IST
  • गूगल ने भूपेन हजारिका पर बनाया डूडल
  • असम के तिनसुकिया जिले में हुा था जन्म
Google Doodle: पहला गाना बेच क्यों रो पड़े थे भूपेन हजारिका, भारत रत्न की जिंदगी के अनसुने किस्से

नई दिल्ली: Google Doodle Bhupen Hazarika: सिंगर, म्यूजिशियन, गीतकार, राइटर, डायरेक्टर, तीन नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित भूपेन हजारिका बेहद मल्टीटैलेंटेड थे. उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर गूगल ने डूडल के जरिए उन्हें ट्रिब्यूट दिया गया ताकि हर भारतवासी उनकी इस लेगेसी को एक बार फिर याद कर सके. भारत रत्न से सम्मानित भूपेन हजारिका ने 'रुदाली' जैसी फिल्म के लिए कमाल के गाने गाए हैं. उनका जन्म असम के तिनसुकिया जिले में हुआ था. 

कोलंबिया से पीएचडी

भूपेन हजारिक ने कम्युनिकेशंस में कोलंबिया युनिवर्सिटी से पीएचडी की थी. कहते हैं कि 'जब मैं पढ़ता था तो उस दौरान मेरा रुझान म्यूजिक और आर्ट की तरफ बढ़ा. मुझे कला ने हाईजैक कर लिया था. मैं नॉर्थ ईस्ट के एक गांव में पैदा हुआ, तो वहा की लोक संस्कृति से जुड़ने की वजह से मुझे ये कीड़ा लगा.'

बिस्मिल्ला खां से थे प्रभावित

भूपेन हजारिका ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके गांव में क्लासिकल म्यूजिक सीखने की कोई सुविधा नहीं थी. जब बीए/एमए करने बनारस हिंदू युनिवर्सिटी पहुंचे तो बिस्मिल्ला खां के मुरीद हो गए. उन्हें सुनने की लत भूपेन हजारिक को लग गई थी. बनारस से उनके इंडियन क्लासिकल म्यूजिक के व्याकरण की शुरुआत हुई. जब वो अमेरिका में न्यू यॉर्क गए तो जैज म्यूजिक ने भी उन्हें बहुत परेशान किया था.

असमिया फिल्म

1933 में पहली असमिया टॉकी बनी उस वक्त हजारिका बहुत छोटे थे. बता दें कि 1939 में असम की दूसरी टॉकी बनी जिसमें भूपेन हजारिका भी मौजूद थे. एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर उन्होंने काम किया. वो अपना गुरु ज्योति प्रसाद को बहुत मानते हैं. उनके पास ट्रिनिटी कॉलेज से म्यूजिक में डिग्री थी और वो पहले असमिया फिल्ममेकर भी थे. भूपेन हमेशा कहते कि ये मेरी खुशकिस्मती है कि मैंने ऐसे व्यक्ति को अपना गुरु चुना.

गाना बेचने पर रोए

भूपेन हजारिका ने कभी नहीं सोचा था कि वो कभी अपनी कला यानी अपने गानों को बेचेंगे. जब पहली बार उनका गाना बिका तो वो बेहद रोए. फिर धीरे-धीरे सब ठीक हो गया. भूपेन हजारिका एक पत्रकार बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने एमए पॉलिटिकल साइंस ली थी. वो एक वकील भी बनना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. उन्हें हमेशा असम और वहां के लोगों की चिंता लगी रहती. वो जब तक रहे उन्होंने अपने राज्य और उसकी कला संस्कृति के विकास के लिए बहुत काम किया.

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