Hindi Diwas 2022: पर्दे पर हिंदी प्रोफेसरो को दिखाया जाता है नॉन सीरियस, असभ्य होने का लगा है ठप्पा!

Hindi Diwas 2022: आपको ऐसी कई वेब सीरीज और फिल्में मिल जाएंगी जिनमें हिंदी प्रोफेसर या टीचर को पुरानी सोच, देसी, अकड़ू, खड़ूस, भोला, बेवकूफ दिखाया जाता है. जबकि असल जिंदी में हकीकत कुछ और है.

Written by - Kamna Lakaria | Last Updated : Sep 14, 2022, 11:26 AM IST
  • हिंदी प्रोफेसर का दिखाया जाता है फनी
  • नॉन सीरियस किरदार में भी आते हैं नजर
Hindi Diwas 2022: पर्दे पर हिंदी प्रोफेसरो को दिखाया जाता है नॉन सीरियस, असभ्य होने का लगा है ठप्पा!

नई दिल्ली: Hindi Diwas 2022: भारत में हमेशा से ही कल्चर को लेकर अलग सम्मान रहा है. भारतीय सभ्यता न केवल अपनी संस्कृति को सम्मान देती है बल्कि दूसरे देशों की सभ्यता को भी अपनाना जानती है. यही वजह है कि हिंदी ने संस्कृति, ऊर्दू फारसी और अंग्रेजी को बखूबी अपने अंदर समेटा है. ऐसी भाषा को बोलना और सीखना एपने आप में सम्मान की बात है. लेकिन हिंदी सिनेमा में पर्दे पर कहीं न कहीं हिंदी बोलने वालों की इमेज को खराब किया जाता है.

आपको ऐसी कई वेब सीरीज और फिल्में मिल जाएंगी जिनमें हिंदी प्रोफेसर या टीचर को पुरानी सोच, देसी, अकड़ू, खड़ूस, भोला, बेवकूफ दिखाया जाता है. बता दें कि भारत में आजादी की लड़ाई में जिस भाषा की इतनी भूमिका रही हो. जिसका इतिहास अपने आप में इतना खास हो उसे बोलने वाला और सीखने वाला बेवकूफ कैसे हो सकता है. इस सोच को बदलने की बहुत जरूरत है. चलिए आपको ऐसे ही कुछ किरदारों से मिलाते हैं-

मिस कक्कड़

'मैं हूं ना' में कॉलेज में एक तरफ मिसचांदनी हैं जो काफी मॉडर्न है. वो केमिस्ट्री पढ़ाती हैं. वहीं दूसरी ओर मिस कक्कड़ हैं जिनसे सभी दूर भागते हैं. कारण है उनका बिहेवियर वो जिसको एख बार पकड़ लें उसे जाने नहीं देती. काफी बोरिंग हैं, हिंदी पढ़ाती हैं और दिन-रात स्वेटर बुनती रहती हैं. उन्हें 'इंग्लिस' बोलना नहीं आती और वो गलत उच्चारण भी करती हैं.

प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी

फरदीन खान हे बेबी में एक टिपिकल हिंदी प्रोफेसर की भूमिका निभाते हैं. खादी का कुर्ता, तेल चुपड़े बाली, आंखों पर मोटा चश्मा. ये किरदार गाड़ी स्लो चलाता है. कोई परेशान करे तो उसका सामना नहीं कर सकता. भारी भरकम हिंदी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं जिनके लिए अलग से लोगों को एक ट्रांसलेटर लेना पड़े. मशरूम को कुकुरमुत्ता और एंजल को परी कहता है.

बाबूभाई वीरे

बिखरे बाल, मुंह में पान और बेहद स्ट्रिक्ट दिखने वाले बाबूभाई वीरे स्टैनली का डब्बा में हिंदी के टीचर बने. ऐसे वैसे टीचर नहीं बल्कि पकवान प्रेमी. उनकी भूख कभी शांत नहीं होती. वो टीचर्स से लेकर बच्चों सबका टिफिन खा जाते. उनका एटीटूयूड में बी अलग एरोगेंस नजर आती है. वैसे ऐसे टीचर से तो हर कोई खौफ खाएगा ही खाएगा.

मिस्टर कुमार

दुनिया में तरह तरह के लोग होते हैं. जब सबको अच्छाी का पाठ पढ़ाने वाले टीचर खुद ही रिश्वतखोर बन जाए तो क्या किया जा सकता है. हिंदी मीडियम में दिल्ली ग्रामर स्कूल के हिंदी टीचर इंस्पेक्शन के लिए जब राज बत्रा की झोंपड़ी में पहुंचते हैं तो कुछ ऐसा ही नजर आता है. फिर से एक बार खादी का कुर्ता एक जैकेट और मुंहफट किस्म के आदमी दिखाी देते हैं. जो फ्री में होने वाली एडमिशन के लिए 24,000 रुपए की डिमांड करते हैं.

जूही अधिकारी

इस वेब सीरीज में हिंदी के प्रोफेसर की इमेज को काफी हद तक सही मायने में ठीक करने की कोशिश की गई है. हुमा कुरैशी जो हिंदी पढ़ाती हैं इंग्लिश में भई पारंगत हैं. वो अपने स्टूडेंट्स की पढा़ई को लेकर सजग हैं और 20वीं सदी की औरत है. उन्हें बेवकूफ बनाना मुश्किल है. वहीं सोसायटी में उनकी काफी रिस्पेक्ट है. वो आधुनिक भारत में एक टिपिकल हिंदी टीचर की इमेज को खारिज करती हैं.

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