नई दिल्ली: Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है. एक तरफ पार्टी चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर काम कर रही है. वहीं चर्चा यह भी है कि बीजेपी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री के चेहरे के बिना लड़ेगी. बीजेपी की इसके पीछे रणनीति क्या है और इसका चुनाव पर क्या असर पड़ सकता है, जानिएः
मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा चुनाव?
दिल्ली में बीजेपी के लिए यह चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है. साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी लेकिन उसे आम आदमी पार्टी से हार का सामना करना पड़ा. तब भाजपा को दिल्ली में मुख्यमंत्री का चेहरा प्रस्तुत करने से कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ. ऐसे में इस बार बीजेपी चुनावी रणनीतियों में बदलाव कर रही है और अपनी शक्ति को पार्टी संगठन और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूत करने का प्रयास कर रही है.
दिल्ली में भाजपा के पास एक से एक मजबूत नेता हैं, लेकिन इनमें से कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी के लिए पेश नहीं किया जा रहा है.
केंद्र के काम और योजनाओं के सहारे प्रचार
जानकारी के अनुसार, भाजपा ने यह फैसला लिया है कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में केंद्र सरकार के काम और योजनाओं को जनता के बीच रखेगी. पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि दिल्ली के लोग पीएम मोदी की योजनाओं और उनके कार्यों से ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं, खासकर जब बात विकास, सुरक्षा और शिक्षा जैसे मुद्दों की हो.
केजरीवाल के अधूरे वादों पर होगा फोकस
बीजेपी ने यह भी तय किया है कि दिल्ली की जनता को बताया जाएगा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वे बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और सड़कों की स्थिति में सुधार करेंगे, लेकिन उन्होंने इन मुद्दों को नजरअंदाज किया. बीजेपी का मानना है कि मोदी सरकार की योजनाएं देशभर में सफलता प्राप्त कर रही हैं और इन्हें दिल्ली में लागू किया जाएगा.
बीजेपी इस बार दिल्ली में अपनी चुनावी तैयारी को पूरी तरह से नए तरीके से कर रही है. पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि बीजेपी बिना सीएम फेस के भी दिल्ली में अपनी जीत सुनिश्चित कर सकती है.
बगैर चेहरे के चुनाव लड़ने का असर क्या होगा
पार्टी का मानना है कि दिल्ली के लोग नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को पहचानते हैं और बीजेपी का राष्ट्रीय चेहरा ही उनके लिए पर्याप्त है. इसका असर यह हो सकता है कि बीजेपी का वोट बैंक आप की तरह एक मजबूत स्थानीय नेतृत्व की तलाश करने वाले मतदाताओं को आकर्षित न कर पाए. अगर बीजेपी बिना किसी प्रमुख चेहरे के चुनाव लड़ती है तो यह असमंजस की स्थिति भी पैदा कर सकता है. दूसरी ओर यह फैसला एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिष्ठा का इस्तेमाल किया जाएगा.
(स्रोतः आईएएनएस)
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