नई दिल्लीः बहुजन समाज पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार को 12 उम्मीदवारों की सूची घोषित की. बसपा कार्यालय द्वारा जारी सूची के अनुसार, पार्टी ने गाजियाबाद, अलीगढ़, मथुरा, मैनपुरी, खीरी, उन्नाव, मोहनलालगंज (अजा), लखनऊ, कन्नौज, कौशांबी (अजा), लालगंज (अजा) और मिर्जापुर सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की.
जानें किन्हें मिला टिकट
पार्टी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि नंदकिशोर पुंडीर गाजियाबाद से पार्टी के उम्मीदवार होंगे, जबकि हितेंद्र कुमार उर्फ बंटी उपाध्याय अलीगढ़ से चुनाव लड़ेंगे. पार्टी ने मथुरा से अपना उम्मीदवार बदल दिया है और अब कमलकांत उपमन्यु की जगह सुरेश सिंह चुनावी मैदान में होंगे. यहां उनका मुकाबला निवर्तमान सांसद हेमा मालिनी से होगा. इसी तरह गुलशन देव शाक्य मैनपुरी से, अंशय कालरा खीरी से, अशोक कुमार पांडे उन्नाव से और राजेश कुमार उर्फ मनोज प्रधान मोहनलालगंज (अजा) से चुनाव लड़ेंगे.
पार्टी ने राजधानी लखनऊ से सरवर मलिक, कन्नौज से इमरान बिन जफर, कौशांबी (अजा) से शुभ नारायण, लालगंज (अजा) से डॉ. इंदु चौधरी और मिर्ज़ापुर से मनीष त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. सरवर मलिक ने बसपा उम्मीदवार के रूप में लखनऊ उत्तर सीट से 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे. उनकी पत्नी शाहीन बानो ने 2023 में लखनऊ से महापौर का चुनाव लड़ा था लेकिन नाकामयाब रहीं थीं.
राजधानी में भारतीय जनता पार्टी की ओर से निवर्तमान सांसद एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक बार फिर मैदान में हैं जबकि समाजवादी पार्टी ने रविदास मेहरोत्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है. उन्नाव सीट पर चुनाव लड़ रहे अशोक पांडे हिंदी अखबारों से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार हैं. यहां उनका मुकाबला भाजपा के निवर्तमान सांसद साक्षी महाराज से होगा. पार्टी के एक नेता ने बताया कि इंदु चौधरी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से जुड़ी शिक्षाविद हैं. उन्होंने कहा कि मोहनलालगंज सीट से उम्मीदवार राजेश कुमार लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए हैं. बहुजन समाज पार्टी की यह तीसरी सूची है. पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा पहले ही कर चुकी है.
जाति कार्ड खेलने से मुकाबला हुआ रोचक
लोकसभा के पहले चरण की कई सीटों पर बसपा के जाति कार्ड खेलने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. पश्चिमी यूपी में मायावती का एक खास वोट बैंक भी है. इसके अलावा, सपा कांग्रेस से नाराज लोगों के भी बसपा की तरफ जाने की संभावना है.
पश्चिम की कई ऐसी सीटें है जहां पर बसपा की स्थिति मजबूत है. कैराना सीट से भाजपा ने अपने सांसद प्रदीप चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी ने कैराना से लगातार तीसरी बार मौजूदा विधायक चौधरी नाहिद हसन की छोटी बहन इकरा हसन को लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी की घोषणा की है. उनके परिवार का राजनीतिक रसूख ठीक ठाक है. बसपा की तरफ से श्रीपाल राणा मैदान में हैं. मुख्य मुकाबला इस बार प्रदीप, इकरा और श्रीपाल राणा के बीच ही है.
अगर चुनावी ट्रैक को देखें तो बिजनौर और आस पास की सीटों पर बसपा का असर है. उन्होंने बताया कि बिजनौर में मायावती का उम्मीदवार सबसे ज्यादा ताकतवर लग रहा है. बिजनौर सीट पिछली बार भाजपा हार गई थी. लेकिन इस बार यह सीट गठबंधन कोटे में रालोद के हिस्से में चली गई. 2019 में यहां से बसपा जीती थी. बसपा की तरफ से चौधरी विजेंद्र सिंह इस बार उतरे हैं.
सपा ने दीपक सैनी को उतारा है. ऐसे में सभी दलों से नए प्रत्याशियों के बीच इस बार मुकाबला होगा. चौधरी यहां के जाट नेता हैं. वह पहले रालोद में भी रह चुके हैं. बसपा के जाट कार्ड से इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इस सीट पर जाटों की संख्या ठीक ठाक है. मायावती ने यहां से जाट, मुस्लिम और दलित कार्ड खेला है.
उन्होंने बताया कि मुजफ्फरनगर सीट पर भाजपा ने फिर से संजीव बालियान को मौका दिया है. इस बार सपा ने हरेंद्र मलिक को उतारा है. बसपा की तरफ से दारा सिंह प्रजापति को उतारा गया है. यहां बालियान, हरेंद्र मलिक और दारा सिंह में ही मुकाबला हो सकता है. इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनता दिख रहा है.
वहीं नगीना सीट इस बार भाजपा ने ओम कुमार को टिकट दिया है. बसपा ने इस बार सुरेंद्र मैनवाल को उतारा है. सपा ने पूर्व एडीजे मनोज कुमार पर दांव लगाया है. यहां मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद. चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी से नामांकन दाखिल किया है. एसटी बाहुल्य यह सीट सुरक्षित भी है.
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