किसान सुभाष यादव का लड़का कैसे बना 'बाबा बालकनाथ', जानें पूरी कहानी

Who is Baba Balaknath: महंत बालकनाथ का जन्म राजस्थान के अलवर जिले में हुआ. वे साल 1984 में बहरोड़ के मोहराणा गांव पैदा हुए थे. उनके पिता सुभाष यादव एक किसान थे, जबकि माता उर्मिला देवी गृहिणी थीं. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Dec 5, 2023, 02:11 PM IST
  • 12वीं तक पढ़े हैं बालकनाथ
  • तिजारा से जीता है चुनाव
किसान सुभाष यादव का लड़का कैसे बना 'बाबा बालकनाथ', जानें पूरी कहानी

नई दिल्ली: Who is Baba Balaknath: राजस्थान विधानसभा के चुनाव परिणाम आ गए हैं. अब मुख्यमंत्री के दावेदारों की चर्चा जोर पकड़ रही है. इन्हीं में से एक महंत बालकनाथ भी हैं, जो अलवर की तिजारा सीट से जीते हैं. माना जा रहा है कि भाजपा हिंदुत्व के पोस्टर बॉय के तौर पर बालकनाथ को आगे कर सकती है. जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने पूरे देश में ख्याति प्राप्त की है, ठीक उसी राह पर बालकनाथ भी आगे बढ़ाए जा सकते हैं. 

कैसे बने महंत, कहां तक पढ़े
महंत बालकनाथ का जन्म राजस्थान के अलवर जिले में हुआ. वे साल 1984 में बहरोड़ के मोहराणा गांव पैदा हुए थे. उनके पिता सुभाष यादव एक किसान थे, जबकि माता उर्मिला देवी गृहिणी थीं. वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे, फिर भी उन्हें 6 साल की उम्र में अध्यात्म की पढ़ाई के लिए महंत खेतानाथ के पास भेजा गया. उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की. इसके बाद वे महंत चांद नाथ के साथ रहने लगे. यूगी भी गोरखनाथ धाम के पीठाधीश्वर थे, इसी दौरान बालकनाथ की योगी से जान-पहचान हुई. 2016 में महंत चांद नाथ की मौत के बाद योगी आदित्यनाथ के कहने पर ही बालकनाथ को मस्तनाथ पीठ का महंत बनाया गया था. योगी भी नाथ संप्रदाय से ही ताल्लुक रखते हैं. नाथ संप्रदाय में योगी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि बालकनाथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.

कैसे हुई राजनीति में एंट्री
साल 2014 में बालकनाथ के गुरु चांदनाथ को भाजपा ने अलवर से लोकसभा चुनाव में उतारा. चांदनाथ ने कांग्रेस प्रत्याशी जितेन्द्र सिंह को चुनाव हराया और सांसद बने.  फिर लंबी बीमारी के चलते महंत चांदनाथ का निधन हो गया. उपचुनाव में भाजपा ने ने यहां से जसंवत सिंह को उतरा, लेकिन वे हार गए. फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में महंत चांदनाथ के उत्तराधिकारी बाबा बालकनाथ को भाजपा ने टिकट दिया. वो यहां से विजयी हुए.

खुद को साबित किया
इसके बाद हाल एक विधानसभा चुनाव में उन्हें मुस्लिम बहुल आबादी वाली सीट तिजारा से उतारा. यहां उनका मुकाबला इमरान खान से हुआ. बालकनाथ ने 6 हजार से अधिक मार्जिन से जीत दर्ज की. लोगों में उनकी खूब लोकप्रियता है. उनके समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाह रहे हैं. 

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