नई दिल्ली. दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले राज्य तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन PMK के साथ हुआ है. PMK यानी पट्टाली मक्कल काची (Pattali Makkal Katchi). इसका हिंदी भाषा में अर्थ होगा 'कामगारों की पार्टी'. मंगलवार को बीजेपी और PMK के बीच यह तय हुआ कि NDA गठबंधन में PMK तमिलनाडु की 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. राज्य में कुल 42 लोकसभा सीटें हैं. बीजेपी तमिलनाडु समेत दक्षिण के अन्य राज्यों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है और इसी क्रम में उसने कई पार्टियों से गठबंधन भी किए हैं. PMK इसका सबसे ताजा उदाहरण है.
After PMK founder S Ramadoss and Tamil Nadu BJP President K Annamalai signed the seat-sharing agreement, K Annamalai says "It is a strong alliance. The political scenario has changed due to the decision taken by the PMK to align with the BJP-led NDA. We came to Thailapuram from… pic.twitter.com/hFRIknsPik
— ANI (@ANI) March 19, 2024
'द्रविड़ पॉलिटिक्स' के खिलाफ
इस गठबंधन में एक खास बात यह है कि जिस द्रविड़ियन पॉलिटिक्स के खिलाफ बीजेपी तमिलनाडु में अपना झंडा बुलंद कर रही है, PMK इसके खिलाफ कई दशक से अभियान चला रही है. तमिलनाडु के दिग्गज नेता एस रामदॉस (S. Ramadoss) ने इस पार्टी की स्थापना की थी. पार्टी की स्थापना साल 1989 में हुई थी और उद्देश्य था राज्य की वनियार जाति को अतिपिछड़ा यानी (Most Backward Caste) का दर्जा दिलाना. वनियास जाति का तमिलनाडु में लगभग 6 प्रतिशत वोट है.
बड़े आंदोलन से पड़ी पार्टी की नींव, पूरा राज्य कर दिया था ठप
PMK की स्थापना से ठीक दो साल पहले तमिलनाडु में एक बड़ा आंदोलन हुआ था. वनियार जाति को एमबीसी स्टेटस देने के लिए वनियार संगम नाम से इस आंदोलन ने राज्य को हिलाकर रख दिया था. करीब एक सप्ताह तक रोड ब्लॉक और हिंसा की वजह से पूरे तमिलनाडु राज्य ठप पड़ गया था. 1400 दलितों के घरों को आग लगा दी गई थी. हालत यह हुई कि उस वक्त की एमजीआर सरकार की पुलिस ने 21 प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी थी. बाद में जब राज्य में 1989 में करुणानिधि यानी डीएमके की सरकार बनी तो वनियार समुदाय को एमबीसी स्टेटस दिया गया. इसी साल PMK की स्थापना हुई और आगे वह राज्य में एक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरने लगी.
डीएमके के साथ गठबंधन
1991 में हुए विधानसभा चुनाव में पीएमके राज्य में 1 विधानसभा सीट पर जीत हासिल हुई लेकिन बाद में उसकी शक्ति बढ़ती गई. 2001 के विधानसभा चुनाव में पीएमके 20 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2004 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएमके ने डीएमके की अगुवाई वाले डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव अलायंस का दामन थाम लिया. 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद यूपीए की सरकार आई तो पीएमके को राज्य और केंद्र की सत्ता में जगह मिली. 2006 में हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में पीएमके ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन इसके बाद पार्टी 2001 और 2006 जैसी सफलता नहीं हासिल कर सकी. 2008 में डीएमके के साथ पीएमके के संबंध खराब हो गए थे. डीएमके ने पीएमके के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया. 2009 में पीएमके ने घोषणा की कि वह अब जयललिता की अगुवाई वाली एआईएडीएमके के साथ चुनाव लड़ेगी.
जयललिता के साथ अलायंस और फिर विवाद
खैर, जयललिता के साथ पीएमके के संबंध अच्छे नहीं रहे. पार्टी के संस्थापक एस. रामदॉस के बेटे और पार्टी नेता अंबुमनि रामदॉस को जयललिता ने अप्रैल 2013 में गिरफ्तार करवा दिया था. इसका कारण अंबुमनि रामदॉस के भड़काऊ भाषण थे. उस वक्त पीएमके कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए उपद्रव ने राज्य में 600 करोड़ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था.
दलित विरोधी अभियान
जयललिता ने पीएमके 'आतंकी' संगठन करार दिया था. बता दें कि एस. रामदॉस भी अपने भड़काऊ भाषणों के लिए विवादित रहे हैं. सार्वजनिक प्लेटफॉर्म्स पर भी वह विवादित बयान देने से नहीं चूकते. यही नहीं उन्होंने 2012 में एक विवादित अभियान भी चलाया था जो दलित विरोधी था. उन्होंने दलित पुरुषों की गैरदलित महिलाओं से शादी के खिलाफ अभियान चलाया था. विशेष रूप से वनियार महिलाओं से शादी के खिलाफ.
यह भी पढ़ें: जब नेहरू ने की थी अंबेडकर के खिलाफ चुनावी सभाएं, 14 हजार से अधिक वोटों से हार गए थे बाबा साहब
यह भी पढ़ें: Lok Sabha Election: अटल ने 1957 में मथुरा से लड़ा चुनाव, अपने ही विरोधी के लिए मांगे वोट... जानें किस्सा
यह भी पढ़ें: Raj Thackeray: कहानी उस मर्डर केस की, जिसने राज ठाकरे के सियासी करियर पर लगाया ब्रेक!
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.