नई दिल्लीः कोरोना संकट के दौर में दहशत का आलम तो है ही लॉकडाउन के कारण आर्थिक हालात भी खराब हो सकते हैं. तमाम दुश्वारियों के बीच भी कुछ अच्छे और सकारात्मक असर दिख ही जा रहे हैं. जैसे कि पर्यावरण का स्वस्थ हो जाना महसूस हो रहा है. हवा साफ है और नदियां बेहद निर्मल हैं.
जो काम सरकारों के बड़े-बड़े फंड से नहीं हो सके थे. वह कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से हो गए. अब इन्हीं अच्छाइयों में एक बड़ा फैक्ट ये भी सामने आ रहा है कि लॉकाडाउन के कारण देशभर में अपराध बहुत कम हो गए हैं. कई जगहों पर यह आधे से अधिक हैं तो कहीं-कहीं इनकी दर 90 फीसदी तक है.
हालांकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने इसको लेकर कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है, लेकिन राज्यों के पुलिस विभाग से मिली जानकारी के आधार पर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक समेत देश के कई राज्यों में आपराधिक घटनाओं में काफी कमी आई है.
पुलिस का कहना है कि अपराधियों में भी संक्रमण का खौफ है. इसलिए वे बाहर नहीं निकल रहे हैं.
दिल्ली में 50 फीसदी से अधिक घटे अपराध
राजधानी दिल्ली में लॉक डाउन के दौरान क्राइम ग्राफ में काफी कमी आई है. पिछले साल के मुताबिक देखें तो यह कमी लगभग आधे से अधिक की है. जो आंकड़े आ रहे हैं उसके अनुसार 15 मार्च 2020 से लेकर 31 मार्च 2020 के बीच के रिकॉर्ड में भारी अंतर पाया गया है.
साल 2019 में डकैती के 109 मामले दर्ज किए थे लेकिन इस साल 15 दिनों के अंदर 53 मामले हैं. अपहरण-फिरौती का 2019 में 1 मामला आया था, जो अभी तक 0 है. इसी तरह छिनैती के 2019 में 294 मामले आए थे. इस साल इनकी संख्या 81 है. पिछले साल घरों में चोरी के 121 मामले दर्ज हुए थे.
इस साल ये 66 ही हैं. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के मुताबिक, इस दौरान घृणित अपराधों की श्रेणी में आने वाला एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है.
यूपी में अपराध में भारी गिरावट
उत्तर प्रदेश में पाबंदियों का असर साफ दिख रहा है. प्रदेश में लूट, रेप, हत्या औरर डकैती जैसे अपराधों में 90-95 फीसदी तक गिरावट आई है. इससे पहले यूपी में हर दिन महिलाओं के खिलाफ औसतन 162 मामले दर्ज होते थे.
हालांकि, मुजफ्फनगर में इस बीच गोलीबारी की एक वारदात हुई थी. यूपी पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के पहले 6 महीने में यूपी में 19,761 आपराधिक मामले सामने आए थे. इनमें हत्या के 1,088, रेप के 1,224, शारीरिक शोषण के 4,883, अपहरण के 5,282, छेड़छाड़ के 293 और घरेलू हिंसा के 6,991 मामले शामिल थे.
वहीं, लॉकडाउन के दौरान अब तक यूपी पुलिस ने 3,710 मामले दर्ज किए. ये सभी मामले लॉकडाउन उल्लंघन से जुडे हुए हैं. इनमें 11,317 लोगों का चालान किया गया है. इनमें भी कुछ मामले कालाबाजारी के भी हैं.
महाराष्ट्र में हो रही छिटपुट वारदात
महाराष्ट्र पुलिस के आंकड़े कहते हैं कि मुंबई में अलर्ट है. हर जगह नाकाबंदी है. पहले जहां रोज चोरी, मारपीट, रेप की वारदातों के मामले दर्ज होते थे. वहीं, अब इस तरह का एक भी मामला दर्ज नहीं हो रहा है. छिटपुट वारदातों को छोडकर अपराधों में जबरदस्त कमी आई है.
सिर्फ मुंबई में धारा-188 के तहत दर्ज मामलों में 280 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं. वहीं, 25 से ज्यादा लोगों को नोटिस देकर छोड दिया गया. इसके अलावा 20 से ज्यादा आरोपियों की तलाश जारी है.
राजस्थान में अपराध में 75 फीसदी कमी
राजस्थान के 850 थानों में दर्ज मामलों की संख्या के आधार पर साफ है कि अपराध में 75 फीसदी कमी आई है. यह अब तक का सबसे कम आंकडा बताया जा रहा है. हालांकि, राजस्थान में भी लॉकडाउन के उल्लंघन के काफी मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें 3,500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
राज्य में 22 मार्च से लेकर आज तक कुल 1,750 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि इस महीने के पहले सप्ताह में 6,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध) बीएल सोनी के मुताबिक अपराधों का ग्राफ नीचे गिरा है.
एमपी-बिहार में हो रहे हैं अपराध
मध्य प्रदेश में 27 मार्च को कांग्रेस नेता की गोली मारकर हत्या की गई थी. इंदौर में डॉक्टरों पर भीड़ के हमले की खबर आई थी. इसे भी आपराधिक श्रेणी में ही रखा गया है. हालांकि इसके अलावा कोई बड़ी वारदात रिकॉर्ड नहीं हुई है. दूसरी ओर बिहार पर नजर डालें तो यहां क्राइम ग्राफ में खास कमी नहीं हुई है.
यहां खुलेआम गोलीबारी और जानलेवा हमले किए जा रहे हैं. राज्य में बीते गुरुवार को तीन अलग-अलग जगहों पर गोलीबारी हुई. इस दौरान एक पुलिस कांस्टेबल समेत दो युवकों को गोली मार दी गई.
झारखंड-पश्चिम बंगाल भी सुरक्षित
झारखंड में लॉकडाउन के बाद और पहले के एक सप्ताह के अपराध के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो काफी अंतर आया है. हत्या, अपहरण, चोरी- डकैती, लूटपाट, छीना-झपटी में बहुत कमी आई है. राजधानी में ही लॉकडाउन के एक सप्ताह पहले इस तरह के 18 मामले दर्ज किए गए.
वहीं, लॉकडाउन के बाद ऐसे अपराधों की संख्या शून्य है. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में पाबंदियों के दौरान अपराध के मामले लगभग आधे हो गए हैं. राज्य में डकैती और छेड़छाड़ जैसे मामलों में भारी गिरावट देखने को मिली है. पश्चिम बंगाल पुलिस ने कहा कि राज्य में क्राइम रेट आधा हो गया है. छीना-झपटी, चेन-खींचने, पॉकेट चोरी जैसे मामलों में भारी गिरावट दर्ज की गई है.
पश्चिम बंगाल पुलिस के मुताबिक, अगर इस साल जनवरी और फरवरी में 18 से 28 मार्च के बीच दर्ज की गई आपराधिक गतिविधियों की तुलना की जाए, तो निश्चित रूप से इस दर में 50 फीसदी तक कमी आई है.
पिछले 11 दिनों में विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज मामलों की संख्या 300 से अधिक नहीं है. वहीं, जनवरी और फरवरी में इसी अवधि में करीब 600 मामले दर्ज किए गए थे.
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कर्नाटक में सड़क हादसे हुए कम
कर्नाटक में भी अपराध में कमी देखने को मिली है. इसके साथ ही एक्सीडेंट में होने वाली मौतों में भी गिरावट आई है. ट्रैफिक पुलिस डाटा के मुताबिक, मार्च 2019 में 82 लोग मारे गए, जबकि इस साल मार्च में 52 मामले आए. लॉकडाउन के बाद सड़कों पर वाहनों में भारी कमी आई है.
ज्यादातर लोगों की मौत लापरवाही और अनदेखी से होती है. वहीं, चेन खींचने के सिर्फ बेंगलुरु में ही मार्च, 2019 में 24 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस बार एक भी नहीं है. यही नहीं, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, समेत तमाम राज्यों में अपराध का ग्राफ नीचे गिरा है.
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