नई दिल्ली: Ratha Saptami 2024: रथ सप्तमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. यह त्योहार 16 फरवरी यानी आज मनाया जाएगा. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. ये त्योहार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. रथ सप्तमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है. यदि आप पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हैं तो आप घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है. आइए जानते हैं, रथ सप्तमी का त्योहार क्यों मनाते हैं, जानें इसका महत्वः
कैसे हुई रथ सप्तमी की शुरुआत
रथ सप्तमी की शुरुआत की कथा भगवान सूर्य और उनकी दो पत्नियां संज्ञा और छाया से जुड़ी हुई है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार संज्ञा और छाया सूर्य देव के रथ पर बैठकर घूमना चाहती थीं. इसके बाद सूर्य देव ने उनकी इच्छा पूरी की और उन्हें अपने रथ पर बैठाकर स्वर्ग की यात्रा करवाई. इस दिन से रथ सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है.
रथ सप्तमी का महत्व
रथ सप्तमी के दिन सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. रथ सप्तमी को सूर्य जयंती, माघ जयंती, अचला सप्तमी और आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है. रथ सप्तमी व्रत रखने से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं.
रथ सप्तमी के पूजा का नियम
रथ सप्तमी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें. पूरे दिन व्रत रखें और सूर्य देव का ध्यान करें. शाम को सूर्यास्त के बाद व्रत खोलें. व्रत खोलने से पहले सूर्य देव की आरती करें.
रथ सप्तमी के दिन किए जाने वाले दान
रथ सप्तमी के दिन दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन गरीबों को दान-दक्षिणा देना चाहिए. भोजन और कपड़े अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करना भी शुभ माना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)