नई दिल्लीः हनुमान जी मनुष्य के जीवन के समस्त कष्ट को हरने वाले देवता माने जाते हैं. हर युग में किसी न किसी अवतार में इन्हें देखा गया है. आचार्य विक्रमादित्य आपको बता रहे हैं कि हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप की पूजा क्यों करनी चाहिए.
'संकटों से घिरे हैं तो पंचमुखी हनुमान की शरण में जाएं'
मान्यता है कि जब मनुष्य चारों तरफ से संकट से घिर जाए या उसे अपने संकट से निकलने का कोई रास्ता ना सूझ रहा हो तो उसे पंचमुखी हनुमान की शरण में जाना चाहिए. पंचमुखी हनुमान की पूजा से मारक ग्रह के संकट तक से बचा जा सकता है.
पंचमुखी रूप, हनुमान जी का सबसे शक्तिशाली स्वरूप माना गया है. इस स्वरूप को हनुमान जी ने रावण से युद्ध के समय उसकी माया को खत्म करने के लिए धारण किया था. पुराणों में बजरंगबली के पंचमुखी स्वरूप धारण करने की पौराणिक कथा भी वर्णित है.
पंचमुखी रूप धारण करने की वजह
हनुमान जी के पंचमुखी रूप धारण करने के पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसके मुताबिक जब राम के साथ युद्ध में रावण को अपनी हार का आभास हुआ तो उसने अपने भाई अहिरावण से मदद मांगी. तब अहिरावण ने माया जाल से श्रीराम की पूरी सेना को सुला दिया और राम-लक्ष्मण को बंधक बनाकर पाताल लोक में लेकर चला गया. जब सभी को होश आया तो विभीषण इस पूरी चाल को समझ गए और उन्होंने हनुमानजी को पाताल लोक जाने को कहा.
पाताल लोक पहुंचे थे हनुमान
हनुमान जी श्रीराम और लक्ष्मण की तलाश में पाताललोक जा पहुंचे थे, जहां उन्होंने सबसे पहले मकरध्वज को हराया और फिर अहिरावण से भिड़ने जा पहुंचे, लेकिन अहिरावण ने 5 दिशाओं में दीए जला रखे थे और उसे वरदान था कि जो भी यह 5 दीए एक साथ बुझा देगा वही उसका वध कर पाएगा. तब ऐसी परिस्थिति देख हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था और दीए बुझाकर अहिरावण का वध कर दिया था.
हनुमानजी का पंचमुखी अवतार का अर्थ
हनुमानजी के पंचमुखी अवतार में पहला मुख वानर, दूसरा गरुड़, तीसरा वराह, चौथा अश्व और पांचवां नृसिंह का है. पंचमुखी रूप द्वारा हनुमान जी अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं और हर मुख का अपना अलग महत्व है.
- पहले वानर मुख से सारे दुश्मनों पर विजय मिलती है.
- दूसरे गरुड़ मुख से सारी परेशानियां दूर होती हैं.
- तीसरे उत्तर दिशा के वराह मुख से प्रसिद्धि, शक्ति और लंबी आयु मिलती है.
- चौथे नृसिंह मुख से मुश्किलें, तनाव और डर दूर होते हैं.
- पांचवें अश्व मुख से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
पंचमुखी हनुमान जी की पूजा के लाभ क्या हैं?
- पंचमुखी हनुमान जी की पूजा करने से कई लाभ भक्तों को मिलते हैं. जिस घर में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति होती है उस घर में वास्तु दोष नहीं होता है. इस मूर्ति को घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए.
- यदि किसी जातक का कोर्ट कचहरी में मामला चल रहा है तो उस केस को जीतने के लिए पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से कोर्ट का निर्णय पक्ष में आएगा.
- किसी परीक्षा अथवा नौकरी के लिए साक्षात्कार में सफलता हासिल करने के लिए पंचमुखी हनुमान को लड्डू, अनार या किसी अन्य फल का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
- पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का अत्यंत लाभ मिलता है. कहते हैं अगर घर में पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर लगाकर पूजा की जाए तो मंगल, शनि, पितृ व भूत दोष से मुक्ति मिल जाती है.
- ध्यान रखें कि यह प्रतिमा या तस्वीर दक्षिण दिशा में ही लगानी चाहिए. साथ ही इनकी पूजा से जीवन में आने वाले हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं.
पंचमुखी हनुमानजी के सामने किन मंत्रों का जाप करें?
मंगलवार को पंचमुखी हनुमान के दर्शन और मंत्रों का जाप करने से बुरी नजर से बचा जा सकता है और मंगल और शनि के दोष भी दूर हो सकते हैं. अलग-अलग परेशानी के लिए विभिन्न हनुमान मंत्रों का जाप करना चाहिए. मंगलवार को पंचमुखी हनुमान की पूजा करने के बाद, अगर कुछ मंत्रों का जाप किया जाए तो हर समस्या का समाधान हो सकता है.
- अगर किसी प्रकार का डर आपके मन में बैठ गया है तो इस मंत्र का जाप करें.
हं हनुमते नमः
- बुरी नजर का असर हो तो इस मंत्र का जाप करें.
हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबलः.
अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते.
- अगर आपकी कोई इच्छा अधूरी है तो उसे पूरा करने के लिए मंत्र.
ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट.
- कर्ज से परेशान हैं तो इस मंत्र का जाप करें.
ऊं नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा.
- संकटों से बचने के लिए इस मंत्र का जाप करें.
ऊं नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा.
जाप करने के नियम
- सुबह नहाकर साफ कपड़े पहनकर एक लाल कपड़े पर हनुमान की पंचमुखी मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
- हनुमानजी की पूजा करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं जो जाप के अंत तक जलता रहे.
- इसके बाद समस्या के अनुसार ऊपर दिए गए मंत्र में से किसी 1 का जाप करना शुरू करें. रुद्राक्ष की माला से कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें.
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