नई दिल्ली. National Legal Services Day देश की न्यायपालिका में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद 13 अगस्त 2022 का दिन ऐतिहासिक तौर पर याद रखा जायेगा. क्योंकि देशभर की अदातलों में एक ही दिन में 1 करोड़ से अधिक मुकदमों को निस्तारित किया गया था. एक ही दिन में मुकदमों के निस्तारण की ये एक ऐसी संख्या है जिसे लेकर कभी कहा जाता था ये असंभव और नामुमकिन हैं.
लेकिन ये मुमकिन हुआ और देश की न्यायपालिका पर सालों से पेडेंसी को लेकर खड़े किए जाने वाले सवालों का मुकम्मल जवाब भी मिला. नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर जस्टिस यू यू ललित ने अपने कार्यकाल की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत में इस असंभव को भी संभव करके दिखा दिया था.
प्रकृति कभी कभी अपने कुछ उद्देश्यों के लिए कुछ इंसानो का चयन खुद ही करती हैं. देश की न्यायपालिका में नालसा की स्थापना हुए 27 वर्ष हो चुके हैं. ये एक इत्तेफाक भी हैं कि देश में 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता हैं और उसी दिन जस्टिस उदय उमेश ललित का भी जन्मदिन होता हैं. आज 9 नवंबर को जब नालसा अपने 27 वर्ष पूर्ण कर रहा है, इसके साथ जस्टिस ललित अपने 65 वें जन्मदिन पर अपने न्यायिक जीवन से सेवानिवृत्त हो गए है.
ऐसे हुई विधिक सेवा दिवस की शुरुआत
न्यायपालिका में 9 नवंबर 1995 का दिन एक नए युग की शुरुआत था. इसे न्यायपालिका में अदालतों की सफलता का दूसरा दरवाजा खोलने की बात भी कही जा सकती हैं. जब समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को उनके अधिकारों और कानून के प्रति सशक्त बनाने, कानूनी साक्षरता के जरिए उनमें जागरूकता प्रदान करने के उद्देश्य से देश में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना की गयी.
भारत के संविधान अनुच्छेद 39 ए और उसकी समिति द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा कानून सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 को अधिनियमित किया गया था. इस अधिनियम को 1994 के संशोधन अधिनियम के बाद 9 नवंबर 1995 में लागू किया गया. इसके बाद से मुख्य अधिनियम के लिए कई संशोधन पेश किए. इस अवसर को मनाने के लिए पहली बार 1995 में राष्ट्रीय कानूनी विधिक सेवा दिवस मनाया गया था. तब से ही 9 नवंबर को प्रतिवर्ष विधिक सेवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
स्थापना के बाद से ही यह प्राधिकरण लगातार अपने उद्देश्य में सफल हो रहा है, लेकिन पिछले दो वर्ष में इस प्राधिकरण ने जिस तरह से देश के अंतिम छोर से लेकर सीमा तक स्थित गांव कस्बों तक अपनी पहुंच बनायी हैं. इससे देश में विधिक सेवा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की उम्मीद पैदा कर की है.और ये सब कुछ संभव हुआ है सेवानिवृत सीजेआई जस्टिस उदय उमेश ललित के इस प्राधिकरण कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद के किए गए प्रयासों से.
जस्टिस ललित ने कैसे बदली तस्वीर
देश के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी सुप्रीम कोर्ट जज ने कारगिल से लेकर कन्याकुमारी और कच्छ से माणा तक का सफर किया था. जस्टिस ललित पहले सुप्रीम कोर्ट जज रहे जो कारगिल में बेहद कम तापमान में आयोजित विधिक सेवा शिविर के कार्यक्रम में शामिल हुए. 15 अक्टूबर 2021 को जस्टिस ललित ने वहां पर वाहन रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया था. जबकि 31 अक्टूबर 2021 को कन्याकुमारी में मेगा लीगल सर्विस कैंप का उद्घाटन करने पहुंचे थे. जस्टिस ललित ने भारत और तिब्बत की सीमा पर और बद्रीनाथ से 3 किमी ऊंचाई पर बसे भारत के आखिरी गांव माणा तक भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने नालसा चेयरमैन के रूप में देश के 18 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा किया.
3 वर्ष में 2 करोड़ से अधिक मुकदमों का निस्तारण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालतों ने इस प्राधिकरण की पहचान को घर घर तक पहुंचाया है. पिछले तीन वर्षो में ही प्राधिकरण ने लोक अदालतों के जरिए 3 करोड़ से अधिक मुकदमों का निस्तारण किया है. ये देश की न्यायपालिका के बड़ी राहत हैं. कोविड काल में बेशक नालसा भी स्थिर गति से बढ़ता रहा. लेकिन जस्टिस ललित के कार्यकाल में ये अपनी सर्वोत्तम स्थिति में पहुंचा.
वर्ष 2020 में पूरे वर्ष में दो राष्ट्रीय लोक अदालत में करीब 20 लाख मुकदमे ही निस्तारित हो पाए थे. जस्टिस ललित की नियुक्ति के बाद वर्ष 2021 की 3 राष्ट्रीय लोक अदालतों में ही कुल 1 करोड़ 27 लाख से अधिक प्रकरणों का निस्तारण किया गया.जिसमें 55 लाख से अधिक मुकदमों कई वर्षो से अदालतों में लंबित मुकदमे थे.
जस्टिस ललित के नेतृत्व में वर्ष 2022 में अब दो राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया गया था. इन लोक अदालतों में रिकॉर्ड 1 करोड़ 73 लाख से अधिक मुकदमों का निपटारा किया गया हैं. इन राष्ट्रीय लोक अदालतों में निस्तारित हुए मुकदमों की संख्या देश की अदालतों में लंबित कुल मुकदमों का करीब 36.19 प्रतिशत थी.
जस्टिस ललित के नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष रहते हुए 5 राष्ट्रीय लोक अदालतों कुल 2 करोड़ 96 लाख से अधिक मुकदमों का निस्तारण किया गया. इनमें 1 करोड़ 90 लाख से अधिक प्री लिटिगेशन के मुकदमे शामिल है जो अदालतों तक पहुंचने से पहले ही निस्तारित किये गये. इस तरह देश की अदालतों में मुकदमों की एक बड़ी संख्या पहुंचने से पूर्व ही निस्तारित कर दी गयी हैं.जिससे ना केवल अदालतों पर आने वाला बोझ कम हुआ है बल्कि इन केसो से जुड़े करोड़ लोग भी लाभान्वित हुए हैं.
31 जुलाई को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की प्रथम आल इंडिया मीट के समापन समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस ललित ने कहा था कि अगर हम खुद पर यकीं रखते हुए अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते है तो इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं होता हैं.
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