Narak Chaturdashi की पूजा के समय इन 7 बातों का अवश्य रखें ध्यान, खत्म होगी दरिद्रता

Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है. नरक चतुर्दशी के दिन इस लोटे का जल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 24, 2022, 08:20 AM IST
  • नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय दीये जलाए जाते हैं
  • यमराज की पूजा कर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है.
Narak Chaturdashi की पूजा के समय इन 7 बातों का अवश्य रखें ध्यान, खत्म होगी दरिद्रता

नई दिल्ली: नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला एक त्यौहार है. इसे नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान है. नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय दीये जलाए जाते हैं. इस दिन यमराज की पूजा कर अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है.

नरक चतुर्दशी पूजन विधि

1.  नरक चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले स्नान करने का महत्व है. इस दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए, उसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा (औधषीय पौधा) को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाएं.

2.  नरक चतुर्दशी से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष की अहोई अष्टमी के दिन एक लोटे में पानी भरकर रखा जाता है. नरक चतुर्दशी के दिन इस लोटे का जल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की परंपरा है. मान्यता है कि ऐसा करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है.

3.  स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें. ऐसा करने से मनुष्य द्वारा वर्ष भर किए गए पापों का नाश हो जाता है.

4.  इस दिन यमराज के निमित्त तेल का दीया घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाएं.

5.  नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय सभी देवताओं की पूजन के बाद तेल के दीपक जलाकर घर की चौखट के दोनों ओर, घर के बाहर व कार्य स्थल के प्रवेश द्वार पर रख दें. मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी सदैव घर में निवास करती हैं.

6.  नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहते हैं इसलिए रूप चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए ऐसा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है.

7.  इस दिन निशीथ काल (अर्धरात्रि का समय) में घर से बेकार के सामान फेंक देना चाहिए. इस परंपरा को दारिद्रय नि: सारण कहा जाता है. मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के अगले दिन दीपावली पर लक्ष्मी जी घर में प्रवेश करती है, इसलिए दरिद्र यानि गंदगी को घर से निकाल देना चाहिए.

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