Krishnapingala Sankashti Chaturthi: कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी आज, ऐसे करें श्री गणेश को खुश, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

Krishnapingala Chaturthi: आषाढ़ महीना शुरू हो गया है और इसकी पहली चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. बता दें कि महीने में दो बार चतुर्थी आती है. कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी है, तो वहीं शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. पढ़िए खबर विस्तार से...

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 25, 2024, 07:56 AM IST
Krishnapingala Sankashti Chaturthi: कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी आज, ऐसे करें श्री गणेश को खुश, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2024: आषाढ़ महीना शुरू हो गया है और इसकी पहली चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. बता दें कि महीने में दो बार चतुर्थी आती है. कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी है, तो वहीं शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. जैसा कि अभी आपको बताया कि आषाढ़ महीना की पहली चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. तो आइए जानते हैं कि कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी का क्या महत्व होता है और कैसे इस चतुर्थी का व्रत रखा जाता है.

आषाढ़ महीना की पहली चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. यह चतुर्थी भगवान गणेश के एकदंत स्‍वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन विधि विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति के सारे दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आर्थिक तंगी से लेकर गृह क्लेश जैसे बड़ी समस्या का भी नाश हो जाता है. 

बता दें कि कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी की तिथि 24 और 25 जून की मध्य रात्रि 01:23 पर शुरू होगी और 25 जून की देर रात 11:10 पर समाप्‍त होगी. पंचांग के अनुसार, कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी का व्रत मंगलवार यानी कि 25 जून कोई रखा जाएगा. क्योंकि  चतुर्थी तिथि के दिन चंद्र देव की भी पूजा की जाती है. इस बार संकष्‍टी चतुर्थी के लिए चंद्रोदय का समय रात 10:23 है. 

गणेश जी की पूजा विधि
एकदंत श्री गणेश जी की कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि विधान और सच्चे मन से पूजा करनी चाहिए. इसके लिए संकष्‍टी चतुर्थी व्रत के दिन स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र पहने. इसके बाद पूजा स्थल (घर में विराजमान मंदिर) को गंगाजाल छिड़ककर अच्छे से साफ करें. इसके बाद लाल रंग के वस्त्र में भगवान गणेश जी की प्रतिमा या फिर तस्वीर स्थापित करें.

श्री गणेश जी की हल्दी, कुमकुम का तिलक लगाएं. फूल माला, फल, मोदक, लड्डू अर्पित करें. इसके बाद देसी घी का दीपक जलाकर सच्चे मन से उन्हें याद करें और उनके चरणों में अपना शीश झुकाएं. इसके बाद संकष्‍टी चतुर्थी कथा का पाठ करें. गणेश जी के मंत्रों जाप करें. शाम को फिर से गणेश जी को भोग लगाएं और आखिर में गणेश जी की आरती जरूर करें. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.

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