नई दिल्ली: छठ के व्रत की तरह ही जितिया व्रत से एक दिन पूर्व नहाय-खाय किया जाता है. इसमें व्रती स्नानादि और पूजा-पाठ के बाद भोजन ग्रहण करती है और अगले दिन निर्जला उपवास रखती हैं. इसीलिए नियम के तहत नहाय-खाय के दिन भूलकर भी लहसुन-प्याज, मांसाहार या तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए.
इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए
जितिया का व्रत यदि आपने आरंभ कर दिया है तो उसे हर साल रखना चाहिए. इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. मान्यता है कि पहले सास इस व्रत को करती है. उसके बाद घर की बहू द्वारा यह व्रत किया जाता है.
अन्य व्रत की तरह जितिया के व्रत में भी ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है. इसके साथ ही मन में भी किसी प्रकार का बैरभाव नहीं रखना चाहिए. इस दौरान लड़ाई-झगड़े से भी दूर रहना चाहिए.
व्रत में जल का एक बूंद भी ग्रहण न करें
जितिया का व्रत के दौरान आचमन करना भी वर्जित माना जाता है. इसलिए जितिया व्रत में जल का एक बूंद भी ग्रहण न करें. जितिया व्रत के नियम पूरे तीन दिनों के लिए होते हैं. पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इसलिए तीसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करने और पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत का पारण करें.
ध्यान रखें ये बातें
व्रत हमेशा शांत मन से करें और व्रत के दिन मन में बुरे विचार या बुरे वचन न बोलें. व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म की शुद्धता बेहद जरूरी है. कलह और झगड़े से व्रत खंडित हो सकता है. व्रत पहली बार अगर आप निर्जला रख रही तो आजीवन इसे निर्जला रखना होगा. व्रत के दिन बच्चों के साथ समय गुजारें और उन्हें जितिया की कथा सुनाएं. क्योंकि इसके बिना व्रत का पुण्य फल नहीं मिलेगा.
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