नई दिल्ली. आज देशभर में बाई दूज का पावन पर्व मानाया जा रहा है. भ्रातृ द्वितीया (भाई दूज) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं. हिंदूओं के प्रमुख त्योहार में भाईदूज का भी बहुत महत्व है. इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती हैं. वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है. भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी होता है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में त्यौहार बिना रीति रिवाजों के अधूरे हैं. हर त्यौहार एक निश्चित पद्धति और रीति-रिवाज से मनाया जाता है. 27 अक्टूबर 2022, गुरुवार को भाई दूज के अवसर परबहनें दोपहर 11 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक शुभ मुहूर्त में भाइयों को तिलक लगा सकती है. इस दिन करीब 1 घंटे 31 मिनट तक शुभ समय है.
रीति रिवाज़ और पूजा विधि
1. भाई दूज के मौके पर बहनें, भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती है. इसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन,फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए.
2. तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनायें.
3. चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाए और शुभ मुहूर्त में बहनें उनका तिलक करें.
4. तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें.
5. तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें.
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