Global Energy Monitor report: सांसे बचाने के लिए फौरन लेना है फैसला, लेकिन दुनियाभर में उठाया जा रहा ये आत्मघाती कदम
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Global Energy Monitor report: सांसे बचाने के लिए फौरन लेना है फैसला, लेकिन दुनियाभर में उठाया जा रहा ये आत्मघाती कदम

Earth saving project: दुनियाभर में कोयले से चलने वाले नए प्लांट बनाने में कमी आई है, लेकिन मौजूदा वक्त में जितना कोयला इस्तेमाल हो रहा है, वह चिंताजनक है.

सांकेतिक तस्वीर

Global Energy Monitor Report: दुनियाभर में कोयले से चलने वाले नए प्लांट (Coal Plant) बनाने में कमी आई है, लेकिन मौजूदा वक्त में जितना कोयला इस्तेमाल हो रहा है, वह चिंताजनक है. कोयले को जलाने (Coal Burning) से हो रहे कार्बन उत्सर्जन (Carbon emissions) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की बढ़ती वैश्विक आवश्यकता के बीच, ये खुलासा हुआ है कि कोयले को जलाने की वैश्विक क्षमता निर्णायक स्तर तक कम होने के बजाए हकीकत में तेजी से बढ़ी है.

चीन ने बढ़ाई चिंता

ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (Global Energy Monitor ) की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में कोयले के बेड़े में 19.5 गीगावाट की वृद्धि हुई. लगभग सभी नई कोयला परियोजनाएंं चीन में थीं. दुनियाभर में कोयले से बनने वाली बिजली में 2021 में 18 गीगावॉट की वृद्धि हुई. बीते एक साल के मुकाबले दिसंबर में दुनियाभर में 176 गीगावॉट अतिरिक्त बिजली उत्पादन पर काम चल रहा था. इस वृद्धि में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी चीन की है. दुनियाभर के नए कोल प्रोजेक्ट्स की घोषणाओं में चीन का हिस्सा 92 प्रतिशत है. आपको बताते चलें कि ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर एक ऐसा संगठन है जो दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के ऊर्जा उत्पादों को ट्रैक करता है.

करो या मरो की स्थिति: रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोयला जलाने की घटनाओं में 1 फीसदी की बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब दुनिया को जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने कोयले के बेड़े को साढ़े चार गुना तेजी से खत्म करने की जरूरत है. 2021 में, दुनिया भर के देशों ने वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फ़ारेनहाइट) तक सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए कोयले के उपयोग को चरणबद्ध करने का वादा किया था, जो पूरा नहीं हुआ.

अंतर-सरकारी पैनल और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अगर हम ग्लोबल वार्मिंग को रहने योग्य स्तर तक सीमित रखना चाहते हैं, तो इसके दो ही उपाय हैं. कोयले से चलने वाले नए प्लांट न बनाए जाएं और मौजूदा वक्त में जो प्लांट चल रहे हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से तेजी से बंद कर दिया जाए. चैंपियनवॉ ने कहा कि अमीर देशों को 2030 तक इस लक्ष्य को हासिल कर लेना होगा, वहीं बाकी सभी देशों को भी 2040 तक इस पर अमल करना होगा.

यूरोप महाद्वीप के देश कार्बन उत्सर्जन रोकने को लेकर ज्यादा संवेदनशील हैं. क्योंकि दुनिया के सिर्फ इसी हिस्से में कोयले के उपयोग में बेहद मामूली इजाफा हुआ है. दुनिया भर में लगभग 2500 पावर प्लांट्स के साथ, वैश्विक स्तर पर होने वाले एनर्जी प्रोडक्शन में कोयले की बहुत बड़ी भूमिका है. हालांकि बॉयो फ्यूल, न्यूक्लियर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी यानी नवीकरणीय ऊर्जा के चलन पर जोर दिया जा रहा है लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

दुनिया उस नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है, जहां प्रदूषण की जहरीली सांसों से इंसानों को बचाने के लिए फौरन कड़े कदम उठाने की जरूरत है.

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