US की डबल स्टैंडर्ड वाली बीमारी बहुत पुरानी! क्या इजरायल UNSC के प्रस्ताव को मानेगा?
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US की डबल स्टैंडर्ड वाली बीमारी बहुत पुरानी! क्या इजरायल UNSC के प्रस्ताव को मानेगा?

Israel Hamas War: 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के आतंकियों ने हमला किया था. इस हमले के बाद से अमेरिका ने बिना शर्त इजरायल का समर्थन किया. इजरायल की तरफ से गाजा पर किए गए जवाबी हमले के बाद भी अमेरिका अपने दोस्त इजरायल के साथ खड़ा रहा है.

US की डबल स्टैंडर्ड वाली बीमारी बहुत पुरानी! क्या इजरायल UNSC के प्रस्ताव को मानेगा?

Israel Hamas War: 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के आतंकियों ने हमला किया था. इस हमले के बाद से अमेरिका ने बिना शर्त इजरायल का समर्थन किया. इजरायल की तरफ से गाजा पर किए गए जवाबी हमले के बाद भी अमेरिका अपने दोस्त इजरायल के साथ खड़ा रहा है. लेकिन अब पहली बार ऐसा हुआ है जब अमेरिका ने इस मुद्दे पर इजरायल को अकेला छोड़ दिया है. वो भी UNSC में..जंग के बीच पहली बार गाजा में युद्धविराम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में प्रस्ताव पारित हुआ है. UNSC की बैठक के दौरान 15 में से 14 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि अमेरिका ने वोटिंग से दूरी बना ली. यानि अमेरिका वोटिंग से ABSENT रहा.

इससे दो बात बिल्कुल साफ है...

पहली बड़ी बात ये कि अमेरिका ने इस बार UNSC में अपना स्टैंड बदला है... इस बार उसने पिछले 3 बार की तरह अपने वीटो का इस्तेमाल नहीं किया. दूसरी बड़ी बात ये कि अमेरिका ने यूएन में इजरायल का साथ नहीं दिया. जो इजरायल के लिए बड़ा झटका है. क्योंकि इजरायल और अमेरिका की दोस्ती बहुत गहरी है. मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान के दौरान गाजा में सीजफायर के लिए ये प्रस्ताव लाया गया था. जिसपर बैठक के दौरान 15 में से 14 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और अमेरिका इससे दूर रहा. 

इजरायल और हमास में ठनी

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी UNSC में जो प्रस्ताव पारित किया गया है, उस प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि सभी बंधकों को बिना शर्त रिहाई दी जाए. साथ ही गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए सभी बाधाओं को हटाने की बात भी इस प्रस्ताव में हैं. दुनिया के कई देश और संस्थाएं ये मांग कर रहे हैं कि इजरायल गाज़ा में सीजफायर करें. लेकिन इजरायल और हमास में ठनी हुई है. यानि ना इजरायल पीछे हटने को तैयार है और ना हमास के आतंकी इससे पहले सीजफायर वाले प्रस्ताव पर अमेरिका 3 बार UNSC में वीटो लगा चुका है. लेकिन इस बार अमेरिका का स्टैंड इजरायल के लिए बडा SET BACK बनकर आया है.

क्या इजरायल इस प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य है?

अब सवाल है कि आगे क्या होगा और क्या इजरायल इस प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य है. इसके लिए हमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 25 को समझना होगा. UNSC के प्रस्तावों को अंतरराष्ट्रीय कानून माना जाता है, सदस्य देशों के लिए इनका पालन करना जरूरी होता है. UNSC में पास हर प्रस्ताव UN चार्टर के अनुच्छेद 25 के तहत यूएन के हर सदस्य पर बाध्य होता है. यानि उसे इसका पालन करना ही होता है, लेकिन इसके बावजूद कोई देश इसे नजरअंदाज भी कर सकता है. ऐसे स्थिति में सुरक्षा परिषद एक नया प्रस्ताव पास कर सकती है. जिसमें उस देश के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते है.

इजरायल के लिए कोई नई बात नहीं

सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को नजरअंदाज करना इजरायल के लिए कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी इजरायल सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को अनदेखा कर चुका है. वर्ष 2016 में जब बराक ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति थे तब सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पास हुआ था जिसके तहत फिलिस्तीन में मौजूद israeli settlements को गैरकानूनी घोषित किया गया था, उस वक्त इजरायल ने इस प्रस्ताव को नहीं माना था. वैसे ये साफ है कि इजरायल पर अगर UNSC में कोई कड़ा प्रस्ताव आता है तो अमेरिका उसे वीटो कर देगा.

इजरायल को मानना ही पड़ेगा..

UNSC में इस प्रस्ताव को पास हुए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए है और अभी से इस प्रस्ताव की भाषा और इसके असर को लेकर सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों में बहस छिड़ गई है. चीन, रूस, अल्जीरिया और फ्रांस का कहना है कि इस प्रस्ताव को इजरायल को मानना ही पड़ेगा, लेकिन अमेरिका ने साफ कहा है कि इस प्रस्ताव को मानने के लिए इजरायल बाध्य नहीं है.

सच्चे दोस्त को धोखा दे दिया?

अब सवाल है कि आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि अमेरिका ने इजरायल जैसे सच्चे दोस्त को धोखा दे दिया? जो अमेरिका इजरायल की सैनिक कार्रवाई को सही बताता था, उसका अचानक से इजरायल से मोह भंग कैसे हो गया ? 7 अक्टूबर के हमले के बाद से अबतक बाइडेन ने सात बार इजरायल का दौरा किया, नेतन्याहू से मुलाकात की. लेकिन इजरायल को लेकर पांच महीने में बाइडेन के विचार और व्यवहार सब बदल गया है, अब अमेरिका को गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाई उचित नहीं लगती.

अमेरिका अब इजरायल से हाथ छुड़ा क्यों रहा है?

सवाल ये कि अमेरिका अब इजरायल से हाथ छुड़ा क्यों रहा है? जानकार, इजरायल और अमेरिका के रिश्तों में आई इस दरार की कई वजह मानते हैं. सबसे बड़ी वजह ये कि अमेरिका को लगने लगा है, कि इजरायल अब उसकी सलाह को दरकिनार कर रहा है. इससे उसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि खराब हो रही है. इसके अलावा इजरायली हमलों में गाजा में 30 हज़ार मौतें हो चुकी हैं. ज्यादातर मौतें अमेरिकी हथियारों के हमलों से हुई हैं. जबकि कुछ वक्त पहले तक अमेरिका, हमास के खिलाफ इजरायल की जंग की तारीफ कर रहा था.

अमेरिका अब चाहता है कि इजरायल गाजा में हमलों को बंद कर दे..

इजरायल की कार्रवाई का समर्थन करने वाला अमेरिका, अब चाहता है कि इजरायल गाजा में हमलों को बंद कर दे. क्योंकि, इससे गाजा के आम लोगों को नुकसान पहुंच रहा है. इसके पीछे एक वजह घरेलू दबाव है. दरअअसल, इसी महीने अमेरिका की PEW रिसर्च ने अमेरिका में इजरायल-हमास युद्ध को लेकर एक सर्वे किया था. जिससे पता चलता है कि कैसे अमेरिका नागरिक इस युद्ध को लेकर पूरी तरह बंटे हुए हैं. अमेरिका के 38 फीसदी लोगों का मानना था कि इजरायल का युद्ध लड़ने का तरीका सही है. 34 फीसदी का मानना था कि जिस तरह इजरायल युद्ध लड़ रहा है उसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता. वहीं 22 फीसदी लोग ऐसे थे, जिन्होंने सर्वे में कोई ऑपिनियन नहीं दिया.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव

इसी वर्ष नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं. ऐसे में बाइडेन को दोनों वर्गों को अपने पक्ष में रखना मजबूरी है, इसलिए जानकार मानते हैं कि इजरायल-गाजा युद्ध को लेकर बाइडेन बैलेंस बनाना चाहते हैं. इसलिए बाइडेन के सुर वक्त के साथ बदलते जा रहे हैं. इजरायल, अमेरिका का करीबी सहयोगी है. लेकिन मीडिल ईस्ट के कई मुस्लिम देश भी अमेरिका के मिलिट्री पार्टनर हैं. इनमें सऊदी अरब, कतर, जॉर्डर और यूएई जैसे देश शामिल हैं. जहां अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं. अमेरिका इन देशों को भी नाराज नहीं करना चाहता..यही वजह है कि एक तरफ अमेरिका इजरायल की सैन्य मदद कर रहा है तो दूसरी तरफ उससे दूरी बना रहा है.

अमेरिका को सिर्फ अपना फायदा दिखता है

अमेरिका को सिर्फ अपना फायदा दिखता है और जहां उसे लगता है कि उसे कोई फायदा नहीं है वहां अमेरिका रास्ता बदल लेता है. अमेरिका के double standard का इतिहास बहुत पुराना है. ठीक उसी तरह से इजरायल का भी कभी नहीं झुकने का इतिहास रहा है. इजरायल अपने हर मिशन को पूरा करके ही दम लेता है और दुनिया ने ऐसा पहले होते हुए देखा भी है. हमास के खिलाफ चल रही जंग को लेकर भी उसका FULL AND FINAL का इरादा है. ऐसे में इजरायल इस प्रस्ताव को मानेगा इसकी संभावना ना के बराबर है. अगर इजरायल इस प्रस्ताव को मानता है, तो उसपर ही सवालिया निशान लग जाएगा. जो बेंजामिन नेतन्याहू कभी नहीं चाहेंगे.

अमेरिका के सुर बदल गए

आपको याद होगा हमास आतंकियों ने कई देशों के नागरिकों को बंधक बना लिया था. जिसमें अमेरिका के नागरिक भी शामिल थे. लेकिन जब से अमेरिका के नागरिकों को हमास ने छोड़ा है तब से अमेरिका के सुर बदल गए हैं. इसलिए अब वो UNSC में भी अपने दोस्त का हाथ छोड़कर खड़ा हो गया है. हालांकि इसका इजरायल पर शायद ही कोई असर हो... वो जिस तरह पहले बारूद बरसा रहा था, आज भी उसकी कार्रवाई उसी तरह से जारी है. इजरायल की जवाबी कार्रवाई में अबतक 32 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है. 74 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी लोग घायल हुए है. इजरायल के हमलों में 13 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हुई है. साथ ही 8 हजार 400 महिलाओं की मौत भी हुई है. गाजा में 3 हजार 92 शिक्षण संस्थान बर्बाद हो चुके है. 35 अस्पताल तबाह हो चुके है. 267 धार्मिक स्थल भी इस जंग में मिट्टी बन चुके है

जंग कब रुकेगी..

इजरायल और हमास की ये जंग कब रिकेगी ये किसी को नहीं पता. इजरायल ने हमास के खात्मे तक ना रूकने की कसम खाई है. इससे एक बात साफ है अमेरिका उसका साथ दे या ना दे, वो अपने मिशन को पुरा करके ही दम लेगा.

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