Expensive Air Tickets: हवाई किराये के दाम छू रहे आसमान, क्या हैं वजहें और कब तक मिलेगी राहत? जानें सब कुछ
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Expensive Air Tickets: हवाई किराये के दाम छू रहे आसमान, क्या हैं वजहें और कब तक मिलेगी राहत? जानें सब कुछ

Expensive Air Tickets: पिछले दो साल कोरोना वायरल के खौफ में ही चले गए. अब महामारी का असर थोड़ा कम हुआ है और लोग अब फिर से सैर-सपाटे के लिए निकल पड़े हैं. लेकिन अब जिस टॉपिक पर बात हो रही है, वो है महंगा हवाई किराया. इंटरनेट पर सर्च के दौरान कई रूट्स पर हवाई किराया आसमान छू रहा है फिर भी लोग महंगे टिकट खरीद रहे हैं.

क्यों हवाई किराया छू रहा आसमान

Expensive Air Tickets: पिछले दो साल कोरोना वायरल के खौफ में ही चले गए. अब महामारी का असर थोड़ा कम हुआ है और लोग अब फिर से सैर-सपाटे के लिए निकल पड़े हैं. लेकिन अब जिस टॉपिक पर बात हो रही है, वो है महंगा हवाई किराया. इंटरनेट पर सर्च के दौरान कई रूट्स पर हवाई किराया आसमान छू रहा है फिर भी लोग महंगे टिकट खरीद रहे हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, डेल्टा एयरलाइंस इंक के सीईओ एड बैस्टियन ने कहा कि इस बार गर्मियों में किराया कोरोना से पहले की अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा है. 

दुनिया भर में एक ही हाल

दुनिया भर में हवाई किराया महंगा हो गया है. कैथी पैसिफिक एयरवेज लिमिटेड में हॉन्ग कॉन्ग से लंदन जाने का किराया जून में 5360 डॉलर (4,16,533 रुपये) तक पहुंच गया है, जो महामारी से पहले की तुलना में पांच गुना ज्यादा है. वहीं न्यूयॉर्क से लंदन की फ्लाइट में इकोनॉमी क्लास का किराया दो हजार डॉलर (1,55,423 रुपये) है. 

टूरिज्म में काम करने वाली जैकलीन ने कहा, "एयर टिकट्स इन दिनों काफी महंगी हो चुकी हैं. उनकी कंपनी ने सिंगापुर से उनके सहयोगी की रिटर्न ट्रिप के लिए 3652 डॉलर (2,83,800 रुपये) खर्च किए. जबकि किराया आमतौर पर 2000 सिंगापुर डॉलर (1,12,980 रुपये) हुआ करता था.''

जब से महामारी का असर कम हुआ है, हवाई किराया लगातार बढ़ रहा है. आइए आपको कुछ वजहों के बारे में बताते हैं, जो एयरलाइंस के भी कंट्रोल में नहीं हैं. 

तेल की बढ़ती कीमतें

 रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. कच्चे तेल के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. जेट ईंधन अब औसत एयरलाइन की लागत का 38% है, जो 2019 तक के वर्षों में 27% से अधिक है. कुछ बजट एयरलाइनों के लिए, यह 50% तक हो सकता है.

न्यूयॉर्क में स्पॉट जेट ईंधन की कीमतों में इस साल 80% से ज्यादा का इजाफा हुआ है. हालांकि कीमतें रिफाइनिंग लागत और स्थानीय टैक्स के आधार पर अलग-अलग होती हैं. कई अमेरिकी कैरियर अब तक बढ़ी हुई ईंधन लागत को कवर करने में सक्षम रहे हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें यात्री किराये में इजाफा करना पड़ा.

पार्किंग में खड़े हैं बड़े विमान

जब चूंकि अधिकतर देशों ने यात्रा के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं इसलिए कंपनियां अब अपने पार्किंग में खड़े विमानों को फिर से यात्रा के लिए उतारना चाहती है. लेकिन कंपनियों के कई बड़े विमान पार्किंग में खड़े हैं. जबकि कई कंपनियां ए350 और 787 ड्रीमलाइनर्स जैसे तेल बचाने वाले मॉडल्स की ओर रुख कर चुकी हैं. विमानन कंपनियों को सबसे ज्यादा धक्का एशिया में लगा, जहां प्रतिबंध बहुत धीरे-धीरे हटे और इस क्षेत्र का सबसे बड़ा मार्केट चीन तो अधिकतर बंद ही रहा. 

ज्यादा किराया लेकिन टिकट ले रहे लोग

भले ही टिकट की कीमत बहुत ज्यादा हो लेकिन फिर भी लोग घूमने का अपना फितूर नहीं छोड़ रहे हैं. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन के डायरेक्टर जनरल विले वॉल्श ने पिछले महीने कहा था कि कुछ ग्राहक अपनी हॉलिडे ट्रिप्स को आरामदायक और ज्यादा महंगे विमान केबिनों में अपग्रेड कर रहे हैं.  ये रिवेंज ट्रैवलर्स वे लोग हैं, जिन पर लॉकडाउन के कारण भावनात्मक असर पड़ा और दो वर्ष तक वे घूमने के लिए मचलते रहे. 

स्टाफ की कमी

हजारों पायलट्स, फ्लाइट अटेंडेंट्स, ग्राउंड हैंडलर्स और अन्य एविएशन वर्कर्स ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी नौकरियां खोई हैं. हालांकि ट्रैवल इंडस्ट्री रफ्तार तो पकड़ रही है लेकिन हायरिंग उस लेवल पर नहीं हो रही है. इससे कोरोना से पहले जैसा संचालन नहीं हो पा रहा है. 

कब तक मिलेगी राहत?

फिलहाल यह साफ नहीं है कि यात्रियों को भारी-भरकम हवाई किराये का बोझ कब तक उठाना होगा. सिंगापुर की कंज्यूमर इनसाइट एंड एनालिटिक्स फर्म मिलियू इनसाइट के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर स्टीफन ट्रेसी ने कहा, 'कीमतों में इजाफा एक अल्पकालिक घटना है. उम्मीद है कि जल्द ही चीजें सामान्य हो जाएंगी और टिकटों के दाम फिर पहले जैसे हो जाएंगे. मुझे पूरी उम्मीद है कि ऐसा होगा.'

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