Moon is Shrinking: क्यों सिकुड़ रहा है चंद्रमा? क्या पृथ्वी पर होगा असर, नासा के आर्टिमिस मिशन के लिए क्यों है चिंता की बात?
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Moon is Shrinking: क्यों सिकुड़ रहा है चंद्रमा? क्या पृथ्वी पर होगा असर, नासा के आर्टिमिस मिशन के लिए क्यों है चिंता की बात?

Moon Mission: वैज्ञानिक एमेरिटस टॉम वॉटर्स ने कहा, 'चंद्रमा पर बहुत सारी गतिविधियां चल रही हैं. यह कुछ ऐसा है जिसे हमें ध्यान में रखना होगा विशेष रूप से तब जब हम चंद्रमा पर दीर्घकालिक चौकियों के लिए योजना बना रहे हों.

Moon is Shrinking:  क्यों सिकुड़ रहा है चंद्रमा?  क्या पृथ्वी पर होगा असर, नासा के आर्टिमिस मिशन के लिए क्यों है चिंता की बात?

Why Is The Moon Shrinking: पृथ्वी का सबसे नजदीकी पड़ोसी चंद्रमा सिकुड़ रहा है. एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है. हालांकि इसके बारे में हमें चिंता करने की जरुरत नहीं है. यूएसए टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन के सह-लेखक मैरीलैंड यूनिवरिस्टी के निकोलस श्मेर ने बताया कि इसका पृथ्वी पर (जैसे ग्रहण, पूर्णिमा या ज्वारीय चक्र पर) कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला.

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सौ मिलियन वर्षों में, चंद्रमा की परिधि केवल लगभग 150 फीट सिकुड़ी है. इस सिकुड़न का कारण इसके कोर का धीरे-धीरे ठंडा होना है.  अध्ययन में पाया गया कि चंद्रमा का गर्म आंतरिक भाग धीरे-धीरे ठंडा हो रहा है, जिससे चंद्रमा के सिकुड़ने पर चंद्र सतह पर रेखाएं या दरारें बन रही हैं।

श्मेर ने कहा, 'सौभाग्य से जैसे-जैसे यह सिकुड़ता है, चंद्रमा का द्रव्यमान नहीं बदलता है, इसलिए इसे किसी भी महत्वपूर्ण तरीके से ज्वारीय चक्रों को प्रभावित नहीं करना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, त्रिज्या परिवर्तन इतना छोटा है कि इसका चंद्रमा पर ग्रहण या चरणों की उपस्थिति पर कोई सार्थक प्रभाव नहीं पड़ेगा.'

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरे की घंटी
हालांकि चिंता की एक बात है कि सिकुड़ता चंद्रमा चंद्रभूकंप का कारण बन सकता है. यह भविष्य के किसी भी अंतरिक्ष यात्री के लिए खतरनाक हो सकता है जो चांद पर उतरने या वहां रहने की कोशिश करता है.

मैरीलैंड यूनिवर्सिटी की एक प्रेस रिलीज के अनुसार, चंद्रमा के सिकुड़ने से 'इसके दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की सतह में उल्लेखनीय विकृति आ गई है. इसमें वह इलाका भी शामिल हैं जिसे नासा ने क्रू आर्टेमिस III लैंडिंग के लिए प्रस्तावित किया है.’

यह अध्ययन पिछले सप्ताह प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ था. अध्ययन का नेतृत्व करने वाले स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के वैज्ञानिक एमेरिटस टॉम वॉटर्स ने कहा, 'चंद्रमा पर बहुत सारी गतिविधियां चल रही हैं. यह कुछ ऐसा है जिसे हमें ध्यान में रखना होगा विशेष रूप से तब जब हम चंद्रमा पर दीर्घकालिक चौकियों के लिए योजना बना रहे हों.

भविष्य के आर्टेमिस मिशनों के लिए एक लैंडिंग साइट
अध्ययन में विशेष रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ध्यान दिया गया, जो भविष्य के नासा के आर्टेमिस मिशनों के लिए संभावित लैंडिंग साइट है.

वॉटर्स ने कहा, 'अपोलो भूकंपीय डाटा से हमें यह भी पता चला कि सबसे शक्तिशाली चंद्रमा भूकंप, एक उथला चंद्रमा भूकंप दक्षिणी ध्रुव के पास हुआ था.'

वॉटर्स ने कहा, 'ये भूकंप उसी चंद्र क्षेत्र में ढलानों को भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील बना सकते हैं, साथ ही संभवतः चंद्रमा की सतह पर भविष्य के लैंडिंग स्थलों को भी खतरे में डाल सकते हैं.'

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