DNA: खुद दूसरे देश में घुसकर मारता है, क्यों पन्नू को मामले में अमेरिका अपना रहा दोहरा रवैया?
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DNA: खुद दूसरे देश में घुसकर मारता है, क्यों पन्नू को मामले में अमेरिका अपना रहा दोहरा रवैया?

India-America Relations:  WAR ON TERROR के नाम पर अमेरिका, अपने दुश्मन को, किसी भी देश में मारने पहुंच जाता है. लेकिन यही अमेरिका, दूसरे देशों द्वारा घोषित आतंकियों को नागरिकता बांटकर, बचाता है. 

DNA: खुद दूसरे देश में घुसकर मारता है, क्यों पन्नू को मामले में अमेरिका अपना रहा दोहरा रवैया?

 Gurpatwant Singh Pannun: खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के मर्डर की साजिश का मामला नए स्तर पर पहुंच गया है. न्यूयॉर्क की जिला अदालत में इस मामले को लेकर अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने चार्जशीट दायर की है. इस चार्जशीट में हत्या के षडयंत्र को लेकर बहुत सारी खास बातें बताई गई हैं. जैसे इस चार्जशीट में हत्या की कोशिश में शामिल लोगों का जिक्र किया गया है. इसमें एक नाम 'निखिल गुप्ता' का जिक्र है. निखिल गुप्ता पर हत्या के षडयंत्र में शामिल होने का आरोप है. निखिल गुप्ता को फिलहाल चेक रिपब्लिक में गिरफ्तार किया जा चुका है.
 
चार्जशीट में भारत सरकार के एक कर्मचारी का भी जिक्र है. हालांकि उसका नाम नहीं बताया गया है. दावा है कि इस कर्मचारी ने ही निखिल गुप्ता को खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने का इंतजाम करने के लिए कहा था. और इसी ने पन्नू से जुड़ी सारी जानकारी दी थी.

कैसे शिकंजे में फंसा निखिल गुप्ता

अमेरिका के न्यूयॉर्क की जिला अदालत में पेश की गई इस चार्जशीट में हत्या की साजिश में निखिल गुप्ता और भारत सरकार के कर्मचारी के शामिल होने की बात कही गई है. इस चार्जशीट में दावा किया गया है कि कर्मचारी के कहने पर ही निखिल गुप्ता ने अपने एक लिंक के जरिए शार्प शूटर से बात की थी. 

अमेरिकी कोर्ट में दाखिल की गई इस चार्जशीट में आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश के भंडाफोड़ की कहानी बताई गई है. 15 पन्ने की इस चार्जशीट में हत्या के षडयंत्र को लेकर जो बताया है, वो हम आपको आसान भाषा बताते हैं.

चार्जशीट में क्या है बात

खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या के षडयंत्र के बारे में चार्जशीट में जो बताया गया है. उसके मुताबिक इस खेल में 4 लोग शामिल थे. पहला शख्स है भारत सरकार का तथाकथित कर्मचारी. दूसरा शख्स है निखिल गुप्ता. तीसरा शख्स है एक बिचौलिया, जिसने निखिल गुप्ता और किलर की बात करवाई. चौथा शख्स है शार्प शूटर जिसे पन्नू को मारने की सुपारी दी गई थी.

अब सवाल ये है कि इस षडयंत्र के बारे में अमेरिका को कैसे पता चला. तो ये समझने से पहले आपको हम इस पूरे खेल में शामिल लोगों के बारे में बताना चाहते हैं.

अमेरिका को कैसे खबर मिली?

 चार्जशीट में भारत सरकार के जिस तथाकथित कर्मचारी का जिक्र किया गया है. उसके बारे में दावा है कि वो CRPF का कोई Senior Field Officer है. इसी ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने के लिए भारत में रहकर पूरी योजना तैयार की थी और समय-समय पर निखिल गुप्ता को सूचनाएं और मदद मुहैय्या करवा रहा था.

चार्जशीट में मुख्य आरोपी के तौर पर निखिल गुप्ता का नाम है. निखिल गुप्ता के बारे में चार्जशीट में बताया गया है कि उसी पन्नू की हत्या की साजिश को अंजाम देने का प्लान बनाया. निखिल गुप्ता एक भारतीय नागरिक है, जो ड्रग्स और हथियारों की तस्करी से जुड़ा हुआ है. चार्जशीट के मुताबिक तथाकथित CRPF कर्मचारी ने निखिल गुप्ता को आतंकी पन्नू को मारने के लिए कहा गया और उसे लालच दिया कि भारत में उस पर चल रहे केस में उसे राहत दी जाएगी.

निखिल गुप्ता, चूंकि हथियारों का तस्कर है इसलिए उसने अपने संपर्कों में से एक शख्स से बात की. निखिल ने इस व्यक्ति से शार्प शूटर का नंबर मांगा. इस व्यक्ति ने शार्प शूटर से निखिल को मिलवाया. निखिल के संपर्क में आया पहला व्यक्ति और शार्प शूटर दोनों ही, अमेरिकी खुफिया एजेंट थे. जो अंडरकवर काम कर रहे थे. चार्जशीट के मुताबिक निखिल ने आतंकी पन्नू को मारने के लिए जिन दो व्यक्तियों से संपर्क किया, दोनों ही अमेरिकी एजेंट थे.

ऐसे में निखिल गुप्ता, आतंकी पन्नू को मारने की साजिश अंजाम देने से पहले गिरफ्त में आ गया. तो इस तरह से निखिल गुप्ता को खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश के मामले में आरोपी बनाया गया है. निखिल गुप्ता को इस मामले में 30 जून को चेक रिपब्लिक से गिरफ्तार किया जा चुका है. उसे अमेरिका लाए जाने की तैयारी की जा रही है. इस मामले में अमेरिका ने भारत से भी संपर्क किया है. चार्जशीट आने के बाद ही भारत में इस मामले की जांच के लिए एक हाईलेवल कमिटी बनाई गई है. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक ये गंभीर मामला है.

क्या बिगड़ सकते हैं भारत-अमेरिका के संबंध

कनाडा में जब खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हुई थी, तो कनाडा के पीएम ने खुले तौर पर भारत सरकार को इस हत्या का आरोपी बना दिया था. इन आरोपों को लेकर भारत ने भी कनाडा को करारा जवाब दिया था. लेकिन पन्नू के मामले में अभी तक ना ही अमेरिका ने भारत सरकार पर कोई तीखी टिप्पणी है, ना ही भारत ने इस मामले को लेकर अमेरिका से सख्त लहजे में बात की है.

दरअसल दोनों ही देशों को अलग-अलग मुद्दों पर एक दूसरे का साथ चाहिए. वैश्विक राजनीति में भारत और अमेरिकी की दोस्ती पक्की है. इसी वजह से आतंकी पन्नू की हत्या की कोशिश में भारतीय का नाम सामने आने के बाद भी, अमेरिका ने भारत सरकार को सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा है. लेकिन खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कोशिश में भारतीय शख्स नाम आना, क्या भारत और अमेरिका के संबंधों पर असर डाल सकता है? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है. वैश्विक राजनीति के जानकारों की मानें तो इस मामले में ना अमेरिका भारत पर कोई दबाव डालेगा, ना ही भारत,अमेरिका को निराश करना चाहेगा.

भारत लगातार उठा रहा सवाल

अमेरिका को भी ये पता है कि गुरपतवंत सिंह पन्नू, भले ही अमेरिकी नागरिक हो, लेकिन भारत उसे भगोड़ा खालिस्तानी आतंकी मानता है. यही नहीं, वो ये भी जानता है कि पन्नू, भारत विरोधी बयान और गतिविधियों में लिप्त रहता है. हाल ही में आतंकी पन्नू ने एयर इंडिया की फ्लाइट में धमाका करने की धमकी भी दी थी. भारत, चाहता है कि अमेरिका खालिस्तानी विचारधारा को लेकर उसकी चिंताओं को समझे. 

विदेशी जमीन से खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ावा देने वालों को लेकर, भारत ने वैश्विक मंचों से सवाल उठाने शुरू किए हैं. यही वजह है खालिस्तानी समर्थक हाल फिलहाल के वर्षों में ज्यादा आक्रामक नजर आए हैं. गुरपतवंत सिंह पन्नू का संगठन सिख फॉर जस्टिस भी खालिस्तानी अलगाववाद को बढ़ावा देकर, भारत के टुकड़े करने के ख्वाब देखता है. 

यही वजह है भारत, उसे भारत लाकर, उस पर दर्ज किए गए आपराधिक मामले चलाना चाहता है. अमेरिका की नागरिकता, उसे बचा रही है. भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि नहीं है. हालांकि इसके बावजूद भारत ने समय समय पर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को भारत को सौंपने का मुद्दा उठाया है. लेकिन अमेरिका ने इसको हमेशा नजरअंदाज किया है. आतंक को लेकर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का दोहरा मापदंड है.

क्या अमेरिका फैलने देगा खालिस्तानी विचारधारा?

क्या अमेरिका अपने WANTED आतंकी को किसी अन्य देश में अमेरिका के टुकड़े करने वाली विचारधारा फैलाने देगा? अगर भारत अमेरिका के किसी अलगाववादी को अपनी नागरिकता देकर, अमेरिका विरोधी गतिविधियों में शामिल होने दे, तो क्या वो बर्दाश्त कर पाएगा. सैद्धांतिक रूप से भले ही अमेरिकी सरकार बयानबाजी करे, लेकिन सच्चाई यही है कि उनके लिए भी ये व्यवहारिक नहीं है. अमेरिका तो उन देशों में से है जो दूसरे देशों में जाकर आतंकियों को खत्म करता है.

अमेरिका ने तो लादेन को पाकिस्तान में, जवाहिरी को अफगानिस्तान में, बगदादी को सीरिया में और ईरान रेवोल्यूशनरी गार्ड के मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को ईराक में मार गिराया था. क्या अमेरिका के घोषित आतंकी, आतंकी हैं, और भारत द्वारा घोषित आतंकी, अमेरिका के सभ्य नागरिक? अमेरिका तो उन देशों में से है जो झूठे आरोप लगाकर ईराक को बर्बाद कर चुका है.

जैविक हथियार होने के आरोप लगाकर, उसने ना सिर्फ ईऱाक में भीषण कत्लेआम किया, बल्कि उसके पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम को फांसी दे दी थी. सिर्फ यही नहीं अमेरिका दादागीरी के इस स्तर पर रहा है, कि उसने अपनी खुफिया एजेंसी की मदद के कई लैटिन अमेरिकी देशों की वामपंथी सरकारों का तख्तापलट तक किया.

CIA दे चुकी है कई मिशन को अंजाम

  • वर्ष 1973 में अमेरिका ने CIA की मदद से लैटिन अमेरिकी देश चिली में Salvador allende (सल्वाडोर एलेंदे) की चुनी हुई सरकार का तख्ता पलट दिया था.

  • इस तख्ता पलट में चिली के राष्ट्रपति Salvador allende की भी हत्या कर दी गई थी. CUBA के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को CIA ने एक बार नहीं बल्कि 7 बार मारने की कोशिश की थी.

  • 1960 में पहली कोशिश की गई थी, जब CIA ने CIGAR में बम लगाकर भेजा था. हालांकि CIA फिदेल कास्त्रो को मारने में कामयाब नहीं हो पाया था.

  • यही नहीं CIA ने 1961 में CUBA के अलगाववादियों को हथियार और पैसे देकर, Cuba पर हमला करवाया था. इसे BAY OF PIGS Invasion के नाम से जाना जाता है. हालांकि इस हरकत के बावजूद अमेरिका, Cuba की सरकार नहीं गिरा पाई थी.

  • CIA के एक पूर्व अधिकारी रॉबर्ट क्राउली के बयानों पर आधारित एक किताब Confessions Of Robert Crawley में दावा किया गया था कि भारत के परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा के प्लेन में अमेरिका ने धमाका करवाया था.

  • यही नहीं इस किताब में ये भी दावा किया गया है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में संदेहास्पद परिस्थितियों में हुई मृत्यु के पीछे भी अमेरिका का हाथ था.

  • अमेरिकी सेना या खुफिया एजेंसी, जब किसी आतंकी को ढेर कर देती है, तो उसके राष्ट्रपति दुनिया के सामने आकर, अपना गुणगान करते हैं. WAR ON TERROR के नाम पर अमेरिका, अपने दुश्मन को, किसी भी देश में मारने पहुंच जाता है. लेकिन यही अमेरिका, दूसरे देशों द्वारा घोषित आतंकियों को नागरिकता बांटकर, बचाता है. खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू इसका बड़ा उदाहण है.

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