DNA With Sudhir Chaudhary: सऊदी अरब में अगर कोई शख्स हिंसा भड़काता है तो उसे मौत की सजा हो सकती है. साल 2011 में जब मिडिल ईस्ट के कई देशों में लोकतंत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे थे, उस समय सऊदी अरब में शिया मुसलमानों ने भी इसमें हिस्सा लिया था. इस दौरान वहां कई हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे. इसके बाद सऊदी अरब की सरकार ने हिंसा के लिए 80 लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें 47 लोगों को बाद में फांसी की सजा दे दी गई थी.
Trending Photos
DNA With Sudhir Chaudhary: भारत में हिंसा या दंगों के बाद पुलिस आरोपियों को पकड़ने और जांच में जुट जाती है. इसके बाद चार्जशीट, लंबी इन्वेस्टिगेशन और कोर्ट में आरोपियों की पेशी से सजा मिलने में काफी वक्त लग जाता है. यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार में आरोपियों के घर बुलडोजर चला दिया जाता है. लेकिन दुनिया के बाकी देशों में क्या होता है. जब वहां इस तरह के दंगे होते हैं तो वहां की सरकारें इन दंगाइयों से कैसे निपटती हैं. आइए आपको बताते हैं.
सबसे ताजा उदाहरण कुवैत का है, जहां पिछले दिनों कुछ प्रवासियों ने नुपूर शर्मा के खिलाफ कुवैत में विरोध प्रदर्शन किया था. लेकिन अब कुवैत की सरकार ने कहा है कि इस विरोध प्रदर्शन में जितने भी प्रवासी शामिल हुए थे, सजा के तौर पर उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाएगा. कुवैत में ये कानून है कि वहां रहने वाले दूसरे देशों के लोग यानी प्रवासी किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन का आयोजन नहीं कर सकते.
इजरायल में उड़ा दिया जाता है घर
इसके अलावा इजरायल में अगर कोई व्यक्ति फिलिस्तीनियों के उग्रवादी संगठनों में शामिल हो जाता है तो उस व्यक्ति का घर बम धमाके में उड़ा दिया जाता है. यानी वहां भी ऐसे लोगों के घर ध्वस्त कर दिए जाते हैं, बस फर्क इतना है कि वहां इसके लिए बुलडोजर की जगह विस्फोटक लगा कर घर गिराया जाता है.
#DNA : दूसरे देश दंगाइयों से कैसे निपटते हैं? @sudhirchaudhary
अन्य Videos यहां देखें - https://t.co/ZoADfwBf2S pic.twitter.com/RhWaihBa5Q
— Zee News (@ZeeNews) June 14, 2022
इसी तरह सऊदी अरब में अगर कोई शख्स हिंसा भड़काता है तो उसे मौत की सजा हो सकती है. साल 2011 में जब मिडिल ईस्ट के कई देशों में लोकतंत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे थे, उस समय सऊदी अरब में शिया मुसलमानों ने भी इसमें हिस्सा लिया था. इस दौरान वहां कई हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे. इसके बाद सऊदी अरब की सरकार ने हिंसा के लिए 80 लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें 47 लोगों को बाद में फांसी की सजा दे दी गई थी.
ईरान में मौत की सजा
मुस्लिम देश ही नहीं बड़े लोकतांत्रिक देशों में भी दंगाइयों से सख्ती से निपटा जाता है. वर्ष 2011 में लंदन में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे, जिसके बाद वहां की सरकार ने 2 हजार लोगों को दंगों के लिए कड़ी सजा दी थी. इन्हें चार साल के लिए जेल में डाल दिया गया था. जो युवा कॉलेजों में पढ़ते थे और दंगों में शामिल थे, उन्हें भी बख्शा नहीं गया था. जबकि हमारे देश में इसके बिल्कुल विपरीत होता है. हमारे देश में दंगाइयों के प्रति हमदर्दी जताई जाती है और कहा जाता है कि उसने एक बस फूंक दी तो ऐसा कौन सा बड़ा अपराध कर दिया.