Liz Truss Resigns: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे एक दिन पहले ही गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा दिया था. आइए बताते इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी...
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UK Political Crisis: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने कंजरवेटिव पार्टी में अपने नेतृत्व के खिलाफ खुली बगावत के बाद गुरुवार को पद से इस्तीफे की घोषणा की. डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर उन्होंने कहा, ‘मैं जनादेश को निभा नहीं पाई.’ ट्रस ने कहा कि उन्होंने किंग चार्ल्स को बताया है कि वो कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा दे रही हैं. ट्रस केवल 45 दिनों के लिए प्रधानमंत्री रहीं. किसी भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री का यह सबसे छोटा कार्यकाल है.
आर्थिक और राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा ब्रिटेन
इससे एक दिन पहले ही ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस्तीफा दिया था. बता दें कि इस समय ब्रिटेन आर्थिक और राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है. लिज ट्रस के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार बाजारों में गिरावट आई और इसने उनकी कंजर्वेटिव पार्टी भी टूटने लगी. लगातार बन रहे राजनीतिक दबाव के बीच लिज ट्रस ने अपने पद को छोड़ दिया. हालांकि ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने तक वो इस पद का कार्यभार संभालेंगी.
जनता के विरोध का करना पड़ा सामना
बता दें कि पीएम पद के चुनाव प्रचार के दौरान लिज ट्रस ने ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए जो वादे किए वही उनकी कुर्सी की रुकावट बन गए. पीएम बनने के बाद ब्रिटेन में महंगाई आसमान छू रही है. इस कारण ट्रस सरकार को जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. लोगों के विरोध और राजनीतिक दवाब के चलते वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद नया वित्त मंत्री जेरमी हंट को बनाया गया. लेकिन इसका भी कोई खास फायदा नहीं हुआ. धीरे-धीरे ट्रस का विरोध उनकी पार्टी के ही सांसद करने लगे.
मंत्रिस्तरीय 'क्वाड' ले सकता है ट्रस की जगह
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, यूगाव के एक सर्वे से पता चला कि पार्टी के पांच में से चार कार्यकर्ताओं ने कहा कि पीएम खराब काम कर रहे हैं और 55 फीसदी आश्वस्त थे कि उन्हें जाना चाहिए, जबकि केवल 38 फीसदी ने उनके रहने का समर्थन किया था. वहींस टोरी सांसदों ने सुझाव दिया है कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस की जगह चार वरिष्ठ मंत्रियों को नियुक्त किया जाए. क्योंकि पार्टी एक ऐसे उत्तराधिकारी की खोज कर रही है जो पार्टी को एकजुट कर सके. अब देखना होगा कि ब्रिटेन की राजनीति में आगे क्या बदलाव होते हैं.
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