म्यांमार में सू की जैसे हजारों खड़े हो गए, अब जुंटा को चुकानी पड़ेगी कीमत
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म्यांमार में सू की जैसे हजारों खड़े हो गए, अब जुंटा को चुकानी पड़ेगी कीमत

Myanmar News: सैन्य शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष चला रहे विद्रोही गुटों में बेहद तालमेल देखा जा रहा है. कई शहरों और 100 से अधिक सुरक्षा चौकियों पर कब्जा कर लिया गया है. 

म्यांमार में सू की जैसे हजारों खड़े हो गए, अब जुंटा को चुकानी पड़ेगी कीमत

Myanmar Conflict News: म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक आंग सान सू की को जेल में डालने के बाद भी सैन्य शासन की परेशानियां कम नहीं हो रही है. सैन्य शासन (जिसे जुंटा भी कहते है) को इस समय विद्रोही गुटों से कड़ी चुनौती मिल रही है. जुंटा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि ये संघर्ष उत्तरी  शान प्रांत और आसपास के क्षेत्रों में चल रहा है जो कि चीनी सीमा के करीब हैं. तीन जातीय समूहों - एमएनडीएए, एए और टीएनएलए आंग मिन ह्लाइंग के नेतृत्व में जुंटा शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं.

रविवार को विद्रोही गठबंधन को बड़ी सफलता मिली जब उन्होंने चीन की ओर जाने वाली एक बॉर्डर क्रॉसिंग पर कब्जा कर लिया. विद्रोही गुटों में बेहद तालमेल देखा जा रहा है. कई शहरों और 100 से अधिक सुरक्षा चौकियों पर कब्जा कर लिया गया है. उत्तरी आक्रामकता से उत्साहित होकर, लोकतंत्र समर्थक मिलिशिया ने देश में अन्य जगहों पर सुरक्षा बलों पर हमले बढ़ा दिए हैं।

जुंटा के लिए मुश्किल बढ़ती जा रही हैं क्योंकि उनकी आर्थिक हालत बहुत मजबूत नहीं है. इसकी एक वजह है कि कई कमर्शियल रूट्स विद्रोहियों के कब्जे में आ गए हैं. म्यांमार-चीन सीमा पर एक प्रमुख व्यापारिक बिंदु क्यिन सैन क्यावत में अपना झंडा फहरा दिया है. यहां तमाम जरूरी सामान देश में आती है.

परेशान है चीन?
म्यांमार में जारी इस संघर्ष से चीन चौकन्ना हो गया है. वह इस लड़ाई को लेकर परेशान है. बीजिंग ने अपने नागरिकों से उत्तरी म्यांमार छोड़ने का आग्रह किया है.साथ ही उसने शनिवार को म्यांमार के साथ अपनी सीमा पर सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया. चीनी सेना का कहना हैकि सीमाओं को नियंत्रित और बंद करने की क्षमता का परीक्षण करने के लिए यह अभ्यास शुरू किया गया है.

भारत रख रहा हालात पर पैनी नजर
म्यांमार में इस सघर्ष का असर भारत पर भी पड़ रहा है. भारत म्यांमार की घटनाओं गहरी नजर रखे हुए हैं. नवंबर के शुरू में काफी म्यांमारी सैनिक भारत में घुस आए थे. ये सैनिक विद्रोहियों से बचते हुए भारतीय 7 क्षेत्र में आ गए.

म्यांमार से करीब 5000 नवंबर में मिजोरम में आ गए. बताया जा रहा है कि राज्य के दो गांवों में इन्होंने शरण ली है.

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