Bashar al assad in Russia: पहले आई मौत की खबर, फिर परिवार समेत रूस में नजर आए बसर अल असद, पुतिन ने दी शरण
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Bashar al assad in Russia: पहले आई मौत की खबर, फिर परिवार समेत रूस में नजर आए बसर अल असद, पुतिन ने दी शरण

Bashar Al Assad News: सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के बीच बागियों ने राजधानी पर कब्जा करते ही राष्ट्रपति बसर अल असद के एक प्लेन से देश छोड़ने की खबर आई थी. इसके बाद दावा किया गया कि विद्रोही उनका जहाज अगवा करके कहीं और ले गए हैं.

Bashar al assad in Russia: पहले आई मौत की खबर, फिर परिवार समेत रूस में नजर आए बसर अल असद, पुतिन ने दी शरण

Ousted Syrian President Assad, Family In Moscow: सीरिया के राष्ट्रपति बसर अल असद (Bashar Al Assad) जिंदा हैं और पूरी तरह सुरक्षित हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक असद अपने परिवार समेत रूस पहुंच गए हैं. रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने उन्हें राजनीति शरण दे दी है. रूसी समाचार एजेंसियों के हवाले से ये दावा किया जा रहा है. न्यूज़ एजेंसी एएफपी ने भी इस खबर की पुष्टि की है. गौरतलब है कि पिछले करीब 7 दिनों में विद्रोहियों ने असद की सत्ता को हिलाते हुए दो तिहाई देश पर कब्जा कर लिया था. रूस के सहयोग से अब तक सरकार चला रहे बसर अल असद की किस्मत ने इस बार उन्हें धोखा जरूर दिया, लेकिन उनकी और उनके परिवार की जान बच गई. 

तख्तापलट

सीरिया में तख्तारलट की साजिश कई सालों से रची जा रही थी. न्यूक्लियर पावर रूस के सपोर्ट के चलते विद्रोही असद की सरकार का बाल-बांका भी नहीं कर पा रहे थे. इस बार असद विद्रोहियों की ताकत को भांप नहीं पाए और उनके साथ खेल हो गया. बीते कुछ महीनों में दुनिया के कई देशों में इस तरह का राजनीतिक संकट देखने को मिल रहा है.

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याद आया ढाका का मंजर

बीते 24 घंटे से सीरिया में जो कुछ हो रहा है, कुछ वैसी तस्वीरें बांग्लादेश से आई थीं. तब वहां की निर्वाचित प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर एक चॉपर में भागना पड़ा था. हसीना को जिस तरह भारत ने राजनीतिक शरण दी है, वैसे ही सीरिया के राष्ट्रपति बसर अल असद को रूस में शरण मिल गई है.

अनसुना किस्सा... जब असद ने मजबूरी में संभाली थी सत्ता

असद फैमिली ने सीरिया पर करीब 50 साल तक राज किया. आज जिस सीरिया में चारों ओर जश्न-ए-आजादी का शोर है. विद्रोही जीत का जश्न मना रहे हैं. वहां की सड़कों का मंजर बदल चुका है. समय के पहिए को बैक गेयर में डालकर पीछे की कहानी बताएं तो करीब 25 साल पहले के किस्से जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. नई सदी की शुरुआत हो चुकी थी. साल था 2000. पिता हाफ़िज़ अल-असद की मौत के बाद डॉक्टर बशर अल असद को मजबूरी में देश की कमान संभालनी पड़ी. 25 साल बाद जब परिवार की जान पर खतरा आया तो उन्हें अपना मुल्क छोड़कर भागना पड़ा.

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सीरियाई मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक असद कभी भी नेता बनना नहीं चाहते थे. वो पढ़ाई लिखाई और करियर को लेकर सजग थे. विदेश से पढकर लौटे असद को तब एक ताकतवर तबका विरासत की दुहाई देकर सियासत में घसीट लाया. तब वो बस 34 साल के थे. वो राष्ट्रपति बन सकें इसलिए संसद ने कानून पास करके न्यूनतम आयु सीमा 40 से घटाकर 34 कर दी. तब लोगों को लगा कि युवा बशर पिता का तानाशाही मॉडल छोड़कर सबकी बात सुनेंगे. इस आस में करीब 98 फीसदी लोगों ने असद को अपना रहनुमा चुन लिया.

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दूसरी ओर असद के सिर पर बैठे मठाधीशों ने उन्हें अपने सांचे में ढाल लिया. इस तरह असद का शासन पिता की फोटोकॉपी जैसा साबित हुआ. लोगों की उम्मीदें टूटने लगीं. कुछ समय बाद अरब स्प्रिंग की लहर ने इलाके में क्रांति की मशाल जलाई तो भावनाओं के उमड़ते ज्वार भांटे को लेकर सीरिया के लोग भी सड़क पर उतरकर सत्ता में हिस्सेदारी मांगने लगे. राजनीतिक बंदियों की रिहाई को लेकर आंदोलन हुआ. जिससे भड़के असद ने बगावत करने वाली आवाजों को सेना की मदद से बेरहमी से कुचलवा दिया. इस तरह सीरिया में शुरू हुआ गृहयुद्ध आखिरकार 8 दिसंबर, 2024 को अपने अंजाम तक पहुंच गया.

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अब विद्रोही ताकतों का दमिश्क पर कब्ज़ा हो चुका है. इस वजह से राष्ट्रपति बशर अल-असद को भागना पड़ा और प्रभावी रूप से सीरिया पर एक खानदान के शासन का अंत हो गया. 5 दशकों से भी ज़्यादा समय से इस अलावी राजवंश ने मुख्य रूप से इस सुन्नी देश पर जो वर्चस्व बनाया था, वो टूट गया. 1970 में हाफ़िज़ अल-असद द्वारा शुरू राज का आज कोई नामलेवा नहीं बचा है. हाफ़िज़ अल-असद 13 नवंबर, 1970 को तख्तापलट करके ही सीरिया की सत्ता में आए थे. इसके बाद उन्होंने जो किया ठीक वैसा ही उनके बेटे के साथ हुआ.

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