Free Period Products: ये है दुनिया का पहला ऐसा देश, जहां फ्री पीरियड प्रोडक्ट्स को लेकर लागू हुआ कानून
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Free Period Products: ये है दुनिया का पहला ऐसा देश, जहां फ्री पीरियड प्रोडक्ट्स को लेकर लागू हुआ कानून

Free Period Products in Scotland: स्कॉटलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जहां पीरियड्स (महावारी) के प्रॉडक्ट्स को मुफ्त में उपलब्ध कराए जाने को लेकर कानून लागू हो गया है. यह विधेयक 2020 में सर्वसम्मति से पारित किया गया था.

Free Period Products: ये है दुनिया का पहला ऐसा देश, जहां फ्री पीरियड प्रोडक्ट्स को लेकर लागू हुआ कानून

Free Period Products in Scotland: एक ओर जहां दुनिया भर में आज भी महावारी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और रुढ़िवादी परंपराएं चल रही हैं. वहीं, स्कॉटलैंड दुनिया का पहला देश बन गया है जहां पीरियड्स (महावारी) के प्रॉडक्ट्स को मुफ्त में उपलब्ध कराए जाने को लेकर कानून लागू हो गया है. स्कॉटलैंड में पीरियड प्रॉडक्ट (फ्री प्रोविजन) (स्कॉटलैंड) एक्ट लागू हो गया है.

कानून लागू करने वाला दुनिया का पहला देश बना

स्कॉटलैंड सरकार ने बताया कि वह ‘पीरियड प्रोडक्ट एक्ट’ (माहवारी उत्पाद कानून) लागू होते ही दुनिया की पहली ऐसी सरकार बन गई है, जो मासिक धर्म संबंधी उत्पादों तक मुफ्त पहुंच के अधिकार की कानूनी रूप से रक्षा करती है.

स्कूल-कॉलेज फ्री में उपलब्ध कराएंगे पीरियड प्रॉडक्ट

इस नए कानून के तहत, स्कूलों, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और स्थानीय सरकारी निकायों के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि वे अपने शौचालयों में टैम्पोन और सैनिटरी नैपकिन समेत माहवारी संबंधी विभिन्न उत्पाद उपलब्ध कराएं. स्कॉटलैंड सरकार ने शैक्षणिक संस्थाओं में माहवारी संबंधी उत्पाद नि:शुल्क उपलब्ध कराने के लिए 2017 से लाखों रुपये पहले ही खर्च किए हैं, लेकिन कानून लागू होने से अब यह कानूनी अनिवार्यता बन गया है.

मोबाइल ऐप किया लॉन्च

इसके अलावा एक मोबाइल फोन ऐप्लीकेशन भी उपलब्ध कराया गया है, जिसकी मदद से स्थानीय लाइब्रेरी या सामुदायिक केंद्र जैसे ऐसे निकटतम स्थान का पता लगाया जा सकता है, जहां से माहवारी संबंधी उत्पाद लिए जा सकते हैं.

2020 में पारित हुआ था विधेयक

स्कॉटलैंड की सामाजिक न्याय मंत्री शोना रोबिसन ने कहा, ‘माहवारी संबंधी उत्पाद नि:शुल्क उपलब्ध कराना समानता एवं गरिमा के लिए अहम है और इससे इन उत्पादों तक पहुंच की वित्तीय बाधा दूर होती है.’ यह विधेयक 2020 में सर्वसम्मति से पारित किया गया था.

(इनपुट- भाषा)

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