North Korea News: नॉर्थ कोरिया से प्रॉपगेंडा वीडियो तो कई आते हैं लेकिन उनकी फौज को लेकर सच्चाई बाहर कम ही आती है. अब यूक्रेन ने दो नॉर्थ कोरिया के सैनिकों को पकड़ा तो कई तरह की बातें होने लगीं. नॉर्थ कोरिया ने आखिरी जंग कब लड़ी थी. उसका क्या नतीजा रहा था? उस समय चीन को लड़ने आना पड़ा था.
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जब से यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने नॉर्थ कोरिया के दो सैनिकों को पकड़ने की घोषणा की है, दुनियाभर में किम जोंग उन के देश की चर्चा हो रही है. ये सैनिक रूस की तरफ से लड़ने गए थे, फिर पकड़े कैसे गए? क्या ये इतने कमजोर हैं? सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों में एक नॉर्थ कोरियाई सैनिक का चेहरा जख्मी दिखाई दे रहा है जबकि दूसरे के हाथ में चोट है. असल में दुनिया को इन सैनिकों पर तरस खाना चाहिए. हां, नॉर्थ कोरिया ने आखिरी जंग 70 साल पहले लड़ी थी. कई तरह के प्रतिबंधों के कारण देश की इकॉनमी तबाह है. हथियारों पर जंग लग चुके हैं, जो कुछ हैं सब सोवियत काल के हैं. सेना भोजन, ईंधन और साजोसामान की कमी से जूझ रही है. हालांकि 7 दशक पहले हालात कुछ और थे. तब तीन साल तक खूनी जंग लड़ी गई थी जिसमें नॉर्थ और साउथ कोरिया के हजारों लोग मारे गए थे. यूएन फोर्सेज के भी एक लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे.
Our soldiers have captured North Korean military personnel in the Kursk region. Two soldiers, though wounded, survived and were transported to Kyiv, where they are now communicating with the Security Service of Ukraine.
This was not an easy task: Russian forces and other North… pic.twitter.com/5J0hqbarP6
— Volodymyr Zelenskyy / Володимир Зеленський (@ZelenskyyUa) January 11, 2025
जी हां, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1950 से 53 तक चले कोरियाई युद्ध का दुनिया में व्यापक असर हुआ. कोरिया दो भागों में बंटा था. नॉर्थ कोरिया को रूस से समर्थन हासिल था जबकि साउथ कोरिया के साथ अमेरिका खड़ा था. 1949 में हालात कुछ ऐसे हुए कि सोवियत संघ और अमेरिका ने कोरिया से सैनिक वापस बुला लिए.
सुबह होने से पहले आक्रमण
25 जून 1950 को तड़के 4 बजे उत्तर कोरियाई सेना ने साउथ कोरिया पर हमला बोल दिया. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अपने सदस्यों से दक्षिण कोरिया को सपोर्ट करने का आह्वान किया. अमेरिकी सेना फौरन रवाना की गई. बाद में ब्रिटेन सहित कई देशों के सैनिक साथ आ गए. सबसे पहले उत्तर कोरियाई सेना ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल (सोल) पर कब्जा कर लिया. दक्षिण कोरियाई और अमेरिकी सैनिकों को खदेड़ दिया गया.
3 अगस्त को एक पुल उड़ाकर नॉर्थ कोरिया की फौज को रोका गया. तब तक यूएन फौज ने अपनी ताकत मजबूत कर ली. ब्रिटिश सेना भी बुसान आ चुकी थी. अब यून सेनाओं की बारी थी.
प्योंगयांग पर कब्जा
15 सितंबर 1950 को दक्षिण कोरियाई और अमेरिकी बलों ने बड़ी चालाकी से उत्तर कोरियाई कम्युनिकेशन को काट दिया. 19 अक्टूबर आते-आते संयुक्त राष्ट्र की सेना ने प्योंगयांग पर कब्जा कर लिया. 27वीं राष्ट्रमंडल ब्रिगेड सहित संयुक्त राष्ट्र की सेनाएं तेजी से उत्तर की ओर बढ़ीं. नवंबर के अंत तक वे चीनी सीमा के 40 मील करीब पहुंच गए थे.
चीन भी जंग में कूदा
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रूमैन ने चीन की चेतावनी को अनसुना कर दिया. नवंबर 1950 में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने जंग का एलान कर दिया. यूएन फौज के कदम रुक गए. उस समय सेनाओं को -40 डिग्री तापमान में जंग लड़नी पड़ी थी.
सोल पर नॉर्थ का कब्जा
जनवरी 1951 में चीन की मदद से नॉर्थ कोरिया ने राजधानी सोल पर कब्जा कर लिया. बताते हैं कि उस समय अमेरिकी जनरल डगलस मैकआर्थर ने एटम बम गिराने का भी प्लान बना लिया था. उस समय साउथ कोरिया के साथी सैनिकों का हौसला पस्त हो चुका था. अमेरिकी जनरल मैथ्यू ने नया जोश भरा.
1951 में यूएन सेना ने सोल को फिर से कब्जे में ले लिया. कुछ ही महीने में सोल के सामने यूएन फोर्सेज ने बफर जोन बनाने का फैसला किया. अप्रैल में चीन ने फिर से दक्षिण कोरिया की राजधानी कब्जाने के लिए हमला किया. हालांकि वे सफल नहीं हो पाए.
कोरियाई युद्ध आधिकारिक रूप से आज भी समाप्त नहीं हुआ है. नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच 248 किमी लंबी सीमा पर झड़प होती रहती है. यह दुनिया में सबसे ज्यादा सेना की मौजूदगी वाला इलाका है. बाद के वर्षों में साउथ कोरिया में तरक्की हुई लेकिन नॉर्थ कोरिया तानाशाही और प्रतिबंधों के दलदल में फंसता चला गया. वह आए दिन मिसाइल परीक्षणों से दुनिया को डराता रहता है लेकिन अब यूक्रेन में उसके सैनिकों ने नॉर्थ की सैन्य ताकत की पोल खोल दी है.
यूक्रेन का चौंकाने वाला दावा
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि इन दोनों नॉर्थ कोरियाई सैनिकों का इलाज किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि नॉर्थ कोरिया की सेना का अगर कोई जवान घायल हो जाता है तो उसका कत्ल कर दिया जाता है जिससे रूस के साथ जंग लड़ने का कोई सबूत न मिल सके.