Kenya’s ‘Killer’ Cave: केन्या की 'हत्यारी' गुफा, जिसे माना जाता है इबोला का 'घर' ! अब यहां से फैल सकती है अगली महामारी
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Kenya’s ‘Killer’ Cave: केन्या की 'हत्यारी' गुफा, जिसे माना जाता है इबोला का 'घर' ! अब यहां से फैल सकती है अगली महामारी

Kitum Cave In Kenya : यह गुफा करीब 600 फीट गहरे हैं.  गुफा के भीतर महत्वपूर्ण नमकीन खनिजों की खोज ने न केवल हाथियों को बल्कि पश्चिमी केन्या के भैंस, मृग, तेंदुए और लकड़बग्घे जैसे अन्य जानवरों को भी आकर्षित किया है.

Kenya’s ‘Killer’ Cave: केन्या की 'हत्यारी' गुफा, जिसे माना जाता है इबोला का 'घर' ! अब यहां से फैल सकती है अगली महामारी

Kitum Cave In Kenya News: केन्या (Kenya) के माउंट एल्गॉन नेशनल पार्क (Mount Elgon National Park) में स्थित किटम गुफा को दुनिया की सबसे घातक गुफा के रूप में जाना जाता है. इसके अंदर इबोला (Ebola) और मारबर्ग (Marburg) जैसे कुछ बेहद खतरनाक वायरस हैं. एक्सपर्ट अब चिंतित हैं कि मारबर्ग वायरस अगले बड़े प्रकोप का कारण बन सकता है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसके बारे में चेतावनी जारी की है.

मारबर्ग एक ऐसी बीमारी है जो ब्लीडिंग और बॉडी फंक्शन में रुकावट से चिह्नित होती है. यह जानलेवा हो सकती है. इसका मृत्यु अनुपात 88% तक है.

कैसे फैलता है मारबर्ग वायरस?
यह वायरस संक्रमित लोगों के तरल पदार्थों (Fluids) के संपर्क में आने से फैलता है. यहां तक कि उनके द्वारा उपयोग किए गए तौलिये जैसी चीजों को छूने से भी यह फैल सकता है. साथ ही, अफ़्रीका में आम तौर पर पाए जाने वाले फ्रूट बैट/चमगादड़ भी वायरस ले जा सकते हैं, जिससे इसका फैलना आसान हो जाता है.

मारबर्ग वायरस का प्रभाव
रोगियों में लक्षण प्रकट होने से पहले वायरस आमतौर पर कम से कम तीन सप्ताह तक निष्क्रिय रहता है. हालांकि, शुरुआती लक्षण अक्सर मलेरिया और इबोला जैसे होते हैं. उन्नत चरणों में, यह शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे आंख, नाक और मसूड़ों से ब्लीडिंग का कारण बन सकता है. वायरस के खिलाफ कोई टीका नहीं है, इसलिए डॉक्टर दवाओं और तरल पदार्थों के साथ लक्षणों का इलाज करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

1980 में, किटम गुफा की खोज के दौरान, पास की चीनी मिल में काम करने वाला एक फ्रांसीसी इंजीनियर गलती से मारबर्ग वायरस के संपर्क में आ गया.  नैरोबी के एक अस्पताल में भर्ती कराए जाने के तुरंत बाद उनका निधन हो गया.

गुफा के भीतर महत्वपूर्ण नमकीन खनिजों की खोज ने न केवल हाथियों को बल्कि पश्चिमी केन्या के भैंस, मृग, तेंदुए और लकड़बग्घे जैसे अन्य जानवरों को भी आकर्षित किया है.

शोधकर्ताओं के अनुसार, इसने किटम को उन बीमारियों के हॉटस्पॉट में बदल दिया है जो जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती हैं, जिन्हें ज़ूनोटिक संक्रमण के रूप में जाना जाता है. साइंस टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गुफा, 600 फीट गहरी है और हाथियों द्वारा लगातार खोदी और बढ़ाई गई, जिससे अनजाने में बीमारी फैलाने वाले चमगादड़ों को आवास मिल गया है.

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