Who is Mojtaba Khamenei: अब अगले 50 दिनों में चुनाव होगा और तब तक उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर कामकाज देखेंगे. ईरान की राजनीति को देखें तो वहां सबसे ऊपर सुप्रीम लीडर होता है. राष्ट्रपति के पास बेहद सीमित शक्तियां होती हैं.
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Iran President Helicopter Crash: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया, वो 63 साल के थे. अजरबैजान से लौटते समय उनके हेलिकॉप्टर का रविवार शाम करीब 7 बजे संपर्क टूट गया, जिसके बाद कई घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मलबा बरामद हुआ और रईसी की मौत की पुष्टि ईरानी मीडिया ने की.
रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई. लेकिन ये बात इतनी आसान है नहीं सुनने में लग रही है. रईसी के मौत के कई एंगल हो सकते हैं, लेकिन 3 की चर्चा इस वक्त पूरी दुनिया में हो रही है.
सामने आए कई एंगल?
पहला एंगल मौसम और इजरायल का है. यानी जिस जगह चॉपर क्रैश हुआ, वह पहाड़ी इलाका था. मौसम खराब था, बारिश और धुंध थी. इसी खराब मौसम की चपेट में आकर इब्राहिम रईसी का हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया और उनकी मौत हो गई. दूसरा इज़राइल और ईरान एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं. दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे दौर में हैं. दोनों एक दूसरे पर हमला कर चुके हैं और हो सकता है कि इजरायल की बदनाम ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद ने रईसी के हेलिकॉप्टर को निशाना बनाया हो.
लेकिन तीसरा जो एंगल सामने आ रहा है, उसने सबको हैरान कर रखा है. यह एंगल है सत्ता की जंग का. दरअसल ईरान में रईसी की मौत कई लोगों के लिए फायदेमंद भी है.
अब अगले 50 दिनों में चुनाव होगा और तब तक उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर कामकाज देखेंगे. ईरान की राजनीति को देखें तो वहां सबसे ऊपर सुप्रीम लीडर होता है. राष्ट्रपति के पास बेहद सीमित शक्तियां होती हैं. राष्ट्रपति बनने के बाद रईसी की पॉपुलैरिटी लगातार घट रही थी. रईसी के हेलिकॉप्टर क्रैश में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के बेटे मोजताबा खामेनेई का नाम सामने आ रहा है.
ईरान के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने यह सवाल उठाया है. दरअसल रईसी की मौत के बाद अब बात सिर्फ राष्ट्रपति पद तक ही सीमित नहीं है. पहले रईसी को अयातुल्ला का उत्तराधिकारी माना जा रहा था. लेकिन अब बाजी पलट चुकी है. कैंसर से जूझ रहे खामेनेई की उम्र 85 हो चुकी है. उनकी विरासत कौन आगे बढ़ाएगा, इसकी भी तलाश तेज हो चुकी है. रईसी की मौत के बाद खामेनेई के बेटे के लिए चीजें बेहद आसान हो गई हैं.
क्या होगा IGRC का कदम?
दरअसल, 1989 में आयातुल्ला खामेनेई सुप्रीम लीडर बने थे. तब उनके मुकाबले में कोई नहीं था. हालात भी अलग थे. ईरान की सियासत में बहुत ज्यादा दखल उसकी इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IGRC) का रहता है. रईसी आईजीआरसी के बीच काफी पॉपुलर थे. लेकिन खामेनेई के बेटे मोजताबा खामेनेई को आईजीआरसी कुछ खास पसंद नहीं करता है. आईजीआरसी यही चाहेगा कि कोई ऐसा शख्स सुप्रीम लीडर बने जो उसकी सारी बातें माने. हालांकि सीनियर खामेनेई और कुछ मौलवी मोजताबा के समर्थन में जरूर हैं. मगर आईजीआरसी ने दखल दिया तो उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.