जब चीन ने छोड़ा साथ तो भारत ने थामा हाथ! नेपाल के लिए कुछ ऐसे मददगार साबित हुआ India
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जब चीन ने छोड़ा साथ तो भारत ने थामा हाथ! नेपाल के लिए कुछ ऐसे मददगार साबित हुआ India

नेपाल के दो बड़े पॉवर प्रोजेक्ट्स पर पहले चीनी कंपनियां काम कर रही थीं, अब उन्हीं प्रोजेक्ट्स पर भारत के साथ डील हुई है. नेपाल के यह प्रोजेक्ट्स पश्चिमी क्षेत्र में बन रहे हैं.

जब चीन ने छोड़ा साथ तो भारत ने थामा हाथ! नेपाल के लिए कुछ ऐसे मददगार साबित हुआ India

India Nepal Relations: वैसे तो चीन और नेपाल के बीच अच्छे रिश्तों की बात कही जाती है. लेकिन हाल ही में चीन की कंपनियों के साथ उनकी डील टूट गई है और इसके बाद नेपाल की करीबियां भारत से बड़ी हैं. यह कोई राजनैयिक रिश्ते नहीं बल्कि व्यापारिक डील है. बता दें कि नेपाल के दो बड़े पॉवर प्रोजेक्ट्स पर पहले चीनी कंपनियां काम कर रही थीं, अब उन्हीं प्रोजेक्ट्स पर भारत के साथ डील हुई है. नेपाल के यह प्रोजेक्ट्स पश्चिमी क्षेत्र में बन रहे हैं.

भारत और नेपाल के बीच हुआ सौदा

इन प्रोजेक्ट्स को लेकर अब नेपाल और भारत के बीच डील हुई है. इसमें भारत की सरकारी कंपनी नेशनल हायड्रो पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHPC) और नेपाल इनवेस्टमेंट बोर्ड ने एग्रीमेंट साइन किया है. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के पड़ोसी देश भारत के साथ पावर सेक्टर में पार्टनरशिप को बढ़ाने के फैसले के बाद यह एग्रीमेंट साइन किया गया है. 

चीनी कंपनियों ने बीच में तोड़ी डील

बता दें कि नेपाल के दोनों 750MW वेस्ट सेती और 450MW एसआर6 प्रोजेक्ट्स को बनाने में कुल खर्च 2.4 बिलियन डॉलर का रहा है. शुरुआत में इन दोनों प्रोजेक्ट्स के लिए दो चीनी कंपनियों से डील हुई थी और MoU भी साइन किया गया था. लेकिन चीनी कंपनियों ने बीच में यह डील तोड़ दी. पहले एनएचपीसी इन दोनों प्रोजेक्ट्स के बारे में रिसर्च कर रही है जिसमें कि दो साल का समय लगेगा. बाद में कंस्ट्रक्शन का काम शुरू होगा.

नेपाल को NHPC पर भरोसा

नेपाल इन्वेस्टमेंट बोर्ड का कहना है कि NHPC का इस तरह के प्रोजेक्ट्स को विकसित करने में अच्छा रिकॉर्ड रहा है. साथ ही नेपाल ने भविष्य में भी एनएचपीसी के साथ और भी प्रोजेक्ट्स पर काम करने की उम्मीद जताई है. वहीं एनएचपीसी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अभय कुमार सिंह ने कहा कि जब हम किसी भी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जुटते हैं तो उसे पूरा जरूर करते हैं.

उल्लेखनीय है कि भारत ने अपने पड़ोसी की मदद ऐसे समय में की है जब चीन ने उसके साथ यह सौदा बीच में ही तोड़ दिया. 

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