Uighur Muslim Proposal in UNHRC: पश्चिमी देशों ने उइगुर मुसलमानों के मुद्दे पर गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव पर भारत ने जो फैसला किया, उससे चीन भी सन्न रह गया.
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India China on Xinjiang Uighur Muslim: भारत और चीन (China) पिछले ढाई साल से पूर्वी लद्दाख में भारी हथियारों और हजारों सैनिकों के साथ आमने-सामने खड़े हैं. भारत को नीचा दिखाने के लिए ड्रैगन कोई मौका नहीं छोड़ रहा. इसके बावजूद गुरुवार को दोनों के बीच कुछ ऐसा हो गया, जिसके बारे में शायद चीन ने भी नहीं सोचा था.
पश्चिमी देशों ने उइगुर मुस्लिमों पर पेश किया प्रस्ताव
असल में शिनजियांग के उइगुर मुद्दे (Xinjiang Uighur Muslim) पर अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में प्रस्ताव पेश किया था. इस प्रस्ताव को कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन, ब्रिटेन और अमेरिका ने पेश किया था. जबकि तुर्की जैसे कई देश इसके सह-प्रायोजक थे. प्रस्ताव में उइगुर मुसलमानों पर अत्याचारों पर चिंता जताई गई थी और चीन से इन पर तुरंत ध्यान के लिए कहा गया था. परिषद में अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता तो चीन के लिए बड़ी फजीहत हो जाती.
चीन के खिलाफ खारिज हुआ प्रपोजल
परिषद में कुल 47 सदस्य होते हैं. वर्तमान में भारत भी इसका एक अहम सदस्य है. पश्चिमी देशों को चीन (China) के खिलाफ प्रस्ताव पास करवाने के लिए वोट डालने वाले कुल सदस्यों के सामान्य बहुमत की जरूरत थी लेकिन वे इसे जुटाने में नाकाम रहे. पाकिस्तान, नेपाल जैसे 19 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला. वहीं प्रस्ताव के फेवर में केवल 17 वोट ही पड़ सके. भारत, ब्राजील, यूक्रेन समेत 11 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इसके चलते चीन के खिलाफ प्रस्ताव खारिज हो गया.
भारत के फैसले से लोग हैरान
चीन (China) के खिलाफ पेश प्रस्ताव से दूरी बनाने पर कई लोगों ने हैरत जताई. हालांकि राजनयिक सूत्रों का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है. भारत की यह पुरानी नीति रही है कि वह किसी खास देश को इंगित कर पास किए जाने वाले प्रस्तावों पर अक्सर वोटिंग नहीं करता. ड्रैगन के खिलाफ वोटिंग से दूर रहने की एक बड़ी वजह ये भी रही कि अगर भारत इस वक्त चीन के खिलाफ वोट कर देता तो भविष्य में वह भी भारत के खिलाफ वोटिंग कर सकता था.
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