BRICS Summit 2024: BRICS में एंट्री के लिए हाथ-पैर मार रहा था PAK, मोदी ने पुतिन संग मिल रखी ऐसी शर्त; सन्न रह गए चीन-पाकिस्तान
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BRICS Summit 2024: BRICS में एंट्री के लिए हाथ-पैर मार रहा था PAK, मोदी ने पुतिन संग मिल रखी ऐसी शर्त; सन्न रह गए चीन-पाकिस्तान

BRICS Summit 2024 in Hindi: पाकिस्तान को भारत से दुश्मनी करना इतना भारी पड़ जाएगा, उसने सपने में भी नही सोचा था. आर्थिक रूप से तो वह पहले ही कंगाल हो चुका था. अब दुनिया में उभरते शक्तिशाली आर्थिक संगठन BRICS में एंट्री की उसकी चाहत भी भारत की वजह से मिट्टी में मिल गई है.

BRICS Summit 2024: BRICS में एंट्री के लिए हाथ-पैर मार रहा था PAK, मोदी ने पुतिन संग मिल रखी ऐसी शर्त; सन्न रह गए चीन-पाकिस्तान

Entry Conditions in BRICS: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रूस के कजान में पीएम मोदी का प्लेन लैंड हुआ तो स्वागत की तस्वीरें देखकर दुनिया हैरान रह गई. पीएम मोदी के स्वागत में रूस का कजान भारतीय रंग में रंगा नजर आया. कजान में रह रहे भारतीय पीएम मोदी का पोस्टर लेकर उनसे मिलने और पीएम मोदी की एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार में खड़े थे और प्रधानमंत्री ने लोगों को निराश भी नहीं किया. 

आपको बता दें कि इस समय ब्रिक्स के सदस्यों की संख्या नौ है. भारत, रूस, चीन, ब्राजील और साउथ अफ्रीका के साथ ग्रुप में नए देश मिस्र, इथियोपिया, ईरान और सऊदी अरब भी शामिल हैं. BRICS का मकसद विकासशील देशों का आपस में आर्थिक सहयोग बढ़ाना, तालमेल कायम रखना, एक दूसरे से राजनैतिक संबंध बेहतर बनाना और आपसी आर्थिक मदद में सहयोग करना है. 

BRICS का मेंबर क्यों बनना चाहता है पाकिस्तान?
 
यही वजह है कि पाकिस्तान भी अब इस मजबूत संगठन में सेंधमारी करके घुसने की फिराक में है. हिंदुस्तान के खिलाफ साजिशों के जाल बुनने वाला पाकिस्तान ब्रिक्स में शामिल होकर अपनी जहरीली साजिशों को नई धार देना चाहता है. आपको बता दें कि पाकिस्तान समेत करीब 35 देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने के लिए दावेदारी की है.

इसके लिए पाकिस्तान की सरकार रूस को खुश करने में जुटी हुई है. पाकिस्तान की कोशिश है कि वह रूस की मदद से भारत पर दबाव डाले और ब्रिक्स का सदस्य बन जाए. हालांकि रूस ने नए सदस्य देशों के लिए शर्त रखी है कि उन्हें ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों के साथ अच्छे संबंध रखने होंगे और रूस की यही शर्त पाकिस्तान के लिए मुसीबत बन चुकी है.

भारत ने सपोर्ट के लिए तय की ये शर्त

ब्रिक्स में नए देशों की एंट्री के लिए रूस ने कुछ शर्तें रखीं तो भारत ने भी नए सदस्यों का सपोर्ट करने से पहले अपना बेंचमार्क तय कर दिया है. भारत ने साफ कहा है कि वो तभी ब्रिक्स में किसी नए सदस्य देश का समर्थन तभी करेगा, जब उसका भारत के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार नहीं होगा. भारत ने अपने इस मानदंड से पाकिस्तान की दावेदारी का खुलकर विरोध कर दिया है. 

पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र, शंघाई सहयोग संगठन, इस्लामिक सहयोग संगठन, राष्ट्रमंडल राष्ट्र, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ और इस्लामिक सैन्य आतंकवाद विरोधी गठबंधन का मेंबर है. लेकिन ये तमाम संगठन पाकिस्तान के लिए बेमानी साबित हुए हैं. यही वजह है कि पाकिस्तान रूस, चीन और हिंदुस्तान वाले सबसे मजबूत संगठन का हिस्सा बनकर अपना वजूद बचाने की जुगत में लगा है..

दुनिया का तीसरा ताकतवर आर्थिक संगठन

बता दें कि आज की तारीख में BRICS दुनिया की तीसरा सबसे ताकतवर आर्थिक संगठन है. BRICS देशों के संगठन ने यूरोपीय यूनिय को भी पीछे छोड़ दिया है. इस संगठन की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008-2009 में आई आर्थिक मंदी का भी ब्रिक्स देशों पर असर नहीं पड़ा था. BRICS देशों में पश्चिमी देशों को टक्कर देने की ताकत है. पश्चिमी देशों की दुनिया की इकोनॉमी कंट्रोल करने की ताकत भी BRICS की वजह से कम हुई है. यही वजह है कि BRICS में शामिल होने के लिये दुनिया के कई देश लाइन लगाकर खड़े हैं.

रूस और भारत की दशकों पुरानी दोस्ती पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा रोड़ा है और रूस का कजान एक बार फिर मोदी पुतिन की दोस्ती का गवाह बना. दूसरी तरफ चीन पाकिस्तान को ब्रिक्स ग्रुप में शामिल करके उस पर बड़ा अहसान करना चाहता है. जिससे आने वाले वक्त में जिनपिंग पाकिस्तान के ऊपर आर्थिक, राजनीति और सैन्य दबाव बढ़ा सकें.

भारत की ताकत के आगे हुआ नतमस्तक

दुनिया ये जानती है कि पाकिस्तान चीन के भरोसे जैसे तैसे अपनी इकॉनोमी को बचाने की कोशिश कर रहा है. चीन की ताकत को अपनी ताकत मानकर पाकिस्तान भारत को आंख दिखाने की जुर्रत करता है. अब एक बार फिर पाकिस्तान को जिनपिंग से उम्मीद है कि वो ब्रिक्स देशों की लिस्ट में पाकिस्तान का नाम परमनेंट करवा देंगें.

पाई पाई के लिए मोहताज पाकिस्तान को अहसास हो चला है कि भारत के विश्वास के बिना वो अपना वजूद नहीं बचा सकता... यही वजह है कि SCO समिट से लेकर ब्रिक्स सम्मेलन तक पाकिस्तान भारत के आगे नतमस्तक नजर आ रहा है... 

तुर्किये ने भी छोड़ा पाकिस्तान का साथ

एक तरफ ब्रिक्स संगठन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान भारत को मनाने की हर संभव कोशिश में जुटा है. वहीं तुर्किये भी खुद को हिंदुस्तान का दोस्त और हिमायती बताने का कोई मौका नहीं चूक रहा है. इसका सबसे ताजा सबूत तब सामने आया, जब पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में संबोधन के दौरान तुर्किये ने कश्मीर मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी.

जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद ऐसा पहली बार था, जब एर्दोगन ने कश्मीर पर कुछ नहीं कहा. साथ ही साथ तुर्किये ने पाकिस्तान से दूरी बनाकर ये दिखाने की कोशिश की वो भारत के विचारों का पक्षधर है. तुर्किये को पता है कि भारत ब्रिक्स का फाउंडर कंट्री है और भारत का विश्वास हासिल करना बेहद जरूरी है. लिहाजा पाकिस्तान के मंसूबों को दरकिनार करके तुर्किये ने भारत के जरिये ब्रिक्स में एंट्री हालिस करने की कोशिश शुरू कर दी है 

(रूस के कजान से सिद्धांत सिब्बल की रिपोर्ट)

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