इस देश में META को 14 अगस्त से रोज भरना होगा 81 लाख रुपये का जुर्माना, क्या है वजह?
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इस देश में META को 14 अगस्त से रोज भरना होगा 81 लाख रुपये का जुर्माना, क्या है वजह?

Meta News: यह पहला मामला नहीं है जब मेटा को इतनी बड़ी जुर्माना राशि मिली है. इससे पहले ईयू ने कंपनी पर रिकॉर्ड 1.3 बिलियन डॉलर (1.2 बिलियन यूरो) का जुर्माना लगाया था.

इस देश में META को 14 अगस्त से रोज भरना होगा 81 लाख रुपये का जुर्माना, क्या है वजह?

Norway News: देश के डाटा संरक्षण प्राधिकरण ने सोमवार को कहा कि नॉर्वे 14 अगस्त से गोपनीयता उल्लंघनों पर मेटा पर प्रतिदिन 98,500 डॉलर (1 मिलियन क्राउन/81,54,933.20 भारतीय रुपये) का जुर्माना लगाएगा. नॉर्वेजियन नियामक डाटाटिल्सिनेट (Datatilsynet) ने पिछले महीने फेसबुक के स्वामित्व वाली मेटा पिछले महीने जुर्माने की चेतावनी जारी की थी.

डाटाटिल्सिनेट के अंतर्राष्ट्रीय अनुभाग के प्रमुख टोबियास जुडिन के हवाले से रॉयटर्स ने कहा, ‘अगले सोमवार से, 1 मिलियन क्राउन का दैनिक जुर्माना लागू होना शुरू हो जाएगा.‘

नॉर्वेजियन वॉचडॉग ने कहा कि मेटा यूजर्स डाटा को उनके फिजिकल लोकेशन सहित एकत्र नहीं कर सकता है और इसे उन पर लक्षित विज्ञापन भेजने के लिए नियोजित नहीं कर सकता है. यह एक ऐसा तरीका है जो अक्सर अधिकांश तकनीकी कंपनियों द्वारा रेवेन्यू उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है.

मेटा के पास जुर्मान से बचने का था ये रास्ता
मार्क जुकरबर्ग के स्वामित्व वाली कंपनी के पास इस मुद्दे को संबोधित करने और नियामक को सूचित करने के लिए 4 अगस्त तक का समय था कि उसने इस मुद्दे को संभाल लिया है. हालांकि, मेटा ऐसा करने में विफल रहा. इसके बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की गई जिसमें 3 नवंबर तक जुर्माना लगाया गया.

जुडिन ने कहा, ‘मेटा के अनुसार, इसे जल्द से जल्द लागू करने में कई महीने लगेंगे...और हम नहीं जानते कि सहमति तंत्र कैसा दिखेगा. और (इस बीच), हर दिन लोगों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है.’

यूरोपीय संघ ने भी लगाया था मेटा पर भारी जुर्माना
यह पहला मामला नहीं है जब मेटा को इतनी बड़ी जुर्माना राशि मिली है. इससे पहले ईयू ने कंपनी पर रिकॉर्ड 1.3 बिलियन डॉलर (1.2 बिलियन यूरो) का जुर्माना लगाया था. फेसबुक के ईयू यूजर्स के डाटा को यूएस में सर्वर पर ट्रांसफर करने को लेकर ईयू की शीर्ष अदालत की चेतावनी का पालन नहीं करने पर मई में यह जुर्मान लगाया गया था.

आयरलैंड के डाटा संरक्षण आयोग (डीपीसी) के अनुसार, , सोशल मीडिया दिग्गज शीर्ष अदालत की चेतावनी पर ध्यान देने में विफल रही, जिसका उद्देश्य अटलांटिक पार सर्वर पर भेजे जाने के बाद अमेरिका में सुरक्षा सेवाओं से यूजर्स के डाटा की सुरक्षा करना था. बता दें डीपीसी ईयू के लिए काम करता है.

फेसबुक ने बार-बार तर्क दिया है कि आयरिश नियामकों के आदेश का पालन करने से ‘उन व्यवसायों पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है जो मानक अनुबंध शर्तों (एससीसी) और ऑनलाइन सेवाओं पर भरोसा करते हैं जिन पर कई लोग और व्यवसाय भरोसा करते हैं.’

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