Houthi Rebels: खजाने से कम नहीं लाल सागर, हूती से अमेरिका-UK की जंग क्यों भारत के लिए 'सिरदर्द'?
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Houthi Rebels: खजाने से कम नहीं लाल सागर, हूती से अमेरिका-UK की जंग क्यों भारत के लिए 'सिरदर्द'?

Houthi rebels in Red Sea on India: स्वेज नहर की ओर जाने वाला लाल सागर इन दिनों जंग का नया मैदान बन गया है. हूती विद्रोहियों के हमले के जवाब में ब्रिटेन- अमेरिका ने मिलकर उन पर ताबड़तोड़ मिसाइलें बरसाई हैं. 

 

Houthi Rebels: खजाने से कम नहीं लाल सागर, हूती से अमेरिका-UK की जंग क्यों भारत के लिए 'सिरदर्द'?

Impact of Attack by Houthi Rebels in Red Sea on India: लाल सागर में चल रही जंग अब ज़मीन तक आ पहुंची है. यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर कल रात अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर 73 हवाई हमले किए. इन हमलों में यमन की राजधानी सना समेत सदा और धमार शहरों में बने हूती ठिकानों को निशाना बनाया गया. इन हवाई हमलों में 5 हूती विद्रोही मारे गए हैं जबकि 6 घायल हुए हैं. जिसे लेकर अब हूती संगठन ने बयान जारी किया है. हूती संगठन ने धमकी दी कि इन हमलों का बड़ा जवाब दिया जाएगा. 

हूती विद्रोहियों के ध्वस्त किए एयर डिफेंस

रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में टॉमहॉक मिसाइल और रॉयल एयरफोर्स के टाइफून फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया गया. जिससे हूती के एयर डिफेंस सिस्टम और हथियार डिपो तबाह हो गए. इस हमले को ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड का भी समर्थन मिला था. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने इस हमले का वीडियो भी जारी किया जिसमें 4 टाइफून जेट, साइप्रस के एक एयरबेस से उड़ान भरकर अपने टारगेट की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं.

वहीं इससे जुड़ी एक बड़ी और अहम खबर ये भी है कि इस हमले से पहले भारत और अमेरिकी विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत हुई थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने X पर लिखा था कि लाल सागर में सुरक्षा को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन से उनकी बात हुई थी. 

8 वर्षों में विद्रोहियों के खिलाफ पहला हमला

यमन में हूती विद्रोहियों पर हमले हो रहे हैं. पिछले 8 वर्षों में यमन में हूथियों के खिलाफ हुआ ये अमेरिका का पहला जवाबी हमला है. इसकी वजह से लाल सागर में तनाव बढ़ रहा है और पूरी दुनिया के व्यापारिक मार्ग पर बहुत गंभीर खतरा पैदा हो गया है.. जिस इलाके में अमेरिका और ब्रिटेन हमले कर रहे हैं.. वह भारत का भी प्रमुख समुद्री मार्ग है. यहीं से हमारे देश का ज्यादातर व्यापार होता है.. खाड़ी देशों से ईंधन लेकर जहाज भारत आते हैं और फिर अपना तैयार माल लेकर वहां जाते हैं. भारत ने अपने समुद्री रास्ते यानी लाइफलाइन की सुरक्षा के लिए नौसेना को तैनात कर दिया है.

बीच समंदर..भारतीय नौसेना के 12 'धुरंधर'

हूती विद्रोहियों पर हवाई हमले के बीच भारतीय नौसेना ने समंदर में बड़ी तैनाती की है. सागर में पहले समुद्री लुटेरों का खतरा था और अब हूती संकट शुरु हो गया है. इनसे निबटने के लिए भारतीय नौसेना के युद्धपोत, निगरानी विमान और ड्रोन, सब अरब सागर के आसमान में मंडरा रहे हैं. अरब सागर में तैनात भारतीय नौसेना के जंगी जहाज़ों की तादाद अब 12 से ज्यादा हो गई है. इनमें 5 सबसे बड़े जंगी जहाज़ डिस्ट्रॉयर हैं.

भारत ने आजतक इतने युद्धपोत अरब सागर में कभी तैनात नहीं किए थे.. पहली बार भारत के 12 बड़े युद्धपोत अरब सागर में निगरानी कर रहे हैं. भारतीय नौसेना यहां अमेरिका और ब्रिटेन के गठबंधन का हिस्सा नहीं है बल्कि भारत इस इलाके से गुजरनेवाले जहाजों को अपने दम पर सुरक्षा की गारंटी दे रहा है. 

भारतीय नौसेना ने दिसंबर से ही अरब सागर में अपनी मौजूदगी बढ़ानी शुरू कर दी थी. 5 जनवरी को व्यापारिक जहाज़ लीला नॉरफॉक को समुद्री डाकुओं से छुड़ाने के लिए डिस्ट्रायर INS चेन्नई को भेजा गया था, जिसे हूती संकट गहराने के बाद ही अरब सागर में तैनात किया गया था. 

ब्रह्मोस समेत आधुनिक मिसाइलों के साथ तैनात

INS चेन्नई के अलावा इसी क्षमता के INS कोलकाता, INS कोच्चि, INS मारमुगाओ और INS विशाखापट्टनम को भी अरब सागर में तैनात कर दिया गया है. ये पांचों स्वदेशी जंगी जहाज़ है, जिनमें किसी हवाई हमले से निबटने के लिए 70 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार करने वाली बराक मिसाइलें तैनात है..साथ ही 450 किलोमीटर तक ज़मीन पर या बड़े जंगी जहाज़ पर हमला करने वाली स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइलें भी तैनात हैं. 

इन युद्धपोतों पर एक मुख्य तोप के अलावा 4 छोटी तोपें लगी हैं जिनसे किसी भी नाव को पूरी तरह तबाह किया जा सकता है. डिस्ट्रॉयर्स के अलावा गश्त करने वाले जंगी जहाज़, मिसाइलों से हमला करने वाली मिसाइल बोट्स और ताक़तवर फ्रिगेट्स भी तैनात किए गए हैं. निगरानी के लिए टोही विमान P8(I) और प्रीडेटर ड्रोन तैनात किए गए हैं जो पूरे अरब सागर पर दिन-रात मंडरा रहे हैं और अपने कंट्रोल रूम पर LIVE तस्वीरें और वीडियोज भेज रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक अगर हालात और बिगड़े तो नौसेना दूसरे जंगी जहाज़ों को भी अरब सागर भेजेगी.

दुनिया में बढ़ी तेल की कीमतें

अरब सागर दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्गों में से एक है. यहीं से लाल सागर के ज़रिए स्वेज़ नहर से होकर एशिया को यूरोप से जोड़ने वाला समुद्री मार्ग जाता है. भारत स्वेज नहर के रास्ते यूरोप को खाने-पीने का सामान, कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान निर्यात करता है. हूती विद्रोहियों पर हमले के बाद अब तेल की कीमतें भी बढ़ गई हैं.  ब्रेंट क्रूड का भाव 2.1 प्रतिशत बढ़कर 79 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गया है.

ब्रिटिश सरकार का अनुमान है कि मिडल ईस्ट में समस्याओं के कारण कच्चे तेल की क़ीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल और प्राकृतिक गैस की क़ीमतों में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है. 

भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण कच्चा तेल इसी रास्ते से आता है और अगर हूती संकट की वजह से इसे नए रास्ते से लाना पड़ा तो इसकी क़ीमत बहुत बढ़ जाएगी. रूस ने 2021 में कच्चे तेल पर दी जाने वाली छूट को काफ़ी हद तक कम कर दिया है. ऐसे में अगर दूसरे देशों से आने वाला कच्चा तेल भी मंहगा हो गया तो देश में डीज़ल और पेट्रोल की क़ीमतें बढ़ेंगी जिसका व्यापक असर होगा. 

भारत में भी बढ़ रही है टेंशन

भारत की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर हूती संकट जल्द नहीं थमा और व्यापारिक जहाज़ों पर हमले ना रुके तो भारत आ रहे जहाजों को अफ्रीका का लंबा रास्ता इस्तेमाल करना होगा..जिससे समय तो ज्यादा लगेगा ही माल की क़ीमत भी बहुत बढ़ जाएगी.

अरब सागर में नौसेना तैनात है तो बंगाल की खाड़ी में भारत और जापान के कोस्टगार्ड मिलकर ज्वाइंट ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर रहे हैं. चेन्नई समुद्र तट के पास ये अभ्यास 13 जनवरी तक चलेगा यानी पश्चिमी समुद्री सीमा से लेकर पूर्वी सीमा तक समंदर में तैयारी चल रही है. 

वाया ईरान निकल सकता है रास्ता

1999 के कारगिल संकट के बाद भारतीय सेना अपना सबसे बड़ा ऑपरेशन चला रही है. भारत की नौसेना पहले ही अरब सागर में तैनात है.अभी-अभी खबर आई है कि कूटनीतिक प्रक्रिया भी तेज हो गई है. विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को ईरान जाएंगे. इस हूती संकट में विद्रोहियों को मदद देने वाले ईरान का किरदार बहुत महत्वपूर्ण है. जयशंकर जब ईरान जाएंगे तो शायद इस मुद्दे पर भी दोनों देशों के बीच बात होगी. क्या भारत पर हूती संकट का कोई असर होगा, इसे समझने की कोशिश करते हैं.

यमन में अमेरिका-ब्रिटेन हमले कर रहे हैं और उसके करीब मौजूद स्वेज नहर से दुनिया का 30 प्रतिशत कंटेनर व्यापार होता है..यानी हर 10 में से 3 कंटेनर शिप इसी रास्ते से जाते हैं. पिछले कुछ समय से स्वेज नहर से व्यापार 44 फीसदी तक घट गया है और इसकी वजह है इस इलाके में व्यापारिक जहाजों पर हुए हमले.

जानकारों का दावा है कि स्वेज नहर से किराया 60 प्रतिशत और इश्योरेंस का खर्च 20 फीसदी तक बढ़ेगा. इसके बदले अगर यूरोप से भारत वाया अफ्रीका आएं तो उसमें 14 दिन अधिक लगेंगे. एक रिसर्च का दावा है कि भारत के निर्यात में 2 लाख 48 हजार करोड़ रुपये की कमी आ सकती है. हालांकि भारत सरकार के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के सेक्रेटरी टी के रामचंद्रन का दावा है कि हूती संकट का भारत के समुद्री व्यापार पर कोई असर नहीं होगा.

हूथियों के आतंक से शिपिंग कंपनियों में बढ़ा डर

अब आपको बतातें हैं लाल सागर में कौन सा खजाना है, जिसके लिए दुनियाभर की महाशक्तियां हूती विद्रोहियों के आतंक पर गंभीरता से प्रहार कर रही हैं. दरअसल ये आयात-निर्यात के लिए दुनिया का सबसे जरूरी जलमार्ग है. यहां से हर साल 17,000  जहाज गुजरते हैं. इस रास्ते से दुनिया का करीब 12 %  कारोबार होता है यानी इस रास्ते से दुनिया 10 अरब डॉलर का आयात-निर्यात करती है. खतरा इस बात है कि हूथियों के आतंक की वजह से शिपिंग कंपनियों में डर पैदा हुआ है, जिससे व्यापार पर बुरा असर पड़ा है. बात भारत की करें तो यहां व्यापार पर फिलहाल कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता दिख रहा है. लेकिन हालात बिगड़े तो देश में पेट्रोल-डीजल समेत जरूरी चीजों की कमी हो सकती है. 

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