Russia vs US: कैसे रूसी ‘नाग’ ने अमेरिका को दिया चकमा, बैन के बावजूद लेता रहा जासूसी वाले साजो सामान
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Russia vs US: कैसे रूसी ‘नाग’ ने अमेरिका को दिया चकमा, बैन के बावजूद लेता रहा जासूसी वाले साजो सामान

Russia News:  यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद से रूस तमाम तरह के आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगाए गए. लेकिन रिपोर्ट बताती है कि रूसी व्यापारी और अधिकारियों ने इन प्रतिबंधों का तोड़ निकाल लिया और लगातार तकनकी हासिल करने में कामयाब रहे . 

Russia vs US: कैसे रूसी ‘नाग’ ने अमेरिका को दिया चकमा, बैन के बावजूद लेता रहा जासूसी वाले साजो सामान

Ukraine War: रूस द्वारा पिछले साल यूक्रेन पर हमला करने के तुरंत बाद, रूसी टेलीकम्युनिकेशन कंपनी कॉन्वेक्स के इंजीनियरों को देश की खुफिया एजेंसी में डाटा ट्रांसमिट करने के लिए अमेरिकी डिवाइस खोजने की जरूरत थी. लेकिन पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर व्यापक नई व्यापारिक प्रतिबंध लगाने के बाद गियर मिलने में कामयाबी नहीं मिल पा रही थी. हालांकि कॉन्वेक्स के कर्मचारियों ने जल्द ही एक समाधान ढूंढ लिया.

द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट अनुसार एक अमेरिकी टेक प्रोवाइडर, सिस्को - [ जिसने 3 मार्च, 2022 को रूस को बिक्री रोक दी थी] - से कॉन्वेक्स के इंजीनियर सिस्को गियर हासिल करने में कामयाब रहे. यह काम उन्होंने नाग नामक एक अस्पष्ट रूसी ई-कॉमर्स साइट के जरिए किया.

इंजीनियरों ने ली एफ.एस.बी की मदद
कॉन्वेक्स इंजीनियरों ने इसके बाद गियर स्थापित करने के लिए येकातेरिनबर्ग में रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (जिसे एफ.एस.बी.) के कार्यालयों का दौरा किया. एफ.एस.बी ने डाटा को वर्गीकृत करने और अधिकारियों को भेजने में मदद की.

रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी कम्युनिकेशन लॉग के अनुसार, एक कॉन्वेक्स इंजीनियर ने 23 मार्च, 2022 को लिखा, ‘सिस्को कैटलिस्ट WS-C4948E स्विच के प्लेसमेंट के लिए F.S.B. के साथ कोऑर्डिनेट करें.’

प्रतिबंधों के बावजूद रूस को मिलती रही तकनीक
यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से 22 महीनों में, रूस को अपनी अर्थव्यवस्था को चालू रखने के लिए आवश्यक तकनीक मिलती रही है. निर्यात प्रतिबंधों और कॉर्पोरेट प्रतिबंधों के कारण शुरू में व्यापार में रुकावटें पैदा हुईं लेकिन रूसी सप्लायर ने खामियां ढूंढीं और समाधान निकाला.

कॉमर्शियल हार्डवेयर का लगभग कोई भी टुकड़ा – [जिसमें बेसिक टेलीकॉम इक्विपमेंट, सर्विलांस गियर, उन्नत कंप्यूटिंग और हथियार प्रणालियों के लिए माइक्रोचिप्स और ड्रोन शामिल हैं] – हासिल करना बहुत कठिन है.

हालांकि रूसी अधिकारियों और कंपनियों ने एकजुट होकर चुनौती का मुकाबला किया. द टाइम्स को मिले - लीक हुए रूसी सरकार के ईमेल, बिजनेस डॉक्यूमेंट और रूसी इंजीनियरों के बीच ऑनलाइन बातचीत के रिकॉर्ड के अनुसार,  उन्होंने बिचौलियों के जाल का इस्तेमाल किया जिसमें चीनी बिचौलियों भी शामिल हैं और शेल कंपनियों के माध्यम से अपनी गतिविधि को छिपाया.

दूसरे देशों के बंदरगाहों का इस्तेमाल
रिपोर्ट के मुताबिक रूसी अधिकारियों ने उन देशों की ओर भी रुख किया है, जिन्होंने युद्ध में अपने तटस्थ स्थिति को दांव पर लगा दिया, जैसे कि मोरक्को और तुर्की. उन्होंने इन देशों के बंदरगाहों का इस्तेमाल वैश्विक तकनीकी विनिर्माण केंद्रों से सामान प्राप्त करने के लिए किया है, जिन्हें बाद में रूस की ओर जाने वाले अन्य जहाजों पर रखा जाता है. इस प्रक्रिया को ट्रांसशिपमेंट के रूप में जाना जाता है.

इसके बाद प्रतिबंधित तकनीकी प्रॉकडक्ट्स को मशहूर सप्लायर और नाग जैसी ईजी-टू-यूज ई-कॉमर्स साइटों पर खरीदने के लिए उपलब्ध कराया गया.

रूसी अधिकारी शेयर करते थे टिप्स
डॉक्यूमेंट्स से पता चलता है कि साप्ताहिक ईमेल में, रूसी व्यापार अधिकारियों ने टिप्स शेयर किए कि कौन से बंदरगाह से माल ट्रांसफर होगा, कौन रूबल में व्यापार करेगा और कहां रूसी ध्वज वाले जहाजों की मरम्मत की जा सकती है। यदि एक सप्लायर ने बिक्री बंद कर दी, तो उन्हें दूसरा मिल गया. यदि कोई शिपिंग रूट बंद हो जाता था, तो नए रूट अपना लेते थे.

रूसी व्यापारियों ने प्रतिबंधों को दी मात
दस्तावेज बताते हैं कि कैसे रूसी व्यापारी, उन्हें अलग-थलग करने की अमेरिकी कोशिशों से एक कदम आगे रहे. उनकी सफलता से पता चलता है कि कॉमर्शियल टेक्नोलोजी के ग्लोबल मूवमेंट को रोकना कितना मुश्किल है, पश्चिमी व्यापार प्रतिबंधों की प्रभावशीलता के बारे में सवाल उठ रहे हैं और क्या तकनीकी दिग्गजों को अपने उत्पादों के गंतव्यों को बेहतर ढंग से नियंत्रित करना चाहिए - और क्या ऐसा करना संभव भी है.

रिपोर्ट के मुताबिक सिस्को ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. कॉन्वेक्स ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया.

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