अजन्मे बच्चे के मां-बाप कर रहे उसकी मौत का इंतजार, हकीकत हिला देगी
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अजन्मे बच्चे के मां-बाप कर रहे उसकी मौत का इंतजार, हकीकत हिला देगी

US abortion rights: मां और पिता बनने की खुशी हर अभिभावक को होती है. दुनिया के हर कोने में लोग इस दिन का इंतजार करते हैं. जिस दिन बच्चा जन्म लेता है उस दिन को लोग सेलिब्रेट करते हैं. लेकिन विडंबना देखिये कि इसी दुनिया में एक कपल ऐसा भी है जो अपने अजन्मे बच्चे की मौत का इंतजार कर रहा है.

अजन्मे बच्चे के मां-बाप कर रहे उसकी मौत का इंतजार, हकीकत हिला देगी

US abortion rights: मां और पिता बनने की खुशी हर अभिभावक को होती है. दुनिया के हर कोने में लोग इस दिन का इंतजार करते हैं. जिस दिन बच्चा जन्म लेता है उस दिन को लोग सेलिब्रेट करते हैं. लेकिन विडंबना देखिये कि इसी दुनिया में एक कपल ऐसा भी है जो अपने अजन्मे बच्चे की मौत का इंतजार कर रहा है. हम बात कर रहे हैं फ्लोरिडा की. 

फ्लोरिडा में एक दंपति बच्चे के जन्म के बाद अपने अजन्मे बच्चे को अलविदा कहने का इंतजार कर रहा है. इसकी एकमात्र वजह है अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का अजीब फैसला. इस कपल को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के गर्भपात के अधिकार को खत्म करने के फैसले के मद्देनजर एक दिल दहला देने वाली सच्चाई का सामना करना पड़ रहा है.

नया फ्लोरिडा कानून दुर्लभ मामलों में 15 सप्ताह से अधिक समय तक गर्भपात पर रोक लगाता है. इसी की वजह से ये कपल अपने अजन्मे बच्चे की मौत का इंतजार कर रहे हैं. डेबोरा डोरबर्ट अब कई अन्य महिलाओं की श्रेणी में शामिल हो गई हैं, जिन्हें आवश्यक गर्भपात उपचार प्राप्त करने में परेशानी हो रही है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन अधिकारों को उलट दिया था जो पहले 1973 से मौलिक रो बनाम वेड निर्णय द्वारा दिए गए थे.

द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक डोरबर्ट और उनके पति ली डोरबर्ट अपने दूसरे बच्चे की उम्मीद कर रहे थे. उन्हें डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा घातक भ्रूण असामान्यता से पीड़ित है, जिसे पॉटर सिंड्रोम भी कहा जाता है.

हालांकि, दंपति ने कहा कि डॉक्टरों द्वारा फ्लोरिडा कानून की व्याख्या के कारण गर्भपात नहीं किया जा सकता है, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा रो बनाम वेड के पलटने के बाद लागू किया गया था.

बता दें कि पॉटर सिंड्रोम एक दुर्लभ स्वास्थ्य स्थिति है जो गर्भाशय में भ्रूण के विकास के दौरान होती है. इस मामले में, भ्रूण में गुर्दे की असामान्य वृद्धि और कार्य होता है, जो गर्भावस्था के दौरान उसके आसपास मौजूद एमनियोटिक द्रव की मात्रा को प्रभावित करता है.

डॉक्टर इसे "दोगुने घातक निदान" के रूप में मानते हैं क्योंकि खराब गुर्दे वाले बच्चे अपने शरीर से घातक विषाक्त पदार्थों को निकालने में विफल होते हैं. जिसके परिणामस्वरूप गुर्दे की विफलता हो सकती है. साथ ही गर्भ में एमनियोटिक द्रव की कमी के परिणामस्वरूप बच्चे का जन्म सांस लेने की क्षमता के बिना होता है.

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