Explainer: FATF के फंदे से कनाडा को कसने की तैयारी ! जानें- कितना ताकतवर है यह संगठन
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Explainer: FATF के फंदे से कनाडा को कसने की तैयारी ! जानें- कितना ताकतवर है यह संगठन

खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर प्रकरण में कनाडा के आरोपों के बाद भारत सरकार के तेवर तल्ख हैं, कनाडा के 41 राजनयिकों के निष्काषन के बाद अब भारत सरकार कनाडा के खिलाफ फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स में जाने का फैसला किया है. यहां हम बताएंगे कि इस टास्क फोर्स का मकसद क्या है.

Explainer: FATF के फंदे से कनाडा को कसने की तैयारी ! जानें- कितना ताकतवर है यह संगठन

What is FATF: आतंकवाद की समस्या अब किसी एक देश तक सीमित नहीं है. दुनिया के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग देश इस कैंसर का सामना कर रहे हैं. आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए वैश्विक स्तर पर कोशिशें भी जारी हैं. संयुक्त राष्ट्र का मंच हो या द्विपक्षीय संगठन या बहुपक्षीय संगठन इन सभी मंचों से एक सुर में बयान जारी किया जाता है कि वो देश जो आतंकी संगठनों के सरपरस्त हैं, अब सवाल यहां वाजिब है कि इतनी बड़ी भूमिका लिखने की जरूरत क्यों पड़ी. आपने देखा होगा कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के प्रकरण में कनाडा की भूमिका क्या है. या इससे पहले आपने यह भी देखा होगा कि किस तरह से जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा जैसे तंजीमों के संबंध में पाकिस्तान की भूमिका कैसी रहती है, दहशतगर्दों के समर्थक देशों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई के लिए वैश्विक स्तर पर फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया है. यह संगठन उन देशों पर नजर रखने के लिए बनाया गया जो दहशतगर्दों को हर संभव मदद देने का काम करते हैं.

FATF के तेवर से पाकिस्तान के सुर पड़े नरम
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स को समझने से पहले आतंकी संगठन, खालिस्तानी संगठन, पाकिस्तान, कनाडा के बारे में भी समझना जरूरी है. 1980 के बाद से पंजाब और जम्मू कश्मीर में आतंकी संगठनों ने पांव जमाने शुरू कर दिये थे. पंजाब और जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के जन्म की अपनी कहानी है, लेकिन एक सच यह है कि आतंकी तंजीमों को पालने पोसने का काम पाकिस्तान ने किया था. जहां तक बात कनाडा की है तो 1980 से लेकर 2000 के बीच तक कनाडा सरकारी की भूमिका सिर्फ इतनी थी कि पंजाब की धरती पर आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद जब दहशतगर्द ओटावा, टोरंटो या वैंकुवर जाते थे तो उन्हें शरण लेने में दिक्कत नहीं होती थी. हालांकि कनाडा की सरकार सीधे तौर पर आतंकियों का समर्थन नहीं करती थी.

खालिस्तानियों की सरपरस्त निकली कनाडा सरकार

 समय गुजरने के साथ कनाडा की राजनीति में जब सिख आबादी की भूमिका बढ़ी तो वहां के सियासी दलों में खुद के लिए उम्मीद जगी. सियासी फायदे के चक्कर में वो भारत विरोधी ताकतों(खालिस्तानियों) को मदद देने का काम करते रहे. किसान आंदोलन के समय से ही पंजाब के किसानों को समर्थन देने के नाम पर खालिस्तानी संगठन खुलकर भारत सरकार के खिलाफ बात करने लगे और कनाडा की सरकार सोई रही. पिछले चार वर्षों में जिस तरह से कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने खालिस्तानी आतंकियों के प्रति नरमी दिखाई वो भारत के लिए चिंता वाली बात थी. भारत सरकार ने कनाडा से साफ कर दिया कि वो ऐसी ताकतों के खिलाफ नकेल कसे जो आपकी जमीन पर मौजूद भारतीय दफ्तरों को निशाना बना रहे है. हरदीप सिंह निज्जर प्रकरण के बाद जस्टिन ट्र्डो सरकार के खिलाफ भारत के रुख से दुनिया भी अब अनजान नहीं है. 

क्या है एफएटीएफ

आपने देखा होगा कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के प्रकरण में कनाडा की भूमिका क्या है. या इससे पहले आपने यह भी देखा होगा कि किस तरह से जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा जैसे तंजीमों के संबंध में पाकिस्तान की भूमिका कैसी रहती है, दहशतगर्दों के समर्थक देशों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई के लिए वैश्विक स्तर पर फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया है. यह संगठन उन देशों पर नजर रखने के लिए बनाया गया जो दहशतगर्दों को हर संभव मदद देने का काम करते हैं. 

  • पहले एफएटीएफ का काम सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना था. लेकिन बाद में वेपन ऑफ मास डिस्ट्रक्शन, भ्रष्टाचार और टेरर फाइनेंसिंग को भी जोड़ दिया गया.

  • पेरिस में इसका मुख्यालय है और इसे ग्रुप डी एक्शन फाइनेंसियर भी कहा जाता है.

  • दुनिया के करीब करीब सभी विकसित देश इसका समर्थन या इसके सदस्य हैं.

  • 2012 के एक आंकड़े के मुताबिक इसमें कुल 39 सदस्य देश (विश्व बैंक और यूनाइटेड नेशंस भी शामिल) हैं.

  • एफएटीएफ का सदस्य बनने के लिए किसी भी देश का सामरिक महत्व होना चाहिए. 

  • सामरिक महत्व में बड़ी जनसंख्या, जीडीपी का बड़ा होना, विकसित बैंकिंग व्यवस्था और इंश्योरेंस सेक्टर का होना शामिल है.

  • सदस्य देशों के लिए यह जरूरी है कि वो वैश्विक तौर पर स्वीकृत वित्तीन मानकों का पालन करते हों. इसके साथ ही किसी और अंतरराष्ट्रीय संगठन के हिस्सा हों.

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