Ethiopia calender, date and time: ग्रेगोरियन यानी पश्चिमी जगत के कैलेंडर को 1582 में पोप ग्रेगोरी XIII ने लॉन्च किया था. दुनिया में यही सबसे ज्यादा प्रचलित कैलेंडर है जो ईसा मसीह के जन्म के साल के साथ संबंधित है.
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Gregorian and Ethiopian Calender: दुनिया के देशों में जहां इस वक्त 2024 चल रहा है वहीं एक ऐसा मुल्क भी है जहां की तारीख और कैलेंडर बाकी दुनिया से आठ साल पीछे चल रहे हैं. जी हां, बात हो रही है अफ्रीकी देश इथियोपिया (Ethiopia) की. उस देश में इस वक्त 2016 चल रहा है. 11 सितंबर को वहां नववर्ष मनाया जाता है. उस दिन के बाद ही वहां 2017 शुरू होगा. अब सवाल उठता है कि अफ्रीका का ये दूसरा सबसे आबादी वाला मुल्क बाकी दुनिया से 7 साल और 8 आठ पीछे क्यों है? इसका वहां के लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है क्योंकि तारीखों के इस अंतर से ऐसा लगता है कि वे किसी अन्य दौर में जी रहे हैं? इन सवालों का जवाब उन सदियों पुरानी परंपराओं में छिपा है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोती हैं.
खास कैलेंडर
ग्रेगोरियन यानी पश्चिमी जगत के कैलेंडर को 1582 में पोप ग्रेगोरी XIII ने लॉन्च किया था. दुनिया में यही सबसे ज्यादा प्रचलित कैलेंडर है जो ईसा मसीह के जन्म के साल के साथ संबंधित है. इथियोपिया में जो कैलेंडर अपनाया गया उसका ग्रेग्रोरियन से 7-8 साल का अंतर है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस अंतर की मुख्य वजह ये रही कि रोमन चर्च ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाते वक्त तारीखों को 500 ईस्वी के हिसाब से कुछ एडजस्ट किया लेकिन इथियोपिया के ऑर्थोडॉक्स चर्च ने प्राचीन काल की तारीखों को ही अपनाया और किसी भी तरह का फेरबदल नहीं किया. इसकी मिसाल इस बात से समझी जा सकती है कि मिस्र में स्थित एलेक्जेंड्रिया के प्राचीन कॉप्टिक ऑर्थोडॉक्स चर्च के कैलेंडर से इथियोपिया वाला हूबहू मैच करता है. करीब 1500 वर्ष पुरानी तक इनकी गणनाएं एकदम समान हैं.
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12 घंटे का टाइम
सिर्फ कैलेंडर ही नहीं इथियोपिया का टाइम सिस्टम भी बाकी दुनिया से अलग है. जहां पूरी दुनिया में 24 घंटे का टाइम सिस्टम है वहीं इथियोपिया में ये 12 घंटे का है. यानी सुबह से लेकर रात्रि तक. इसको इस तरह समझा जा सकता है कि जब दुनिया में सुबह के सात बज रहे होते हैं तो इथियोपिया की घड़ी में उस वक्त सुबह के एक बज रहे होते हैं. इसके पीछे तर्क देते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि दरअसल ये इथियोपिया के लाइफस्टाइल से जुड़ा है. दरअसल भौगोलिक लिहाज से देखें तो इथियोपिया, भूमध्य रेखा के एकदम निकट है लिहाजा वहां दिन के घंटों में कभी तब्दीली नहीं होती. इसलिए वहां ये सिस्टम है. वहां के लोगों का ये भी कहना है कि जब रात में सब सोते हैं तो यूरोपीय स्टाइल में रात बारह बजे के बाद टाइम चेंज क्यों होता है?
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हालांकि इन सब चीजों का असर वहां अंतरराष्ट्रीय यात्रियों, बिजनेस इत्यादि पर बखूबी पड़ता है. जो भी यात्री पहली बार इथियोपिया जाता है वहां पर इस तरह के परिवर्तन को देखकर भौचक्का रह जाता है. भ्रम की स्थिति बनती है. लेकिन इथियोपिया के लोग अपनी इस परंपरा पर गर्व करते हैं. उनका मानना है कि उनका देश कभी गुलाम नहीं हुआ. उनकी अपनी अद्भुत सुदीर्घ सांस्कृतिक परंपरा है. उनका अपनी वर्णमाला है. उनका अपना टाइम और तारीख है.