Chinese Spy Balloon: चीनी जासूसी गुब्बारे पर अमेरिका तमतमाया, हरकत में आई सेना, बढ़ा बवाल
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Chinese Spy Balloon: चीनी जासूसी गुब्बारे पर अमेरिका तमतमाया, हरकत में आई सेना, बढ़ा बवाल

Chinese Spy Balloon in America: अमेरिकी हवाई क्षेत्र में एक बड़े गुब्बारे के पहुंचने के बाद अमेरिका और चीन के बीच वाकयुद्ध शुरू हो चुका है तथा सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है. चीन ने कहा है कि यह दिशा भटककर अमेरिकी क्षेत्र में पहुंचा असैन्य इस्तेमाल वाला गुब्बारा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से मौसम संबंधी अनुसंधान के लिए किया जाता है.

Chinese Spy Balloon: चीनी जासूसी गुब्बारे पर अमेरिका तमतमाया, हरकत में आई सेना, बढ़ा बवाल

Chinese Spy Balloon in America: अमेरिकी हवाई क्षेत्र में एक बड़े गुब्बारे के पहुंचने के बाद अमेरिका और चीन के बीच वाकयुद्ध शुरू हो चुका है तथा सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है. चीन ने कहा है कि यह दिशा भटककर अमेरिकी क्षेत्र में पहुंचा असैन्य इस्तेमाल वाला गुब्बारा है जिसका उपयोग मुख्य रूप से मौसम संबंधी अनुसंधान के लिए किया जाता है. चीन ने कहा कि हवाओं के कारण यह वहां तक पहुंच गया और इसके किसी दिशा में मुड़ने की क्षमता भी सीमित है.

हालांकि, अमेरिका इसे चीन का जासूसी गुब्बारा बता रहा है. अमेरिकी हवाई क्षेत्र में चीनी गुब्बारा दिखने की खबर के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन की अपनी यात्रा रद्द कर दी. अमेरिकी रक्षा विभाग ‘पेंटागन’ के अनुसार, गुब्बारे में सेंसर और निगरानी उपकरण हैं तथा इसमें दिशा बदलने की भी क्षमता है. यह मोंटाना के संवेदनशील क्षेत्रों में पहुंच गया है जहां परमाणु हथियार के भंडार हैं. इसी वजह से इसे खुफिया जानकारी एकत्र करने से रोकने के लिए सेना हरकत में आ गई. पेंटागन के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह गुब्बारा ‘‘कुछ दिन’’ अमेरिका के ऊपर बना रह सकता है. यह भी अनिश्चित है कि यह किधर जाएगा और क्या अमेरिका इसे सुरक्षित रूप से नीचे लाने की कोशिश करेगा.

इस गुब्बारे के बारे में अब तक ज्ञात तथ्य

पेंटागन और अन्य अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह एक चीनी जासूसी गुब्बारा है जिसका आकार तीन स्कूल बसों के आकार के बराबर है. यह लगभग 60,000 फुट की ऊंचाई पर अमेरिका के ऊपर पूर्व की ओर बढ़ रहा है. अमेरिका का कहना है कि इसका इस्तेमाल निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए किया गया, मगर अधिकारियों ने कुछ ही विवरण उपलब्ध कराया है. पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कई अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि इस सप्ताह की शुरुआत में गुब्बारे के अलास्का में अमेरिकी हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले ही जो. बाइडन प्रशासन को इसकी जानकारी मिल गई थी.

व्हाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति जो. बाइडन को सबसे पहले मंगलवार को गुब्बारे के बारे में जानकारी दी गई. वहीं, विदेश विभाग ने कहा कि ब्लिंकन और उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने इस मामले के बारे में बुधवार शाम वाशिंगटन में मौजूद चीन के वरिष्ठ अधिकारी से बात की. इस मुद्दे पर अमेरिका की तरफ से पहले सार्वजनिक बयान में पेंटागन के प्रेस सचिव ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने बृहस्पतिवार शाम कहा कि गुब्बारे से किसी तरह का खतरा नहीं है, जो एक स्वीकृति थी कि इसमें हथियार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ‘‘गुब्बारे का पता चलने के बाद, अमेरिका सरकार ने संवेदनशील जानकारी को बचाने के लिए तुरंत कार्रवाई की.’’

बहरहाल, अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टिट्यूट के विजिटिंग फेलो सेवानिवृत्त सैन्य जनरल जॉन फेरारी का कहना है कि भले ही गुब्बारा हथियारों से लैस न हो, लेकिन यह अमेरिका के लिए जोखिम पैदा करता है. उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि चीन ने ‘‘हमें यह दिखाने के लिए गुब्बारा भेजा हो कि वे ऐसा कर सकते हैं, और हो सकता है कि अगली बार उनके पास कोई हथियार हो.’’ उन्होंने कहा कि इसलिए प्रतिरक्षा को लेकर अब ‘‘हमें इस पर पैसा और समय खर्च करना होगा.’’ प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रपति बाइडन शुरू में गुब्बारे को गिराने की कार्रवाई चाहते थे. कुछ सांसदों की भी यही राय थी. लेकिन पेंटागन के शीर्ष अधिकारियों ने जमीन पर लोगों की सुरक्षा के लिए जोखिम के कारण बाइडन को इस कदम के खिलाफ सलाह दी और राष्ट्रपति ने सहमति व्यक्त की.

यह कैसे पहुंचा

जहां तक ​​हवा के रुख की बात है, तो चीन का यह कहना कि वैश्विक वायु धाराएं ‘वेस्टरलीज’ गुब्बारे को उसे क्षेत्र से अमेरिका के पश्चिमी हिस्से तक ले गईं. वाशिंगटन विश्वविद्यालय में वायुमंडलीय रसायन विज्ञान के प्रोफेसर डैन जाफ ने दो दशकों से चीनी शहरों से वायु प्रदूषण, साइबेरिया से जंगल की आग के धुएं और गोबी रेगिस्तान के रेत के तूफानों से धूल के अमेरिका तक पहुंचने जैसे विषयों का अध्ययन किया है. जाफ ने कहा, ‘‘चीन से अमेरिका तक पहुंचने का समय लगभग एक सप्ताह होगा. यह जितना ऊंचा जाता है, उतनी ही तेजी से आगे बढ़ता है.’’ अमेरिका इस मुद्दे पर काफी हद तक चुप है, लेकिन नेता जोर देकर कह रहे हैं कि गुब्बारा गतिशील है. साथ ही उनका कहना है कि चीन ने जानबूझकर गुब्बारे को अमेरिकी हवाई क्षेत्र की ओर भेजा.

जासूसी गुब्बारों का इतिहास

जासूसी गुब्बारों का इस्तेमाल कोई नयी बात नहीं है. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस तरह के काफी गुब्बारे इस्तेमाल किए गए. प्रशासन के अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि चीनी जासूसी गुब्बारों की इसी तरह की अन्य घटनाएं हुई हैं. एक अधिकारी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के दौरान ऐसी दो घटनाएं हुई थीं लेकिन इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया गया. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, जापान ने बम ले जाने वाले हजारों हाइड्रोजन गुब्बारे छोड़े, और इनमें सैकड़ों अमेरिका तथा कनाडा तक पहुंचे. अधिकतर अप्रभावी रहे, लेकिन एक घातक साबित हुआ और मई 1945 में, ओरेगॉन में जमीन पर गुब्बारे के गिरने से छह लोगों की मौत हो गई.

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(एजेंसी इनपुट के साथ)

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