Maldives Hindi News: राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू की करनी का खामियाजा अब मालदीव के 28 लाख लोग भुगत रहे हैं. वहां पर पेयजल का गंभीर संकट बना हुआ है लेकिन भारत से दुश्मनी की वजह से मोइज्जू पानी नहीं मंगा पा रहे हैं.
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Maldives China Latest Updates: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भारत से दुश्मनी उनके मुल्क के लिए इतनी भारी पड़ जाएगी. हालत ये है कि चारों से पानी से घिरा होने के बावजूद मालदीव एक-एक बूंद पेयजल के लिए तरस रहा है. भारत से संबंध बिगाड़ चुके मोइज्जू को जब इस संकट से पार पाने का काई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने चीन के आगे गिड़गिड़ाकर वहां से 1500 टन ड्रिंकिंग वाटर अपने देश में मंगवाया है. अब देश के लोग सवाल उठा रहे हैं कि करीब 4 हजार किमी दूर चीन से पानी मंगाने के बजाय उन्होंने परंपरागत मित्र रहे भारत से मदद क्यों नहीं मांगी, जिसकी मालदीव से दूरी केवल 300 किमी है.
चीन ने तिब्बत का पानी चुराकर भेजा मालदीव
रिपोर्ट के मुताबिक मोइज्जू सरकार के आग्रह पर चीन ने मालदीव को 1500 टन ड्रिंकिंग वाटर कंटेनर शिप के जरिए मालदीव भेजा है. यह पानी उसने हथियाए गए तिब्बत के ग्लेशियरों से हासिल किया, जिसे दोस्ती के प्रतीक के रूप में बाद में मालदीव भेज दिया गया. मोइज्जू सरकार ने ऐलान किया कि चीन की ओर से भेजा गया पानी से भरा जहाज मालदीव पहुंच गया है.
मोइज्जू ने पिछले साल नवंबर में लगाई थी गुहार
मालदीव को पानी पहुंचाने की यह घटना पिछले साल तिब्बत ऑटोनोमस रीजन के चेयरमैन यान जिन्हाई के मालदीव दौरे का परिणाम बताई जा रही है. उस दौरे में उन्होंने मोइज्जू समेत मालदीव के कई सीनियर नेताओं से मुलाकात की थी. उसी मुलाकात में मोइज्जू ने उन्हें पेयजल संकट से निपटने के लिए ड्रिंकिंग वाटर से भरा जहाज भेजने की अपील की थी. जिसके बाद अब जाकर वहां पर पानी से भरा जहाज पहुंच पाया है. मोइज्जू सरकार अब इस पानी को अपने विभिन्न द्वीपों में बराबर वितरित करने की योजना बना रही है.
चीन से किया मिलिट्री समझौता
मालदीव को चीन की ओर से मदद का यह पहला मामला नहीं है. इसी महीने मोइज्जू ने घोषणा की थी कि मालदीव ने चीन के साथ एक समझौता किया है, जिसके तह उसे चीनी सेना से गैर- घातक सैन्य उपकरणों के साथ ही मिलिट्री ट्रेनिंग भी हासिल होगी. यह समझौता चीन के अंतर्राष्ट्रीय सैन्य सहयोग कार्यालय के उप निदेशक मेजर जनरल झांग बाओकुन और चीन के निर्यात-आयात बैंक के अध्यक्ष रेन शेंगजुन के साथ राष्ट्रपति मोइज्जू की बैठकों के बाद हुआ.
गंभीर जल संकट से जूझ रहा मालदीव
मालदीव के पास 26 प्रवाल द्वीप और 1,192 सामान्य द्वीप हैं. इनमें से ज्यादातर मूंगा चट्टानों और रेतीली चट्टानों से बने हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से वहां पर भूजल का लेवल इतने नीचे पहुंच गया है कि पूरे मुल्क में पानी के गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. उसके पास ऐसी तकनीक भी नहीं है, जो समुद्री पानी को साफ करके मीठे पानी में बदल सके. ऐसे में उसके लिए संकट गहरा गया है.
भारत से दुश्मनी पड़ रही बेहद महंगी
मालदीव की दिक्कत ये भी है कि राष्ट्रपति मोइज्जू के जहरीले बोलों की वजह से उसका परंपरागत मददगार और मित्र भारत भी अब उससे दूर हो गया है. अब तक उस पर जब भी संकट आता था तो सबसे पहले मदद के लिए भारत ही वहां पहुंचता था. दिसंबर 2014 में, जब राजधानी माले के सीवरेज कंपनी परिसर में भीषण आग लगने से मालदीव में गंभीर जल संकट पैदा हो गया था तो भारत ने 'ऑपरेशन नीर' चलाया था.
संकट के वक्त भारत रहा है पहला मददगार
इसके तहत भारतीय वायुसेना के विमानों ने इमरजेंसी हेल्प के रूप में तुरंत 375 टन पीने का पानी माले पहुंचाया था. जबकि बाद में भारतीय नौसेना के 2 जहाजों आईएनएस दीपक और आईएनएस सुकन्या के जरिए वहां पर 2,000 टन पानी और पहुंचाया गया. इससे मालदीव के लोगों को अपना जीवन चलाने में बहुत मदद मिली.
अब अपने किए का खामियाजा भुगत रहे मोइज्जू
मालदीव का उत्तरी द्वीप भारत के लक्षद्वीप में मिनिकॉय द्वीप से सिर्फ 70 समुद्री मील दूर है. जबकि मुख्य भूमि के पश्चिमी तट से मालदीव की दूरी करीब 300 समुद्री मील है. यही वजह है कि भारत हमेशा से लिए मालदीव के फर्स्ट रेस्पोंडर यानी पहला मददकर्ता रहा है. लेकिन राष्ट्रपति मोइज्जू की कट्टरवादी सोच ने दोनों देशों के रिश्तों में ऐसी दरार डाल दी है, जो जल्दी से भरी नहीं जा सकेगी.