Bangladesh Chunav: बांग्लादेश में जिनके घर-मंदिर सेफ नहीं, उन हिंदुओं ने शेख हसीना को जिताईं 107 सीटें
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Bangladesh Chunav: बांग्लादेश में जिनके घर-मंदिर सेफ नहीं, उन हिंदुओं ने शेख हसीना को जिताईं 107 सीटें

Bangladesh Election: बांग्लादेश में वही हुआ, जिसकी संभावना जताई जा रही थी. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने प्रचंड जीत दर्ज की है. हिंसा के बीच वोटिंग हुई थी. हिंदू वोटर 107 सीटों पर निर्णायक भूमिका में आ गए थे क्योंकि विपक्षी दलों के बहिष्कार के कारण मतदान काफी कम हुआ था. 

Bangladesh Chunav: बांग्लादेश में जिनके घर-मंदिर सेफ नहीं, उन हिंदुओं ने शेख हसीना को जिताईं 107 सीटें

Bangladesh Sheikh Hasina News: बांग्लादेश में 76 साल की प्रधानमंत्री शेख हसीना को लगातार चौथा कार्यकाल मिल गया है. 2009 से उनके हाथों में सत्ता की बागडोर है. मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के बहिष्कार के बीच हुए चुनावों में उनकी पार्टी अवामी लीग ने दो तिहाई सीटें जीत ली हैं. 300 सदस्यीय संसद में हसीना की पार्टी ने 204 सीटें जीती और उसके 50 स्वतंत्र कैंडिडेट भी जीते हैं. गोपालगंज-3 सीट पर हसीना को 2,49,965 वोट मिले जबकि उनके विरोधी निजामुद्दीन लश्कर को मात्र 469 वोट ही मिले. सबसे खास बात यह है कि देश में खुद को असुरक्षित कर रहे हिंदू समुदाय ने हसीना पर भरोसा जताया है. पहली बार अवामी लीग को हिंदू वोटरों ने 107 सीटों पर जीत दिलाई है, जहां कम वोटिंग के कारण उनके वोट की ताकत बढ़ गई थी. 

हिंदू वोट का समीकरण

दरअसल, पूर्व पीएम खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी समेत इस्लामिक राष्ट्र बनाने की बात करने वाली कई पार्टियों ने इस चुनाव का बहिष्कार किया था. इस कारण 40 प्रतिशत ही मतदान हुआ जो पिछली बार 80 प्रतिशत हुआ था. देश में हिंदू वोटरों की हिस्सेदारी 10 फीसदी है. ऐसे में हिंदुओं का वोट पूरा अवामी लीग को ही गया. ऐसे में हिंदू समुदाय ने ही 107 सीटों पर हसीना की जीत पक्की कर दी. 

एक्सपर्ट बताते हैं कि 107 में से कई सीटें ऐसी थीं जहां हिंदू वोटर 20 से 40 प्रतिशत हैं. कुछ हिंदुओं ने कहा है कि देश में हिंदू आबादी पर जिस तरह का खतरा दिखाई दे रहा है, उससे बचने के लिए समुदाय के लोगों ने हसीना की पार्टी को वोट किया है. 

... लेकिन हिंदुओं की हालत ठीक नहीं

'भास्कर' की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदू आबादी 22 प्रतिशत से घटकर करीब 8 प्रतिशत पर आ गई है. यहां हालात ऐसे हैं कि हर 10 साल में एक प्रतिशत हिंदू समुदाय की आबादी घट रही है. यहां के हिंदू सार्वजनिक रूप से अपनी पहचान जाहिर नहीं होने देते. भूलकर भी वे माथे पर तिलक नहीं लगाते. पूजा करने के बाद घर से बाहर निकलते समय मस्तक पोंछ लेते हैं. 

स्थानीय हिंदू कहते हैं, 'यहां हिंदू होना एक सजा है.' यहां की लड़कियां बांग्लादेश से निकलने के लिए विदेश में पढ़ाई और वहां बसने के सपने देखती हैं. पिछले सालभर में 66 हिंदू लड़कियों से रेप के मामले सामने आए जबकि 300 से ज्यादा महिलाओं को जबरन बीफ खिलाया गया. ये वो मामले हैं जो रिपोर्ट हुए हैं. सोशल मीडिया पर हिंदू मंदिरों और घरों में तोड़फोड़, आगजनी की खबरें आती रहती हैं. वहां के हिंदू चाहते हैं कि भारत ऐसी घटनाओं पर हस्तक्षेप करे. ढाका यूनिवर्सिटी में जगन्नाथ हॉस्टिल है, जहां सिर्फ हिंदू और गैर-मुस्लिम छात्रों को रखा जाता है. 

भरोसेमंद मित्र है भारत...

उधर, शेख हसीना ने कहा है कि हम बहुत सौभाग्यशाली हैं... भारत हमारा भरोसेमंद मित्र है. मुक्ति संग्राम (1971) के दौरान और 1975 के बाद उन्होंने न केवल हमारा समर्थन किया, बल्कि जब हमने अपना पूरा परिवार- पिता, मां, भाई (सैन्य तख्तापलट में) खो दिया था और केवल हम दो (हसीना और छोटी बहन रिहाना) बचे थे...उन्होंने हमें शरण भी दी इसलिए हम भारत के लोगों को शुभकामनाएं देते हैं. सैन्य अधिकारियों ने अगस्त 1975 में शेख मुजीब, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की घर में ही हत्या कर दी थी. उनकी बेटियां हसीना और रिहाना उस हमले में बच गई थीं क्योंकि वे विदेश में थीं. प्रधानमंत्री के रूप में हसीना का यह पांचवां कार्यकाल होगा. 

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